Jammu Kashmir: डोगरी साहित्यकार सुदेश राज के डोगरी लघु कहानी संग्रह ‘डोआठन’ का विमोचन
डोगरी साहित्यकार सुदेश राज के डोगरी लघु कहानी संग्रह ‘डोआठन’ का डोगरी संस्था की ओर से आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में विमोचन किया गया। पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जम्मू यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्राे. आरडी शर्मा ने किया।
जम्मू, जागरण संवाददाता। डोगरी साहित्यकार सुदेश राज के डोगरी लघु कहानी संग्रह ‘डोआठन’ का डोगरी संस्था की ओर से आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में विमोचन किया गया। पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जम्मू यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्राे. आरडी शर्मा ने किया।
जम्मू यूनिवर्सिटी पूर्व डीन आर्ट्स प्रो. वीणा गुप्ता ने कहानी संग्रह की कहानियों की आलोचनात्मक समीक्षा करते हुए पुस्तक का परिचय दिया एवं सुदेश राज के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से भी रूबरू करवाया। उन्होंने कहा कि पुस्तक का उत्कृष्ट गुण लेखिका द्वारा जीवन का गहन अवलोकन और उनकी लेखन शैली में सूक्ष्मता है। सुदेश राज एक प्रसिद्ध डोगरी लेखिका एवं उच्च योग्यता की अनुवादक हैं। पुस्तक से उन्होंने अपनी साहित्यिक यात्रा के कुछ दिलचस्प किस्से साझा किए।
इस मौके पर उन्होंने संग्रह से एक कहानी पढ़ी।उन्होंने श्रोताओं को यह भी बताया कि पुस्तक को उन्होंने अपने स्वर्गीय पति राज रैना को समर्पित किया है। उनकी जयंती पर ही पुस्तक का विमोचन किया गया है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. आरडी शर्मा ने सुदेश राज को उनके काम की उच्च गुणवत्ता के लिए बधाई दी और कहा कि पुस्तक की कहानियां वास्तविकता पर आधारित हैं।हर कहानी एक सामाजिक और मनोवैज्ञानिक संदेश देती है।
उन्होंने काेरोना महामारी के समय में इस तरह के साहित्यिक कार्यक्रमों के आयोजन और लेखकों को उनकी कृतियों को प्रदर्शित करने के लिए मंच प्रदान करने के लिए डोगरी संस्था की सराहना की।डोगरी संस्था के अध्यक्ष प्रो. ललित मगोत्रा ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कहा कि संस्था डिजिटल मीडिया जैसे व्हाट्सएप और वर्चुअल ऑनलाइन कार्यक्रमों पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करके साहित्यिक गतिविधियों को जीवित रखने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने बताया कि सुदेश राज ने बच्चों के वयस्कता में बढ़ने की घटना से संबंधित जटिल मुद्दों पर एक उत्कृष्ट तरीके से कुछ कहानियां लिखी हैं। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक डोगरी कहानी संग्रह की क्यारी का एक अनमोल फूल है। डोगरी संस्था के उपाध्यक्ष प्रो. शशि पठानिया ने कार्यक्रम का संचालन किया। पठानिया स्वयं एक कुशल कहानीकार हैं। इस नाते उन्होंने विमोचित पुस्तक पर कुछ बहुत ही मूल्यवान और विद्वतापूर्ण टिप्पणियां कीं। उन्होंने दर्शकों और अन्य सभी संबंधितों को भी धन्यवाद दिया। पवन वर्मा ने कार्यक्रम को ऑनलाइन आयोजित करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की।