शिवखोड़ी धाम में शुरू हुआ शिवरात्रि मेला
जम्मू संभाग के जिला रियासी में शिवखोड़ी धाम का प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में अपना विशिष्ट स्थान है। यहीं वजह है कि विश्व प्रसिद्ध अमरनाथ की पवित्र गुफा की भांति हर वर्ष लाखों की तादाद में शिव भक्त शिवखोड़ी में भोले बाबा के दर्शनों के लिए आते हैं।
पौनी (जम्मू), जेएनएन। जम्मू संभाग के जिला रियासी में शिवखोड़ी धाम का प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में अपना विशिष्ट स्थान है। यहीं वजह है कि विश्व प्रसिद्ध अमरनाथ की पवित्र गुफा की भांति हर वर्ष लाखों की तादाद में शिव भक्त शिवखोड़ी में भोले बाबा के दर्शनों के लिए आते हैं।
रविवार को शुरू हुए तीन दिवसीय शिवरात्रि मेले का उद्घाटन डिवीजन कमिश्नर संजीव कुमार वर्मा ने किया। माता वैष्णों देवी के दर्शनों के बाद देश भर से आने वाले अधिकतर श्रद्धालु रनसू पहुंच रहे हैं । यहां से आगे तीन किमी दूर प्राकृतिक गुफा स्थित है। पूरे मार्ग को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया है। यात्रा मार्ग पर जाने वाले श्रद्धालुओं को किसी किस्म की कोई असुविधा न होने इसके लिए प्रशासन की ओर से पूरे बंदोबस्त किए गए हैं। रनसू पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के मार्गदर्शन के लिए गाइड और पंडित मिलते हैं जो उन्हों शिवखोड़ी धाम की पौराणिक मान्यताओं की जानकारी दे रहे हैं।
अंजली कुंड में नंदी ने पीया
गुफा तक की यात्रा के दौरान भक्तों को रास्ते में कई रमणीय स्थलों के दर्शन होते हैं। यात्रा शुरू करते ही सबसे पहले दूध गंगा के दर्शन किए जाते हैं। इससे कुछ दूर आगे चलते ही एक कुंड के दर्शन होते हैं जिसे अंजली कुंड के नाम से जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार अंजली कुंड में नंदी (बैल) ने पानी पीया था।यहां नंदी के पैरों के निशान बने हुए हैं। 12 फीट गहरे कुंड में यात्री मछलियों को आटा डालकर पुण्य कमाते हैं।
जल्द होगा दूसरे मार्ग का निर्माण
शिवखोड़ी श्राइन बोर्ड की वाइस चेयरपर्सन व डीसी रियासी इंदु कंवल चिब का कहना है कि आगामी दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या में काफी बढ़ोतरी हो जाएगी। शिवखोड़ी में दूसरा मार्ग बनाने के लिए बात हो चुकी है। आने वाले समय में गुफा तक दूसरा मार्ग का निर्माण भी हो जाएगा जिसमें एक मार्ग से श्रद्धालु व दूसरे रास्ते से घोड़ा, पिट्ठू वाले गुफा की ओर आगे बढ़ेंगे।
रनसू से गुफा तक दौड़ेगी केबल कार
शिवखोड़ी में भोले बाबा के दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को हेलीकाप्टर सेवा के बाद केबल कार सेवा का तोहफा भी जल्द मिलने वाला है। जेएंडके केबल कार कॉरपोरेशन द्वारा रनसू से गुफा तक तीन किमी केबल कार सेवा शुरू करने के लिए सर्वे शुरू कर दिया गया है। यहां हेलीकॉप्टर सेवा कुछ समय तक चली थी। सितंबर 2014 में बारिश के दौरान हैलीपेड से गुफा तक आधा किमी यात्रा मार्ग क्षतिग्रस्त होने के बाद हेलीकाप्टर सेवा बंद करनी पड़ी थी। अब रास्ता बनने के बाद एक बार फिर से जल्द हेलीकॉप्टर सेवा शुरू होने की उम्मीद है।
वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है जम्मू का रणवीरेश्वर मंदिर
प्राचीन मंदिर, धार्मिक स्थल, ऐतिहासिक स्थल, और सांस्कृतिक स्मारक मंदिरों के शहर जम्मू कीमती विरासत का हिस्सा हैं। जम्मू का रणवीरेश्वर मंदिर उत्तर भारत के सबसे बडे़ मंदिरों में शामिल है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा रणवीर सिंह ने करवाया। महाराजा रणवीर सिंह अपने पिता गुलाब सिंह की तरह धार्मिक विचारों के राजा थे। वह जम्मू को काशी की तरह धर्म नगरी बनाना चाहते थे। उनके कार्यकाल में कई मंदिर बनवाये गए। महाराजा रणवीर सिहं ने 1856 से 1885 तक बड़ी सफलता के साथ राज किया। उनके द्वारा बनवाया गया रणवीरेश्वर मंदिर वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है। यह मंदिर परेड के दक्षिण में शालीमार सड़क पर है। इसे उत्तर भारत का सबसे बड़ा शिव मंदिर माना जाता है। इस मंदिर को 1873 ई. में बनवाया गया था। तीन मंजिला इस मंदिर की दो मंजिलों में साधु महात्माओं के रहने की व्यवस्था है।
मंदिर के सामने काफी खुली जगह है यहां मेले भंडारे आदि आयोजित किये जाते हैं। शिवरात्रि के दिन इस मंदिर में मेले का आयोजन किया जाता है। हजारों की संख्या में शिव भक्त पूजा अर्चना के लिए यहां आते हैं। मंदिर में पीत्तल के बने नंदी जी के दर्शन होते हैं। डा. कर्ण सिहं ने मैसूर से बनाकर यहां स्थापित करवाया था। मंदिर में अखंड ज्योत जगती है। उसी के साथ महाकाली की मूर्ति और पंचमुखी हनुमान जी का छोटा मंदिर है। मुख्य दरबाजे की दायीं तरफ श्री गणेश जी और कार्तिकेय जी की मूर्ति स्थापित है। मंदिर में संगमरमर के सात फुट ऊंचे शिव लिंग के दर्शन होते हैं। इसके दोनों तरफ पांच-पांच शिवलिंग हैं, जो बडे़ शिवलिंग के रंग के हैं। इनकी ऊंचाई करीब अढ़ाई फीट है। मंदिर में शिव पार्वती के सफेद संगमरमर की बड़ी मूर्ति और गणेश जी की छोटी मूर्ति स्थापित है। इन मूर्तियों को देखकर ऐसा दिखता है मानों शिव पार्वती गणेश जी कैलाश पर विराजमान हों। मंदिर के अंदर ऊंचे चबूतरे पर सवा लाख छोटे शिवलिंग स्थापित हैं। जहां भक्त जल और फल अर्पण करते हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार के पास कार्तिकेय जी की मूर्ति के पास भी ऐसे शिवलिंग स्थापित हैं।
धर्मार्थ ट्रस्ट के अध्यक्ष ट्रस्टी डा. कर्ण सिंह ने अपने परदादा महाराजा रणवीर सिंह की प्रतिमा 1986 को मंदिर परिसर में स्थापित करवायी। मंदिर में पीपल के पेड़ के अलावा कई दूसरे पेड़ भी लगे हुए हैं।