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कैसे बेहतर होगी स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा जब जीएमसी में 46 साल में भी पूरी नहीं हो पाई स्टाफ की कमी

जम्मू संभाग में अब चार नए मेडिकल काॅॅलेज मंजूर हुए हैं। सबसे बड़ी चुनौती इन काॅॅलेजों में फैकल्टी नियुक्त करने की है। डोडा में इस साल फैकल्टी न होने के कारण सत्र शुरू नहीं हो पाया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 12:15 PM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 12:15 PM (IST)
कैसे बेहतर होगी स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा जब जीएमसी में 46 साल में भी पूरी नहीं हो पाई स्टाफ की कमी
कैसे बेहतर होगी स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा जब जीएमसी में 46 साल में भी पूरी नहीं हो पाई स्टाफ की कमी

जम्मू, रोहित जंडियाल। जम्मू-कश्मीर में स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के लिए केंद्र से लेकर राज्य प्रशासन कई प्रयास कर रहा है, लेकिन जम्मू के राजकीय मेडिकल कॉलेज में वर्षो से कई पद खाली पड़े हैं। इन पदों में फैकल्टी सदस्य, मेडिकल ऑफिसर्स और नान गजेटेड कर्मचारी शामिल हैं। सबसे बुरा हाल सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का है जहां पर अस्सी प्रतिशत पद खाली हैं। राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू की स्थापना 1973 में हुई थी। इस कॉलेज को उस समय वर्तमान श्री महाराजा गुलाब सिंह अस्पताल में शुरू किया गया था। उस समय भी इस कॉलेज में पर्याप्त स्टाफ नहीं था। 1990 के दशक में बख्शीनगर में मेडिकल कालेज शिफ्ट हुआ। इसके बाद नए विभाग भी खोले गए लेकिन तब से आज तक फैकल्टी के पद नहीं भरे गए।

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इस समय राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू में फैकल्टी के कुल 310 पद हैं। इनमें प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और लेक्चरार शामिल हैं। इन पदों में से 99 अभी भी खाली पड़े हुए हैं। सिर्फ 211 पद ही भरे हुए हैं। कार्डियालोजी, न्यूरालोजी, चेस्ट डिजिजेस, फोरेंसिक मेडिसीन, गैस्ट्रो सहित कई विभागों में एक भी प्रोफेसर नहीं है। रजिस्ट्रार और डिमान्स्ट्रेटर के कुल 241 पद मंजूर हैं मगर इनमें से 61 पद अभी भी खाली पड़े हुए है। सिर्फ 180 पदों पर ही काम हो रहा है। मेडिकल कालेज में पोस्ट ग्रेजुएट डाॅॅक्टरों की सीटें भी पूरी नहीं भरी गई है। कुल 519 पदों में से 497 ही पीजी डाॅॅक्टर हैं। यही स्थिति मेडिकल ऑफिसर्स के पदों को लेकर है। इस समय जीएमसी जम्मू में मेडिकल ऑफिसर्स के कुल 134 पदों में से 65 पर ही काम हो रहा है। अन्य सभी पद 69 पद खाली पड़े हुए हैं।

एक तिहाई पद खाली: राजकीय मेडिकल कॉलेज व सहायक अस्पतालों में नान गजटेड के कुल 4469 पद मंजूर हैं। इनमें से एक तिहाई पद खाली पड़े हुए हैं। अभी तक कुल 2947 पदों पर ही काम हो रहा है जबकि 1522 पद खाली पड़े हुए हैं। इन पदों में पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ के सदस्य भी शामिल हैं। इन्हें अस्प्तालों की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है लेकिन इन पदों को भरने के लिए कोई प्रयास नहीं।

सुपर स्पेशलिटी का हाल बेहाल: मेडिकल कॉलेज के सहायक अस्पताल सुपर स्पेशलिटी में फैकल्टी के कुल 82 पद मंजूर हैं। 62 पद खाली पड़े हुए हैं। इस अस्पताल को साल 2012-13 में मरीजों के लिए खोला गया था। यहां पर इस समय कार्डियालोजी, कार्डियो वैस्क्यूलर थोरेसिक सर्जरी, न्यूरोलाजी, न्यूरो सर्जरी, नेफरालोजी, यूरालोजी और एंडोक्रेनालोजी विभाग हैं। इनमें से छह विभागों में एक भी प्रोफेसर नहीं है। नेफरालोजी में एक भी स्थायी फैकल्टी सदस्य नहीं है। जो दो डाक्टर काम कर रहे हैं, वे दोनों ही स्वास्थ्य विभाग से डेपुटेशन पर नियुक्त हैं।

संभाग में चार नए मेडिकल कॉलेज: जम्मू संभाग में अब चार नए मेडिकल काॅॅलेज मंजूर हुए हैं। इनमें कठुआ और राजौरी मेडिकल काॅॅलेज तो शुरू हो गए हैं लेकिन डोडा और उधमपुर मेडिकल कालेज अगले सत्र से शुरू होने की उम्मीद है। सबसे बड़ी चुनौती इन कालेजों में फैकल्टी नियुक्त करने की है। डोडा में इस साल फैकल्टी न होने के कारण सत्र शुरू नहीं हो पाया। कठुआ और राजौरी में भी स्वास्थ्य विभाग से ही डाक्टरों को भेजा गया है। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहे हैं कि 46 साल से एक मेडिकल कालेज में फैकल्टी की कमी पूरी नहीं हो पाई तो अन्य में कैसे होगी। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के वित्तीय आयुक्त से इस बारे में बात नहीं हो पाई मगर पिछले एक महीने में औसतन हर दिन होने वाली एक बैठक में उन्होंने पद भरने के लिए निर्देश जरूर दिए हैं।


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