वाह! मास्टर जी : हेड मास्टर सोनम गेलटसन का कमाल, स्कूल बना दिया अलीशान होटल के समान
सोनम ने अपने वेतन से बस भी खरीदी जो अब बच्चों को स्कूल लाने व छोड़ने का काम करती है। स्कूल की दिशा इस तरह से बदल गई कि अब यह किसी अच्छे प्राइवेट स्कूल से कम नहीं लगता है।
जम्मू, सतनाम सिंह : एक था सरकारी मिडिल स्कूल टकनक। न कुर्सी-न डेस्क। टूटी-फूटी इमारत और धूल फांकते कमरे। बच्चों की संख्या मात्र चार। स्कूल कम और खंडहर अधिक लगता था। ...तभी एक सरकारी शिक्षक सोनम गेलटसन का तबादला लेह से पचास किलोमीटर दूर पैंगांग झील के नजदीक सकटी गांव में स्थिति इस सरकारी स्कूल में हुआ। सूट-बूट पहने और हाथ में अटैची लिए सोनम स्कूल के बाहर पहुंचे तो हालत देख दंग रह गए।
सोनम ने अटैची नीचे रखी, कोट उतारकर कमर में बांधा और पहले ही दिन चारों बच्चों के साथ सफाई में जुट गए। वह वर्ष 2016 था। अपनी मेहनत व लगन से सोनम ने चार साल में स्कूल का नक्शा ही बदल दिया। अब यह स्कूल एक आलीशान होटल की तरह लगता है। अब इस स्कूल में बेहतर शिक्षा, ज्ञानवर्धक व सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ खेलकूद की हर सुविधा है। यही वजह है कि स्कूल में बच्चों की संख्या चार से 103 पहुंच गई है। अब यह स्कूल पूरे केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की पहचान बन गया है।
शिक्षा के क्षेत्र में इसी उल्लेखनीय योगदान के लिए हेड मास्टर सोनम गेलटसन को आज राष्ट्रीय शिक्षक अवार्ड से सम्मानित किया गया। सोनम ने अपनी निष्ठा से वह कर दिखाया जो पहले मुमकिन नहीं लगता था। सोनम ने बताया कि वह भी सकटी गांव के ही रहने वाले हैं। कई जगह पढ़ाने के बाद वर्ष 2016 में जब उनका तबादला अपने गांव में हुआ तो बहुत खुश थे, लेकिन जब गांव पहुंचकर हालत देखी तो दुखी हो गए। स्कूल में बच्चों की संख्या मात्र चार थी और शिक्षक भी चार। गांव के लोग अपने बच्चों को इस स्कूल में नहीं भेजते थे। लोगों का रुख प्राइवेट स्कूलों की तरफ था। सोनम ने कहा कि जब उन्होंने लोगों से अपने बच्चों को सरकारी स्कूल भेजने के लिए कहा तो उन्होंने इसकी हालत का हवाला देकर इन्कार कर दिया। इसी बात को उन्होंने एक चुनौती के रूप में लिया।
अपने वेतन से स्कूल के लिए बस तक खरीद ली : सोनम ने खुद व अपने सहयोगियों और कुछ बच्चों के अभिभावकों से पैसे इकट्ठा किए। सांसद और विधायकों से भी सहयोग मांगा। पहाड़ों के बीच स्थित स्कूल की मरम्मत का कार्य शुरू करवाया। नए डेस्क, बैंच लिए। आधुनिक क्लास रूम बनाए गए। सोनम ने अपने वेतन से बस भी खरीदी, जो अब बच्चों को स्कूल लाने व छोड़ने का काम करती है। स्कूल की दिशा इस तरह से बदल गई कि अब यह किसी अच्छे प्राइवेट स्कूल से कम नहीं लगता है।
केवल शिक्षा ही नहीं स्कीईंग भी करवाई जाती है : हेड मास्टर सोनम ने बताया कि स्कूल में सिर्फ पढ़ाई पर ही ध्यान न देकर खेलकूद, ज्ञानवर्धक, सांस्कृतिक गतिविधियों पर भी जोर दिया गया। प्रतिस्पर्धा के युग में शिक्षा के साथ ऐसी गतिविधियां जरूरी हैं। स्कूल में समय-समय पर क्विज प्रतियोगिता करवाई जाती हैं। यहां बच्चों को स्कीईंग भी सिखाई जाती है। यह वजह है कि इससे बच्चों की संख्या बढ़ती गई। आज स्कूल में 103 विद्यार्थी और 12 अध्यापक हैं।
सोनम बोले, मेहनत कभी बेकार नहीं जाती : सोनम बताते हैं कि मुझे पहले जोनल स्तर पर भी अवार्ड और सराहना पत्र मिल चुके है, लेकिन मैंने मेहनत किसी अवार्ड के लिए नहीं बल्कि गांव के बच्चों को शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए की। हां, आज राष्ट्रपति के हाथों राष्ट्रीय अवार्ड पाकर वह बहुत खुश हैं।। सोनम बीए और बीएड करने के बाद वर्ष 2003 में बतौर अध्यापक तैनात हुए। कई सरकारी स्कूलों में काम किया। हर जगह पर बेहतर से बेहतर शिक्षा देने की कोशिश की। सोनम ने कहा कि मेहनत कभी भी बेकार नहीं जाती। मैं चाहता हूं कि शिक्षा से कोई महरूम न रहें।
- सोनम सर ग्रेट हैं। उनके पढ़ाने का तरीका बेहतर है। समझाकर लिखवाया जाता है। रिवीजन करवाई जाती है। हमें पढ़ाई का बेहतरीन वातावरण मिल रहा है। उनकी मेहनत से ही हमारा स्कूल प्राइवेट स्कूलों से भी बेहतर हो गया है। -ताशी चंडोल, छात्र
- गांव में मिडिल स्कूल की हालत को सुधारने में हमारे अध्यापक सोनम का अहम योगदान रहा है। हमें पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों में भाग लेने का मौका दिया जाता है। सॢदयों में जब बर्फ पड़ती है तो स्कीईंग करवाई जाती है। समय समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है। किसी चीज की कमी महसूस नहीं होती है। -स्टैंजिन नामडोन, छात्र
- पढ़ाई मेें बहुत मजा आता है। सोनम सर सिर्फ पढ़ाते ही नहीं है बल्कि स्कूल में सारे कार्य करवाने का जिम्मा भी उठाते हैं। खेलने का सामान भी मिलता है। छोटे बच्चों के लिए खिलौने भी रखे गए हैं। हमारा स्कूल सबसे अच्छा है। कोई कमी नहीं है। -पदमा अंगमो, छात्र