Kashmir Situation: कश्मीर में बंद व हड़ताल ने पर्यटन और हज उमरा यात्रियों के कदम भी रोक दिए हैं
अलगाववादियों और आतंकियों द्वारा जबरन लागू कराए जा रहे बंद से न सिर्फ घाटी में पर्यटन उद्योग मंदी की मार झेल रहा है बल्कि बंद ने हज और उमरा यात्रियों के कदम भी रोक दिए हैं।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। अलगाववादियों और आतंकियों द्वारा जबरन लागू कराए जा रहे बंद से न सिर्फ घाटी में पर्यटन उद्योग मंदी की मार झेल रहा है, बल्कि बंद ने हज और उमरा यात्रियों के कदम भी रोक दिए हैं। इसी कारण उमरा के इच्छुक स्थानीय यात्रियों की संख्या बीते दो दशकों में अब तक के सबसे निम्न स्तर पर पहुंच गई है। इससे जहां हज-उमरा ऑपरेटरों को आर्थिक नुकसान हो रही है। वहीं, केंद्रीय विदेश मंत्रालय और सऊदी अरब प्रशासन द्वारा उनके दर्जे में कटौती करने का भी संकट भी पैदा हो गया है।
अक्टूबर और नवंबर माह के दौरान वादी में सिर्फ 250 के करीब यात्रियों ने उमरा के लिए पंजीकरण करवाया है, जबकि पूर्व में सामान्य परिस्थितियों में हर माह 1800-2000 लोग पंजीकरण करवाते थे। इनमें से अधिकांश सर्दियों के दौरान विशेषकर अक्टूबर से मई माह तक ही जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर में नौ हज-उमरा टूर ऑपरेटर ही केंद्रीय विदेश मंत्रालय के जरिए सऊदी अरब मेंं यात्रियों को भेजने के लिए पंजीकृत हैं, जबकि लद्दाख में एक ही है। मुस्लिमों में हज के बाद उमरा को सबसे पवित्र यात्रा माना जाता है। इस यात्रा के दौरान यात्री मक्का-मदीना में इस्लामिक धर्मस्थलों की यात्रा करते हैं और इबादत में वक्त बिताते हैं।
कई ऑपरेटर मिल कर भेज रहे 30 यात्रियों का ग्रुप :
जम्मू-कश्मीर हज व उमरा टूर आर्गेनाइजर एसोसिएशन के महासचिव उमर नजीर बक्कल और अल हजीज समूह के साथ जुड़े सुहेल ने कहा कि हज उमरा का सीजन शुरू हुए दो माह बीत गए हैं, अभी तक इसके लिए सिर्फ 250 ही यात्रियों ने बुङ्क्षकग करवाई है। कोई आपरेटर अपने दम पर एक साथ 30 यात्रियों को उमरा के लिए नहीं भेज पाया। मिलकर कम से कम 30 यात्रियों का ग्रुप तैयार करना पड़ रहा है।
यात्रियों की कमी के कारण कम हो सकता है दर्जा :
उमर नजीर ने कहा कि इंटरनेट पर पाबंदी भी भारी पड़ रही है। हज-उमरा से संबंधी दस्तावेजों को संबंधित मंत्रालय और सऊदी प्रशासन तक पहुंचाने के लिए अब खुद जाना पड़ रहा है। पहले दस्तावेजों को स्कैन कर मेल के माध्यम से वीजा के लिए भेजा जाता है। इसमें बहुत पैसा खर्च होता है। उन्होंने कहा कि पैसे का नुकसान तो पूरा हो सकता है, लेकिन हमें दर्जे की फिक्र है। प्रत्येक हज उमरा ऑपरेटर को उसकी हैसियत और काम के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इसी के आधार पर हर साल उमरा और हज के लिए टिकटों का कोटा आवंटित होता है। ऐसे में दर्जा घटने पर बड़ा नुकसान हो सकता है।