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Bazar Se: कहां गई अधिकारिक भाषाएं, अंग्रेजी में लगाए जा रहे साइन बोर्ड

बड़ा सवाल है कि आखिरकार जम्मू-कश्मीर की अधिकारिक भाषाएं केवल फाइलों में नाम दर्ज कराने के लिए ही बनाई गई हैं? जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पिछले साल संसद में एक बिल पारित करके हिंदी अंगेजी डोगरी उर्दू व कश्मीरी को प्रदेश की अधिकारिक भाषा बनाया गया

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Fri, 19 Mar 2021 06:19 PM (IST)Updated: Fri, 19 Mar 2021 06:19 PM (IST)
Bazar Se: कहां गई अधिकारिक भाषाएं, अंग्रेजी में लगाए जा रहे साइन बोर्ड
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत हर तरफ नए साइन बोर्ड सिर्फ अंग्रेजी भाषा में ही लगाए जा रहे हैं।

बाजार से...

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जम्मू में इन दिनों स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत हर तरफ नए साइन बोर्ड लग रहे हैं, लेकिन हैरत की बात यह है कि ये साइन बोर्ड सिर्फ अंग्रेजी भाषा में ही लगाए जा रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिरकार जम्मू-कश्मीर की अधिकारिक भाषाएं केवल फाइलों में नाम दर्ज कराने के लिए ही बनाई गई हैं? जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पिछले साल संसद में एक बिल पारित करके हिंदी, अंगेजी, डोगरी, उर्दू व कश्मीरी को प्रदेश की अधिकारिक भाषा बनाया गया है। अमूमन तो ऐसा होता है कि सरकारी स्तर पर कोई भी साइन बोर्ड प्रदेश की अधिकारिक भाषाओं में लगाया जाता है। हिंदी के बाद अंग्रेजी भाषा को तवज्जो दी जाती है, लेकिन यहां तो जम्मू नगर निगम ने हिंदी को ही अलविदा कर दिया। आज तक तो जम्मू-कश्मीर के अधिकतर साइन बोर्ड हिंदी-अग्रेजी में हुआ करते थे, या ज्यादा से ज्यादा कहीं-कहीं उर्दू में, लेकिन अब जम्मू नगर निगम सबको अंग्रेज बनाने निकल पड़ा है।

खूब वायरल हुआ डीसी जम्मू का पुराना आदेश

पिछले एक सप्ताह से सोशल मीडिया पर जम्मू की पूर्व डिप्टी कमिश्नर सुषमा चौहान का एक आदेश खूब वायरल हो रहा है। यह वो आदेश है जो पिछले साल मार्च में जारी हुआ था और जिसके तहत सभी स्कूल, कालेज, होटल-रेस्तरां, सैलून व जिम 31 मार्च तक बंद रखने को कहा गया था। लॉकडाउन से पूर्व यह आदेश जारी हुआ था और इस साल मार्च महीना आते ही शरारती तत्वों ने इस पुराने संदेश को फिर से वायरल कर दिया, जिससे हर ओर यह अफवाह फैल गई कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए दोबारा ये प्रतिबंध लगा दिए गए है। यह तो प्रशासनिक फेरबदल था, जिसने इस वायरल होते संदेश पर अंकुश लगा दिया। प्रशासनिक फेरबदल में जम्मू की डिप्टी कमिश्नर सुषमा चौहान का तबादला हो गया और उसके बाद संदेश खुद-ब-खुद रुक गया, लेकिन समाज में उथल-पुथल करने वाले ऐसे संदेशों पर अंकुश लगाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जा रहा।

चढ़ने लगा होली का रंग

रंगों के त्योहार होली के नजदीक आते ही शहर के बाजारों में रंग-बिरंगे गुब्बारे, पिचकारियां व गुलाल की महक छाने लगी है। शहर के बाजारों में दुकानें होली के रंगों से सज गई है तो वहीं गली-मुहल्लों में बच्चाें की टोलियां भी नजर आने लगी है। छतों से गुब्बारे फेंकने का सिलसिला शुरू हो गया है। रंगों के इस त्योहार को लेकर बच्चों में काफी उत्साह रहता है और इस साल तो स्कूल के तनाव से मुक्त ये बच्चे जमकर धमाल मचा रहे हैं। प्राइमरी तक अधिकांश बच्चों की ऑनलाइन परीक्षाएं सम्पन्न हो गई है और इन बच्चों ने अभी से छतों पर मोर्चा संभाल लिया है। जम्मू में 29 मार्च को होली मनाई जा रही है, जिसे लेकर अभी से तैयारियां जोरों पर है। हालांकि मौसम में अभी वो गर्मी नहीं आई, जिसमें बच्चे खुलकर पानी व रंगों से खेल सके और यही कारण है कि अभी अभिभावक बच्चों को पानी से दूर रखने में जुटे हैं।

आखिर जिम्मेदार कौन

जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिद्दड़ा बाईपास पर रेस्तरां-ढाबे सील किए जाने को लेकर पिछले एक पखवाड़े से हर ओर चर्चाएं चल रही हैं। प्रशासन की मानें तो ये रेस्तरां सरकारी जमीन पर कब्जा कर बने थे और हुड़दंग मचाने वालों का अड्डा बन चुके थे। उधर, रेस्तरां चलाने वालों का दावा है कि उन्होंने सभी नियमों का पालन करते हुए रेस्तरां खोले और उनके पास रेस्तरां चलाने के लिए सभी लाइसेंस भी हैं। अब ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर ये रेस्तरां सरकारी जमीन पर कब्जा कर बने हैं तो उस समय प्रशासन कहां सोया था, जब ये रेस्तरां बन रहे थे। दो-तीन साल में इस बाईपास रोड पर रेस्तरां की भरमार हो गई और प्रशासन सोया रहा। अगर ये रेस्तरां अवैध थे तो इन रेस्तरां को चलाने के लिए इन्हें फूड सेफ्टी लाइसेंस कैसे मिल गए? ऐसे कई सवाल हैं, जिनका कोई जवाब देने को तैयार नहीं और आज जबकि इन रेस्तरां से सैंकड़ों को रोजगार मिल रहा था, प्रशासन ने अपनी ताकत दिखाकर सब बंद करवा दिया।


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