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स्पीकर बोले, मुझे बताया जाए मेरा प्रोटोकोल क्या है

क्या हमें भी सर्वोच्च न्यायालयों के जजों की तरह मीडिया में जाना पड़ेगा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 18 Jan 2018 11:35 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jan 2018 10:35 PM (IST)
स्पीकर बोले, मुझे बताया जाए मेरा प्रोटोकोल क्या है
स्पीकर बोले, मुझे बताया जाए मेरा प्रोटोकोल क्या है

जम्मू, [राज्य ब्यूरो]। राज्य विधानसभा में बुधवार को माननीयों के प्रोटोकाल के मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। स्पीकर कविंद्र गुप्ता समेत अन्य विधायकों ने अपने प्रोटोकाल को लेकर अपनी ही सरकार को घेर लिया। स्पीकर ने कहा, मुझे बताया जाए कि मेरा प्रोटोकाल क्या है। मेरे काफिले के बीच में उपमुख्यमंत्री के काफिले को छोड़ दिया जाता है।

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मैंने सुरक्षा का मुद्दा एसएसपी के पास भी उठाया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। सरकार कहती है कि कमेटी बनाई जाएगी, वह तो बनती ही रहेगी, लेकिन मुझे बताया जाए कि मेरा प्रोटोकाल क्या है। स्पीकर के समर्थन में आए विपक्षी दल नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सदन से वॉकआउट कर दिया। विपक्ष ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आम विधायक की बात तो दूर यहां स्पीकर के प्रोटोकाल को भी नजरअंदाज किया जा रहा है।

विधानसभा में संसदीय मामलों के विभाग के अनुदान पर विधायकों ने अपने प्रोटोकाल को लेकर सरकार पर जमकर भड़ास निकाली। मामला उस समय गर्माया जब विधायक पवन गुप्ता ने एक उद्घाटन समारोह का जिक्र करते हुए कहा कि विधायकों की प्रोटोकाल की बात तो दूर स्पीकर के प्रोटोकोल को लेकर संशय बना हुआ है। नाम पटिका में पहले नाम उपमुख्यमंत्री का लिखा गया था और बाद में स्पीकर कविंद्र गुप्ता। संविधान में उपमुख्यमंत्री नाम का कोई पद ही नहीं है।

पवन गुप्ता के इतना कहते ही स्पीकर ने कहा कि सड़क पर जब गाडि़यों का काफिला निकलता है तो मेरे काफिले के बीच से उप मुख्यमंत्री के काफिले को गुजारा जाता है। इसपर संसदीय मामलों के मंत्री अब्दुल रहमान वीरी ने कहा कि मामले का समाधान कर लिया जाएगा। इससे पहले माकपा के विधायक मोहम्मद यूसुफ तारीगामी ने कहा कि मंत्रियों ने विधायकों का सम्मान नहीं रखा है। विभिन्न कार्यो के लिए बनाई जाने वाली कमेटियों में अधिकारी आते नहीं है और न आने का कारण भी नहीं बताते हैं। विधायक को बुलाने के लिए मंत्री या अधिकारी नहीं बल्कि उसके निजी सचिव फोन करते हैं। क्या हमें भी सर्वोच्च न्यायालयों के जजों की तरह मीडिया में जाना पड़ेगा।

बीच में हस्तक्षेप करते हुए भाजपा के विधायक चौधरी सुखनंदन ने कहा कि मैंने कहा था कि कमेटियां बंद कर दो। पीडीपी के जावेद बेग ने कहा कि विधायकों का सम्मान होना चाहिए। हम नहीं कहते कि पंचायत चुनाव नहीं करवाए जाएं। पंचायत चुनाव करवाए जाएं, लेकिन इससे पहले विधायकों को उनका प्रोटोकाल बता दिया जाए। मंत्री के पास मिलने के लिए जाओ, तो बाहर पीए के कमरे में बिठाया जाता है।

उसके बाद भाजपा के विधायक राजेश गुप्ता ने एक राज्य मंत्री के पीए की तरफ से लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए कहा कि सत्ता व विपक्ष के विधायकों का प्रोटोकाल के मामले में हाल एक जैसे ही है। पत्र में पीए मुझे कार्यक्रम में न्योता दे रहे हैं। बाद में वह पत्र डिप्टी स्पीकर नजीर अहमद गुरेजी को सौंप दिया गया। गुरेजी ने पत्र पढ़ा और संबंधित राज्यमंत्री के अधीन आने वाले विभागों का जिक्र भी किया। हालांकि राजेश गुप्ता ने संबंधित मंत्री का नाम नहीं लिया, लेकिन जो विभाग गिने, वह प्रिया सेठी के पास हैं।

विधायकों के प्रोटोकाल पर होगा चर्चा :

डिप्टी स्पीकर नजीर अहमद गुरेजी ने कहा कि विधायकों के प्रोटोकाल की भूमिका पर एक घंटे की चर्चा करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि अनुदानों की बहस के बाद विधायकों के प्रोटोकाल के मुद्दे पर सरकार चर्चा करवाए।


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