Jammu Kashmir : आयुर्वेद कालेज में पहली बार देशभर के विद्यार्थी ले सकेंगे प्रवेश
जम्मू के शालामार में चल रहे आयुर्वेद कालेज में इस सत्र के लिए पंद्रह फीसद सीटों पर अन्य प्रदेशों के विद्यार्थी प्रवेश ले सकेंगे।ऐसा होने से आयुर्वेद कालेज जम्मू-कश्मीर में ऐसा पहला व्यवसायी कालेज हो जाएगा जिसमें यह व्यवस्था होगी।
जम्मू, राज्य ब्यूरो । अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद जम्मू के शालामार में स्थित आयुर्वेद कॉलेज में इस सत्र में पहली बार 15 फीसद सीटों पर देशभर के विद्यार्थी प्रवेश ले सकेंगे। अन्य 85 फीसद सीटें जम्मू कश्मीर के विद्यार्थियों के लिए ही होंगी। अभी तक जम्मू कश्मीर के कालेजों की सीटें राष्ट्रीय कोटे से नहीं भरी जाती थी। इसका नुकसान भी जम्मू कश्मीर के छात्रों को होता था और वह दूसरे राज्यों के कालेजों में भी दाखिला नहीं ले पाते थे।
आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा, युनानी, सिद्धा एवं होम्योपैथी मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर सरकार को यह चेतावनी भी दी है कि अगर ऐसा न किया तो कॉलेजों की मान्यता खत्म कर दी जाएगी। ऐसा होने से आयुर्वेद कॉलेज जम्मू-कश्मीर में पहला व्यवसायी कॉलेज हो जाएगा, जिसमें यह व्यवस्था होगी।
मंत्रालय ने वीरवार को जम्मू के सरकारी आयुर्वेद कॉलेज को 2020-21 सत्र के लिए बेचुलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) कोर्स के लिए प्रवेश की इजाजत देते हुए कहा कि इस सत्र में कॉलेज 63 सीटों पर विद्यार्थियों को सशर्त प्रवेश करने की इजाजत दे रहा है। कालेज ने पंद्रह फीसद सीटों पर अन्य प्रदेशों के विद्यार्थियों को एडमिशन देने का फैसला किया गया हे। इसकी पुष्टि इंडियन सिस्टम आफ मेडिसीन के निदेशक डा. मोहन सिंह ने भी की है।
इसमें 85 फीसद सीटों पर काउंसलिंग जम्मू-कश्मीर में की जाएगी, लेकिन शेष पंद्रह फीसद सीटों पर काउंसलिंग अखिल भारतीय कोटे के तहत केंद्र सरकार करवाएगी। अभी तक जम्मू-कश्मीर में ऐसा कोई भी व्यवसायी संस्थान नहीं है, जहां पर दूसरे प्रदेशों के विद्यार्थी प्रवेश ले सकते हैं।
एमबीबीएस और इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए नहीं बनी व्यवस्था : अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद यह कहा जा रहा था कि एमबीबीएस और इंजीनियरिंग कॉलेजों में इस सत्र से जम्मू-कश्मीर के अलावा अन्य प्रदेशों के विद्यार्थियों को भी प्रवेश मिल सकेगा। लेकिन जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से केंद्रीय पूल के लिए पंद्रह फीसद सीटें न देने पर इस सत्र में भी अन्य प्रदेशों के विद्यार्थी प्रवेश लेने से वंचित रह गए।
एमबीबीएस की सीटों पर नीट के परिणाम के बाद अब बनी सूची में सिर्फ स्थायी नागरिकता प्रमाणपत्र या फिर डोमिसाइल वाले विद्यार्थी को ही एडमिशन दी जा रही है। लेकिन आयुर्वेद कॉलेज में इस सत्र में प्रवेश देने की इजाजत देने से पहले ही केंद्र सरकार ने यह चेतावनी दे डाली कि अगर अखिल भारतीय कोटे में पंद्रह फीसद सीटें नहीं रखी गई तो कॉलेज की मान्यता ही खत्म कर दी जाएगी।
इसके बाद अब यहां पर इस सत्र में 15 फीसद सीटों पर अन्य प्रदेशों के विद्यार्थियों को एडमिशन देने का फैसला किया गया है। इसकी पुष्टि इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसीन के निदेशक डॉ. मोहन सिंह ने भी की है। इसके बाद अब स्पष्ट हो गया है कि 63 सीटों में से पंद्रह फीसद पर पहली बार जम्मू-कश्मीर के अलावा अन्य प्रदेशों के विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाएगा।
सभी कमियों को करें पूरा: आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा एवं होम्योपैथी मंत्रालय ने 31 दिसंबर तक कालेज में सभी कमियों को पूरा करने के भी निर्देश दिए हैं। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि निरीक्षण के दौरान फैकल्टी सहित अन्य कमियाें को तुरंत दूर किया जाए। इन कमियों को पूरा करने की रिपोर्ट आने के बाद ही साल 2021-22 सत्र के लिए कालेज को मान्यता दी जाएगी।
इस सत्र से अखनूर में चलेगा कालेज: अखनूर में कालेज की नई इमारत पर 25 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। यही नहीं इसके सहायक अस्पताल को भी 60 बिस्तरों का अस्पताल बना दिया गया है। कोज में टीचिंग और नान टीचिंग पदों को सृजित कर उनमें नियुक्तियों के लिए प्रक्रियाभी शुरू कर दी गई है। इंडियन सिस्टम आफ मेडिसीन के डायरेक्टर डा. मोहन सिंह का कहना है कि कालेज में नियुक्तियां भी प्राथमिकता के आधार पर जल्दी होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अखनूर के कालेज में ढांचागत सुविधाओं को भी पूरा कर लिया गया है। शेष 4.61 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं ताकि कालेज और अस्पताल में अगर कोई कमी रह गई है तो उसे भी पूरा किया जा सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि यूनानी कालेज भी इसी सत्र से शुरू हो जाएगा।