Shopian Encounter: पिछले छह महीनों से लापता युवक निकले आतंकी, शोपियां मुठभेड़ में मार गिराए गए
Shopian Encounter सुरक्षाबलों ने चारों आतंकियों से आत्मसमर्पण करने के लिए कई बार कहा परंतु उन्होंने एक न सुनी और गोलीबारी जारी रखी। एक के बाद एक सुरक्षाबलों ने चारों आतंकियों को ढेर कर दिया। इस मुठभेड़ में सेना का एक जवान भी घायल हुआ है।
श्रीनगर, जेएनएन। शोपियां मुठभेड़ में आज सोमवार सुबह सुरक्षाबलों द्वारा मार गिराए गए आतंकियों की पहचान हो चुकी है। ये चारों आतंकी लश्कर-ए-मुस्तफा और लश्कर-ए-तैयबा से संबंधित थे। इन चारों को आतंकी संगठन में शामिल हुए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ था। चार से छह महीने पहले ही ये आतंकी संगठन में शामिल हुए। कश्मीर घाटी के विभिन्न इलाकों के रहने वाले ये युवक छह महीने की अवधि के दौरान अपने घरों से लापता हो गए थे। विभिन्न पुलिस थानों में इन युवकों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज है। यही नहीं इनके परिजन कई बार सोशल मीडिया केे माध्यम से अपने बच्चों को घर लौटने व आतंकी संगठनों से उन्हें सौंपने की गुहार लगा चुके थे।
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शोपियां के मनिहाल गांव में आज सुरक्षाबलों ने चार आतंकवादियों को घेर लिया था। अपने आप को सुरक्षाबलों के बीच घिरता देख इन आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर गोलीबारी की। सुरक्षाबलों ने चारों आतंकियों से आत्मसमर्पण करने के लिए कई बार कहा परंतु उन्होंने एक न सुनी और गोलीबारी जारी रखी। एक के बाद एक सुरक्षाबलों ने चारों आतंकियों को ढेर कर दिया। इस मुठभेड़ में सेना का एक जवान भी घायल हुआ है।
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मारे गए चारों आतंकियों में शामिल आमिर शरीफ निवासी बाटापोरा 13 फरवरी 2021 से अपने घर से लापता था। ढूंढने के बाद भी जब परिजनों को उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो उन्होंने पुलिस में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। इसी तरह दूसरा आतंकी रईस अहमद भट निवासी डीकेपोरा शोपियां भी पिछले साल 13 अक्टूबर 2020 को अपने घर से लापता हो गया था। इसके अलावा मुठभेड़ में मारे गए तीसरे आतंकी की पहचान आकिब मलिक निवासी अरशीपोरा शोपियां गत वर्ष 25 दिसंबर 2020 को लापता हो गया था। इसी मुठभेड़ में मारा गया चौथा आतंकी भी स्थानीय है। शोपियां के दाशीपोरा का रहने वाला अल्ताफ अहमद वानी 24 नवंबर 2020 से लापता था।
वहीं कश्मीर के आइजी विजय कुमार ने कहा कि संगठनों में कम होते सदस्यों की संख्या से आतंकी संगठन काफी आहत हैं। कश्मीर में आतंकवाद को जिंदा रखने के लिए ये आतंकी संगठन सोशल मीडिया व ओवरग्राउंड वर्करों की मदद से स्थानीय युवाओं की संगठन में भर्ती कर रहे हैं। हमने काफी हद तक शिकंजा कसा है। कई युवाओं को वापस भी लाया है। परंतु अफसोस की बात है कि इन चार स्थानीय आतंकियों ने उनकी बात नहीं सुनी। मुठभेड़ के साथ इन्हें आत्मसपर्मण करने के लिए बार-बार मौका दिया गया परंतु उन्होंने इसे नामंजूर कर दिया। उन्होंने एक बार फिर कश्मीर घाटी के युवाओं से अपील की कि वह आतंकियों के बहकावें में आकर गलत राह पर न चले। सुरक्षाबल उनकी सुरक्षा के लिए यहां तैनात हैं न कि उन्हें मारने के लिए।