अलगाववादियों के बंद का आंशिक असर रहा
लोगों ने पिछले दिनों मारे गए आतंकियों की मौत पर खुद ही पूरे इलाके में अपने कारोबार बंद रखे थे।
श्रीनगर, [राज्य ब्यूरो] । कश्मीर घाटी में रविवार को अलगाववादियों के बंद का आंशिक असर ही नजर आया। परिंपोरा व हाजिन को छोड़ अन्यत्र कहीं भी बंद का असर नहीं था और जनजीवन बहाल रहा। परिंपोरा और हाजिन में बंद अलगाववादियों के आह्वान पर नहीं था। लोगों ने पिछले दिनों मारे गए आतंकियों की मौत पर खुद ही पूरे इलाके में अपने कारोबार बंद रखे थे।
इस बीच, बनिहाल-बारामुला रेल सेवा को प्रशासन ने पूरा दिन एहतियातन बंद रखा।घाटी में सुरक्षाबलों द्वारा आतंकियों की धरपकड़ और उन्हें मार गिराने के लिए चलाए गए घेराबंदी कर तलाशी लेना (कासो) और ऑपरेशन ऑल आउट के खिलाफ कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी, उदारवादी हुर्रियत प्रमुख मीरवाइज मौलवी उमर फारूक और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चेयरमैन मुहम्मद यासीन मलिक ने शनिवार को अन्य अलगाववादी संगठनों के साथ मिलकर 19 नवंबर को कश्मीर बंद का आह्वान किया था।
हालांकि अलगाववादियों के बंद का कहीं पूरा असर नजर नहीं आया। प्रशासन ने किसी भी इलाके में कोई निषेधाज्ञा लागू नहीं की थी। ग्रीष्मकालीन राजधानी में संडे मार्केट भी लगा और खरीदारों की भी भीड़ रही, लेकिन अन्य इलाकों में रविवार को खुली नजर आने वाली अधिकांश दुकानें बंद रहीं। सड़कों पर वाहनों की आवाजाही भी लगभग सामान्य रही। अनंतनाग, बारामुला, कुपवाड़ा, शोपियां व पुलवामा में भी बंद का आंशिक असर रहा। बंद का असर सिर्फ श्रीनगर के परिंपोरा व एचएमटी और उत्तरी कश्मीर के हाजिन में नजर आया, लेकिन हाजिन में बंद अलगाववादियों के आह्वान पर नहीं था।
लोगों ने शनिवार को सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह आतंकियों की मौत के खिलाफ बंद रखा रखा था, जबकि परिंपोरा और उससे सटे इलाकों में आतंकी मुगीस की मौत के चलते पूरा दिन हड़ताल रही। हाजिन और परिंपोरा में आतंकी समर्थकों ने हड़ताल के दौरान राष्ट्रविरोधी नारेबाजी करते हुए जुलूस भी निकाले। इस दौरान प्रदर्शन कारियों व सुरक्षाबलों के बीच छिटपुट हिंसक झड़पें भी हुई।
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