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तंत्र के गण : गेंदे के फूलों की खुशबू से मुस्कुरा उठी जिंदगी, 80 की उम्र में भी मान कौर को है फूलों की खेती का जुनून

आरएसपुरा के सीमावर्ती क्षेत्र कोरोटाना की 80 साल की मानकौर का नाम भी ऐसे लोगों में शुमार है। मुश्किल दौर से गुजरते हुए भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। पति रतन सिंह के निधन के बाद घर परिवार चलाना मुश्किल हो गया था। ऐसे में मानकौर को खेती में आना पड़ा।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 07:37 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 07:37 AM (IST)
तंत्र के गण : गेंदे के फूलों की खुशबू से मुस्कुरा उठी जिंदगी, 80 की उम्र में भी मान कौर को है फूलों की खेती का जुनून
मान कौर कहती हैं कि यह फूलों की खेती नहीं, बल्कि उनकी जिंदगी है।

जम्मू, गुलदेव राज । जीवन में कठिन समय कभी भी किसी पर भी आ सकता है, लेकिन जो इन कठिनाइयों का सामना कर अपनी जिंदगी की राह निकाल लें, वही समाज में अपनी अलग पहचान बनाता है। आरएसपुरा के सीमावर्ती क्षेत्र कोरोटाना की 80 साल की मान कौर का नाम भी ऐसे लोगों में शुमार है। मुश्किल दौर से गुजरते हुए भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। पति रतन सिंह के निधन के बाद घर परिवार चलाना मुश्किल हो गया था। ऐसे में मान कौर को खेती में आना पड़ा।

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दस कनाल भूमि में हाइब्रिड गेंदे से अच्छी कमाई कर रही हैं

20 साल पहले उन्होंने फूलों की खेती में हाथ आजमाया, क्योंकि दो बेटे और दो बेटियों के पालन पोषण की जिम्मेदारी उनके ही कंधों पर थी। गेंदे के फूल जब तैयार हो गए तो उन्होंने इसे बेचकर घर का खर्च निकालना शुरू किया। बाद में मानकौर ने हाइब्रिड गेंदे को अपने खेतों में जगह दी। उनको इसकी खेती के बारे में ज्यादा पता नहीं था, लेकिन वे धीरे-धीरे सब सीख गईं। आज वह दस कनाल भूमि में हाइब्रिड गेंदे से अच्छी कमाई कर रही हैं। इससे वे दो लाख रुपये तक कमा लेती हैं। फूलों की खेती से मानकौर के घर में खुशहाली आई और घर की जरूरतें पूरी हुईं।

फूलों की खेती का जुनून आज भी बना हुआ है

उन्होंने बताया कि फूलों की खेती से ही वे अपनी दोनों बेटियों की शादी कर सकीं और दोनों बेटों को अपने पैरों पर खड़ा किया। आज बेटे सरकारी नौकरी कर रहे हैं, लेकिन मां का जुनून फूलों की खेती में आज भी बना हुआ है। उन्होंने नए सीजन के लिए हाइब्रिड गेंदे के फूलों की पनीरी लगाने की तैयारी कर ली है। फूलों की खेती के लिए कुछ दूसरी महिलाएं भी सहयोग करती हैं और बदले में उनको मेहनताना प्राप्त हो रहा है। मान कौर कहती हैं कि यह फूलों की खेती नहीं, बल्कि उनकी जिंदगी है। इसी के बल पर ही उन्होंने घर के सभी लोगों की जरूरत को पूरा किया। ऐसे में गेंदें के फूलों की खेती को वह हमेशा करती रहेंगी।  


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