Jammu Kashmir: खेती मजदूरों की कमी ने बासमती उत्पादक किसानों की बढ़ाई परेशानियां
किसानों का कहना है कि अगर इसी तरह से चलता रहा तो किसान को खेती से पीछे हटना पड़ेगा। अरनिया गांव के किसान महेश सिंह का कहना है कि फल पक कर तैयार है। जहां कहीं मजदूर मिल भी रहे हैं वे बहुत ज्यादा मजदूरी मांग रहे हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता: बासमती धान पक आई है। लेकिन इसकी कटाई के लिए किसानों को खेती मजदूर नही मिल रहे हैं। कोरोना महामारी के चलते बाहरी राज्यों से खेती मजदूर बहुत ही कम संख्या में पहुंच रहे हैं।ऐसे में आरएस पुरा बासमती बेल्ट के किसानों के लिए दिक्कतें खड़ी हो गई हैं। फसल पक गई है मगर कटाई के लिए मजदूर नही मिल रहे।
वहीं दूसरी ओर आने वाले दिनों में मौसम बिगड़ने के आसार अलग से हैं जिसको लेकर किसान चिंतित हैं। क्षेत्र में बहुत ही कम खेती मजदूर दिखाई पड़ रहे हैं। हालांकि किसान स्थानीय क्षेत्र के मजदूरों की सहायता ले रहे हैं मगर इनकी मजदूरी मजदूरी भी आसमान छू रही है। इन दिनों एक एकड़ खेत में लगी फसल कटाई के लिए मजदूर छह हजार रुपए से कम काम करने को तैयार नही। महंगी मजदूरी से बासमती उत्पादक किसान गहरे संकट में फंसता जा रहा है। धान की रोपाई के समय भी खेती मजदूरों की जमकर कमी बनी थी और महंगी मजदूरी का खर्च किसानों को सहन करनी पड़ी थी।
किसानों का कहना है कि अगर इसी तरह से चलता रहा तो किसान को खेती से पीछे हटना पड़ेगा। अरनिया गांव के किसान महेश सिंह का कहना है कि फल पक कर तैयार है मगर खेती मजदूर है ही नही। जहां कहीं मजदूर मिल भी रहे हैं, वे बहुत ज्यादा मजदूरी मांग रहे हैं। ऐसे में बासमती धान की कटाई का संकट बन रहा है। वहीं किसान अजय चदगाल ने कहा कि कोरोना के कारण अभी भी बाहरी राज्यों से मजदूर यहां आने को तैयार नही है। ऐसे में हमने स्वयं ही बासमती धान की कटाई करने का मन बनाया है।
अपने अड़ोस पड़ोस व घर के सदस्य मिलकर खेतों में काम कर रहे हैं व कटाई के काम को निपटा रहे हैं। प्रशासन को चाहिए कि बाहरी राज्यों के मजदूरों के आवागमन में बनी अड़चनों को तुरंत दूर किया जाए।