Move to Jagran APP

Kashmir: पाकिस्तान से मतभेद, संगठन में पूरी तरह दरकिनार होने पर कट्टरपंथी नेता गिलानी ने दिया इस्तीफा

पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने के बाद से लगभग समाप्त हो चुकी अलगाववादी खेमे की सियासत का यह अब तक का सबसे बड़ा घटनाक्रम है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 10:46 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 04:47 PM (IST)
Kashmir: पाकिस्तान से मतभेद, संगठन में पूरी तरह दरकिनार होने पर कट्टरपंथी नेता गिलानी ने दिया इस्तीफा
Kashmir: पाकिस्तान से मतभेद, संगठन में पूरी तरह दरकिनार होने पर कट्टरपंथी नेता गिलानी ने दिया इस्तीफा

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: कश्मीर बनेगा पाकिस्तान का नारा देने वाले ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस (गिलानी गुट) के चेयरमैन और कट्टरपंथी 90 वर्षीय सैयद अली शाह गिलानी ने संगठन से पूरी तरह नाता तोड़ने का एलान कर दिया। हुर्रियत कांफ्रेंस शुरू से पाकिस्तान के एजेंडे पर चलती रही है। पिछले कुछ समय से पाकिस्तान से मतभेदों और संगठन में पूरी तरह दरकिनार होने के बाद गिलानी ने संगठन से इस्तीफा दे दिया है। फिलहाल, वह तहरीके हुर्रियत कश्मीर से जुड़े रहेंगे। तहरीके हुर्रियत का गठन गिलानी ने जमात-ए-इस्लामी से अलग होने के बाद जमात की हरी झंडी मिलने के बाद ही किया था। फिलहाल, गिलानी के उत्तराधिकारी को लेकर कट्टरपंथी हुर्रियत में मंथन शुरू हो गया है। कहा जा रहा है कि हुर्रियत के दोनों गुटों को भी फिर से एक ही बैनर के तले लाने का प्रयास हो रहा है। दूसरा गुट हुर्रियत कांफ्रेंस (मीरवाइज गुट) है।

loksabha election banner

हुर्रियत कांफ्रेस की सियासत पर नजर रखने वालों के मुताबिक, गिलानी की नीतियों को लेकर हुर्रियत कांफ्रेंस के विभिन्न नेताओं में रोष पैदा हो रहा था। अक्सर उन पर कुछ खास लोगों को शह देने व अपने निजी हितों को ऊपर रखने के आरोप लगते थे। वर्ष 2015 के बाद से वह लगभग सभी फैसले खुद ले रहे थे, लेकिन वह कश्मीर में सक्रिय अलगाववादियों और सरहद पार बैठे अपने पाकस्तानी आकाओं के नापाक मंसूबों को पूरा नहीं कर पा रहे थे। हुर्रियत में नेतृत्व बदलने की लगातार मांग हो रही थी। कहा जा रहा है कि पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के लागू होने के बाद से जिस तरह से गिलानी ने खुद को अपने घर के भीतर तक सीमित रखते हुए बयानबाजी भी बंद रखी, उससे पाकिस्तान की सरकार भी उनसे पूरी तरह नाराज हो गई थी।

पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने के बाद से लगभग समाप्त हो चुकी अलगाववादी खेमे की सियासत का यह अब तक का सबसे बड़ा घटनाक्रम है। गिलानी ने सोमवार को एक आडियो संदेश जारी किया है। इसके अलावा उन्होंने दो गुटों में बंटी हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी गुट के सभी घटक दलों के नाम एक पत्र भी जारी किया है। अपने आडियो संदेश में गिलानी ने कहा कि मौजूदा हालात में मैं ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस से इस्तीफा देता हूं। मैंने हुर्रियत के सभी घटक दलों और मजलिस-ए-शूरा को भी अपने फैसले से अवगत करा दिया है।

गुलाम कश्मीर से आए पत्र में गिलानी को पद से हटने का था दबाव : कश्मीर में सक्रिय हुर्रियत के कई करीबियों ने भी बीते एक साल से उनसे दूरी बनाए रखी हुई थी और वह लगातार सरहद पार से आने वाले संदेशों के अनुरूप अपने स्तर पर ही काम कर रहे थे। गिलानी को सबसे बड़ा झटका करीब 11 दिन पहले उस समय लगा जब गुलाम कश्मीर स्थित हुर्रियत की इकाई ने एक बैठक बुला, हुर्रियत गिलानी के कश्मीर संयोजक अब्दुल अहद गिलानी को हटा दिया। इसके अलावा वहां महासचिव पद पर हसन खतीब को नियुक्त कर दिया। इसके बाद श्रीनगर में गिलानी गुट के नेताओं की एक बैठक हुई, उन्होंने भी गुलाम कश्ीमर में लिए गए फैसले को सही ठहराया। इसके बाद गुलाम कश्मीर से हसन खतीब ने गिलानी को एक पत्र लिखकर उन्हेंं सीधे शब्दों में कहा कि वह नए नेतृत्व को मौका दें और खुद एक संरक्षक की भूमिका में रहें। उन्होंने गिलानी के करीबियों पर कुछ आरोप भी लगाए।

पत्र के जवाब में कहा, नशे का कारोबार चला रहे हुर्रियत नेता : गिलानी ने इस खत के जवाब में एक पत्र लिखा और उसमें कहा कि गुलाम कश्मीर में बैठे कई हुर्रियत नेता सिर्फ पैसा जमा कर रहे हैं। वह कश्मीर में जारी जिहाद की आड़ में नशे का कारोबार चला रहे हैं और अपने एजेंडे से भटक गए हैं। गिलानी ने इस सिलसिले में अपने स्तर पर पाकिस्तान सरकार और नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग से जुड़े कुछ लोगों से संपर्क करने का भी प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी। उन्हेंं यकीन हो गया था कि हुर्रियत कांफ्रेंस में अब उन्हेंं किसी भी समय हटाया जा सकता है, जिससे उनकी बची खुची साख भी खत्म हो जाएगी। लिहाजा उन्होंने आज इस्तीफे का एलान कर दिया। उन्होंने अपने करीबियों को इस संदर्भ में लिखे पत्र में साफ कहा है कि गुलाम कश्मीर स्थित हुर्रियत को कोई नीतिगत फैसला लेने का अधिकार नहीं है, लेकिन वह अपने स्तर पर बीते दो सालों से फैसले ले रही है।

गिलानी ने अपने करीबियों को लिखा पत्र गिलानी ने अपने करीबियों को लिखे पत्र में साफ कहा है कि गुलाम कश्मीर स्थित हुर्रियत को कोई नीतिगत फैसला लेने का अधिकार नहीं है, लेकिन वह अपने स्तर पर बीते दो सालों से फैसले ले रही है। इसके अलावा यहां कश्मीर में हुर्रियत के कई नेता जो नजरबंद न होने के बावजूद अपने घरों में बैठे हैं, बीते एक साल से किसी भी तरह से कश्मीर की तहरीके आजादी की मुहिम को लेकर लोगों के बीच नहीं गए हैं। इन लोगों से मैंने कई बार संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन यह लोग नहीं मिले। अब गुलाम कश्मीर में लिए गए एक फैसले (हुर्रियत में संयोजक के पद में बदलाव) के बाद इन लोगों ने एक बैठक बुलाकर उस फैसले पर मुहर लगाई। हालांकि इन लोगों को यह बैठक बुलाने का हक नहीं था। लिहाजा मौजूदा परिस्थितियों में मैं खुद को हुर्रियत की हर जिम्मेदारी व ओहदे से अलग करता हूं।

गिलानी का प्रोफाइलः सैयद अली शाह गिलानी बारामुला जिले के जैनगीर सोपोर में 29 सितंबर 1929 में पैदा हुए। शुरुआती पढ़ाई सोपोर में ही की और उसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई लाहौर के ओरिंएटल कालेज से पूरी की। गिलानी ने दो शादियां की हैं और उनसे छह ब'चे हैं। चार बेटियां और दो बेटे। पहली शादी से गिलानी के दो बेटियां अनिशा और फरहत हैं जबकि दूसरी शादी से चार बच्चे।

जमात ए इस्लामी के कार्यकर्ता सैयद अली शाह गिलानी ने अपना राजनीतिक कैरियर 1950 में शुरु किया। उन्होंने अलग अलग समय पर कई बार जेल काटी। कुल 14 साल जेल में बिता चुके हैं। 1997 में वह एकीकृत हुर्रियत के चेयरमैन भी बने। वह 2003 में हुर्रियत में विभाजन का कारण बने और अलग गुट बनाया। वह तीन बार जमात के टिकट पर विधाायक भी बन चुके हैं। वर्ष 1987 में उन्होंने मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के बैनर तले विभिन्न संगठनों मुस्लिम मजहबी व राजनीतिक संगठनों को जमा किया था। वह कई बार विदेश यात्रा भी कर चुके हैं। वर्ष 1981 में उनका पासपोर्ट जब्त किया गया था। वर्ष 2006 में उन्हें हज के लिए पासपोर्ट जारी किया गया था।

पासपोर्ट में बताई थी भारतीय नागरिकताः वर्ष 2015 में गिलानी ने जेद्दाह में बेटी फरहत से मिलने केल लिए पासपोर्ट का आवेदन किया था, लेकिन गिलानी ने जानबूझकर राष्ट्रीयता के स्थान पर कुछ नहीं भरा था। इस पर उनका आवेदन रद कर दिया गया। बाद में नौ माह की वैधता वाला एक पासपोर्ट जारी किया और वह भी तब जब गिलानी ने दोबारा आवेदन करते हुए अपनी राष्ट्रीयता भारतीय बताई थी। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.