Jammu: ड्रोन हमले चुनौती हैं, पर पुलिस-प्रशासन इन खतरों से निपटने में सक्षम : एसएसपी चंदन कोहली
सीमा पार से कई बार ड्रग्स की बड़ी खेप को जब्त किया गया है। इस साजिश को खत्म करने के लिए पुलिस ने अलग से नारकोटिक्स का एक विंग बनाया है। हमारा प्रयास है कि अगर एक या दो ग्राम हेरोइन भी मिलती है तो भी कार्रवाई की जाए।
जम्मू: पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रही जम्मू कश्मीर पुलिस के सामने ड्रोन हमले के रूप में नई चुनौती खड़ी हो गई है। एक ओर जहां उसे ड्रोन हमले से सभी अहम ठिकानों को सुरक्षित रखना है, तो वहीं लोगों को यह विश्वास भी दिलाना है कि सब कुछ ठीक है और पुलिस-प्रशासन हर प्रकार की चुनौती का सामना करने में सक्षम है। इन्हीं चुनौतियों और इनका सामना करने व इनसे निपटने से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक चंदन कोहली से मुख्य संवाददाता अवधेश चौहान और रोहित जंडियाल ने विस्तार से बातचीत ही। पेश हैं इसके प्रमुख अंश...
वायुसेना के टेक्नीकल एयरपोर्ट पर ड्रोन हमले के बाद क्या चुनौतियां बढ़ी हैं?
निश्चित रूप से चुनौतियां बढ़ी हैं। जिस प्रकार से रात के अंधेरे में ड्रोन से आतंकियों ने हमला किया है, उसे देखते हुए जम्मू के अन्य प्रमुख स्थलों पर सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है। जम्मू शहर में बहुत बड़ा एयर स्पेस है। सभी को कवर करना तो आसान नहीं है, लेकिन कई प्रमुख स्थल हैं, जिनमें इनपुट के आधार पर समय-समय पर सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाया जाता है। जम्मू रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, बाहु फोर्ट, रघुनाथ मंदिर, बस स्टैंड, पुल, डैम सहित कई संवेदनशील क्षेत्र हैं। यह एक नई चुनौती है और यहां पर तकनीक के अलावा सतर्कता से भी सुरक्षा को चाक-चौबंद किया जा रहा है।
एयरफोर्स स्टेशन पर हमला करने वाला ड्रोन कहां से आया?
अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। अभी तक देखा गया है कि जब कभी किसी ड्रोन को मार गिराया जाता है तो उसमें लगी चिप से यह पता लगाया जाता है कि उसका आधार कहां से था। इस मामले में जांच चल रही है। अब जांच एनआइए के पास है। पुलिस दोनों पहलुओं को देख रही है कि यह सीमा पार से आया है या फिर भीतर से किसी आतंकवादी ने इससे हमला किया है। अभी किसी से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है।
यह संभव है कि पाकिस्तान से ड्रोन आया हो?
अभी इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। जांच चल रही है, लेकिन हर चीज संभव है। एयरफोर्स स्टेशन से सीमा 15 किलोमीटर की दूरी पर है। ड्रोन आसानी से इतनी दूरी तय कर लेता है। एयरफोर्स स्टेशन के पास अपने रडार होते हैं, लेकिन इनमें बड़ी चीज जैसे कि जहाज आसानी के साथ नजर आ जाते हैं। यह ड्रोन जैसी छोटी चीजों को नहीं देख पाते। पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठनों ने अभी इस हमले की कोई जिम्मेदारी नहीं ली है और इससे इन्कार भी नहीं किया है। यह हमला कहीं से भी हुआ हो, यह जांच में सामने आ जाएगा लेकिन इसके तार पाकिस्तान के साथ ही जुड़े हैं।
क्या इससे पहले भी ड्रोन से हमला हुआ है?
ड्रोन का इस्तेमाल अब तेजी के साथ होने लगा है। जब मैं राजौरी का एसएसपी था तो छापे के दौरान कुछ हथियारों के साथ तीन आतंकवादियों को पकड़ा था। इनमें से एक शोपियां जिले का रहने वाला था, जबकि दो पुलवामा के थे। पूछताछ में उन्होंने बताया कि बताया कि हथियार पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए फेंके गए हैं। हमने मौके पर जाकर ड्रोन से गिराए हथियारों को जब्त किया था। वह ड्रोन करीब दस किलोमीटर दूर से आया था। फिर अरनिया में भी ड्रोन को मार गिराया गया था। इसके बाद अन्य कुछ मामलों में भी ड्रोन से हथियार और मादक पदार्थ सीमा पार से यहां गिराए जाने के मामले हुए।
किस प्रकार के ड्रोन का इस्तेमाल हुआ होगा?
यह क्वाडकॉप्टर होते हैं। यह 20 किलोमीटर से अधिक तक का सफर तय कर लेते हैं। जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर हुए हमले में यही ड्रोन इस्तेमाल किए गए। यह भी संभव है कि हमला दो ड्रोन से हुआ हो और एक और ड्रोन भेजा गया हो जो कि तबाही का जायजा ले रहा हो। ड्रोन अब वैश्विक खतरा बन गया है। खुले आसमान को सौ फीसद सुरक्षित बनाना आसान नहीं होता। सभी अलर्ट हैं।
क्या आतंकियों ने नई साजिश रची है?
जिस प्रकार से अब ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ रहा है तो यही कहा जा सकता है कि आतंकवादी यह साजिश रच रहे हैं। इसमें उनके किसी की जान नहीं जाती। अब ड्रोन नई चुनौती बन गया है।
किस तरह से ड्रोन का इस्तेमाल होता है?
यह सब रिमोट से संचालित होता है। इसमें एक रस्सी लगी होती है और उसी से हथियार या फिर अन्य सामान बंधा होता है। जीपीएस लोकेशन पर ड्रोन को थोड़ा नीचे करके रस्सी काट दी जाती है और सामान को फेंक दिया जाता है।
जम्मू में स्लीङ्क्षपग सेल को तोडऩे पर कितना काम हुआ है?
इस पर काम हो रहा है। यहां कई बार स्लीङ्क्षपग सेल के सदस्य पकड़े गए हैं। मकान मालिक किरायेदार रखने से पहले उनकी पुलिस से वेरीफिकेशन भी नहीं कराते हैं। अब पुलिस फिर से यह प्रक्रिया करने जा रही है। अब कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ड्रोन का गलत इस्तेमाल न हो, इसके लिए सभी को ड्रोन खरीदने से पहले उसका पंजीकरण करवाना होगा। कई लोग इसे आनलाइन मंगवा लेते हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल तभी कर सकते हैं जब आपने पंजीकरण करवाया होगा। अन्यथा आप पर कार्रवाई हो सकती है। इस पर जल्दी ही दिशा निर्देश देखने को मिल सकते हैं। डीजीएसएच से तो इजाजत लेना पहले से ही अनिवार्य है।
नशा भी पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बना है?
जी, बिलकुल आपने सही कहा। ड्रग्स भी बड़ी चुनौती है। सीमा पार से कई बार ड्रग्स की बड़ी खेप को जब्त किया गया है। इस साजिश को खत्म करने के लिए पुलिस ने अलग से नारकोटिक्स का एक विंग बनाया है। हमारा प्रयास है कि अगर एक या दो ग्राम हेरोइन भी मिलती है तो भी कार्रवाई की जाए। इसके अलावा लोगों को जागरूक किया जाता है। जम्मू कश्मीर पुलिस ने अपना नशा मुक्त केंद्र खोला है। एक छन्नी हिम्मत भी भी केंद्र बनाने जा रहे हैं। इसके लिए जगह भी ली गई है।
कोरोना में आनलाइन क्राइम बढ़ा है?
आज किसी की सूचना हासिल करना आसान हो गया है, लेकिन प्रयास रहना चाहिए कि अपनी सूचना को गुप्त रखें। जागरूक रहने की जरूरत है। अगर कोई ठगी का शिकार होता है तो उसे पुलिस को भी सूचित करना चाहिए।
क्या पुलिस के पास जांच अधिकारियों की कमी है?
ऐसा बिल्कुल नहीं है। यह एक प्रक्रिया है। पुलिस के पास बहुत से अनुभवी जांच अधिकारी हैं जो कि अपने जूनियर को भी सिखाते हैं।