Jammu Kashmir: रेत-बजरी की कमी से रिंग रोड का काम रुका, दिसंबर 2021 तक रोड बनाने का लक्ष्य
नेशनल हाईवे अथारिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अजय कुमार रजत का कहना है कि जम्मू कश्मीर में नदी-नालों में खनन पर राज्य प्रशासन की तरफ से रोक लगाने से निर्माण सामग्री नहीं मिल रही है। इसके चलते पिछले साल सितंबर माह र्से रिंग रोड का काम रुका है।
जम्मू, अवधेश चौहान : जम्र्मू रिंग रोड के दूसरे चरण का काम निर्माण सामग्री नहीं मिलने से रुक गया है। निर्माण कार्य अधर में लटकने का मुख्य कारण रेत, बजरी, पत्थर आदि नहीं मिलना बताया जा रहा है। इस महत्वाकांक्षी योजना का 30 फीसद काम ही पूरा हो पाया है। दिसंबर 2021 तक 58 किलोमीटर लंर्बे रिंग रोड को पूरा करने का लक्ष्य है। ऐसे में यदि जल्द निर्माण सामग्री नहीं मिली तो तय समय में इसका निर्माण नहीं हो पाएगा। ऐसे में इसकी कुल लागत 2024 करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ जाएगी।
नेशनल हाईवे अथारिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अजय कुमार रजत का कहना है कि जम्मू कश्मीर में नदी-नालों में खनन पर राज्य प्रशासन की तरफ से रोक लगाने की वजह से निर्माण सामग्री नहीं मिल रही है। इसके चलते पिछले साल सितंबर माह र्से रिंग रोड का काम रुका हुआ है। जब कोरोना महामारी फैली तो सड़क के काम से जुड़े मजदूर अपने घरों को चले गए थे। इसकी वजह से भी कुछ परेशानी आई, लेकिन मुख्य समस्या निर्माण सामग्री की हैर्। रिंग रोड के दूसरे चरण का उद्घाटन 31 दिसंबर को किया जाना था। ठेकेदारों को कई बार दूरदराज क्षेत्रों से मिट्टी, रेत, बजरी, कंकड़ आदि मंगवाना महंगा पड़ रहा है।
गौरतलब है र्कि रिंग रोड के पहले चरण में अखनूर रोड से कोटभलवाल तक बनी सड़क का उद्घाटन पिछले साल अगस्त माह में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र्र सिंह ने किया था। तीसरे चरण में यह रोड जम्मू के अंतरर्राष्ट्रीय बार्डर के पास निक्की तवी, फ्लायं मंडाल, अलौरा, सुहांजना आदि इलाकों से गुजरेगी। पहले चरण में अखनूर से कोटभलवाल और जगटी होते हुए जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग 1-ए से यह पहले ही जुड़ चुका है।
दूसरे चरण में 10 किलोमीटर लंबी बनानी है सड़र्क
रिंग रोड का दूसरा चरण करीब दस किलोमीटर लंबा है। यह सड़क सांबा जिले के पटली मोड़ से होता हुआ करवाल बाह्मणा, सरोर, पल्ली, चक्क अवतारा, पृथ्वीपुर, नौग्रां महमूदपुर गांवों से गुजरना था। चक्क अवतारा में ग्रामीणों ने निर्माण कार्य पर कोर्ट का स्टे लिया हुआ है। उनका मानना है कि चक्क अवतारा में सरकार की ओर से एक कनाल के चार लाख रुपये दिए जा रहे हैं, जबकि यहां एक मरला भूमि की ही कीमत चार लाख रुपये है। ऐसे में उन्हें एक कनाल जमीन पर १६ लाख रुपये नुकसान हो रहा है।