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जम्मू : रूपनगर में कब्जा हटाने के बाद भी जेडीए आवंटियों को नहीं मिले प्लाट

इस साल 11 जनवरी को जेडीए ने रूपनगर के सेक्टर-6 में 41 कनाल जमीन को खाली करवाने के लिए वहां अवैध रूप से बने 17 कच्चे-पक्के ढांचों को तोड़ा था। इसके बाद से इस पर राजनीति हो रही है।

By Edited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 07:13 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 07:21 AM (IST)
जेडीए को बिना देरी उनको प्लाट देने चाहिए।

जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू विकास प्राधिकरण (जेडीए) की तरफ से रूपनगर के सेक्टर-छह में अतिक्रमण हटाने के कई दिनों बाद भी आवंटियों को प्लाट नहीं मिल पाए हैं। वहीं, वहां से हटाए गए गुज्जर परिवारों को लगातार राजनीतिक संरक्षण भी मिल रहा है। इससे आवंटियों में रोष पनपना शुरू हो गया है। वे चाहते हैं कि जेडीए बिना देरी उन्हें रूपनगर में अलाट किए गए प्लाट सौंपे।

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इस इलाके में जेडीए ने 127 लोगों को प्लाट अलाट किए थे, जिनका कब्जा अब तक आवंटियों को नहीं मिला है। शुक्रवार को कई आवंटी रूपनगर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि छह साल पहले जब उनको यहां प्लाट दिए गए थे तो यहां कुछ कुल्ले ही बने हुए थे। बाद में यहां दर्जन भर पक्के घर बन गए। यदि जेडीए पहले ही सख्ती करता तो यह दिन नहीं देखना पड़ता। विक्रम ¨सह, सुरेश शर्मा, कपिल महाजन आदि आवंटियों का कहना था कि वर्ष 2015 में उन्होंने 10-10 लाख रुपये जेडीए में जमा करवाए थे, जिसके बाद उनको प्लाट से जुड़े दस्तावेज भी दिए गए। अफसोस की बात है कि छह साल बाद भी वे यहां अपना मकान नहीं बना पाए हैं।

जेडीए ने अदालत के निर्देश के बाद कब्जे खाली करवाए, लेकिन अब तक उनको प्लाट नहीं सौंपे गए हैं। उन्होंने उपराज्यपाल से मांग की कि बिना देरी आवंटियों को प्लाट दिलाए जाएं। गौरतलब है कि इस साल 11 जनवरी को जेडीए ने रूपनगर के सेक्टर-6 में 41 कनाल जमीन को खाली करवाने के लिए वहां अवैध रूप से बने 17 कच्चे-पक्के ढांचों को तोड़ा था। इसके बाद से इस पर राजनीति हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी आवंटियों की जमीनों पर कब्जा करने वाले गुज्जर परिवारों से मिलने पहुंची थीं।

यह परिवार यहां अब भी टेंट लगाकर बैठे हुए हैं और विभिन्न संगठनों का सहयोग इन्हें मिल रहा है। बिना देर किए हमारे प्लाट सौंपे जेडीए रूपनगर में पहुंचीं ज्योति देवी, र¨वद्र, अनिल कुमार, राघव सेठी और जतिन मट्टू ने कहा कि उनके पास प्लाट से जुड़े सभी दस्तावेज हैं। इसीलिए जब उनके प्लाट पर कब्जे हुए तो अदालत का दरवाजा खटखटाया गया। यह जेडीए की जिम्मेदारी बनती है कि उसने जिन लोगों से पैसे लिए हैं, उनको प्लाट पर कब्जा दिलवाए। छह साल तक अदालत में मामला चला। अब जब कोर्ट ने निर्देश दिया तब जेडीए ने सक्रियता दिखाई है। इसलिए जेडीए को बिना देरी उनको प्लाट देने चाहिए।


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