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Jammu Kashmir: कश्मीर में शियाओं ने की छह विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन की मांग

केके शर्मा ने प्रतिनिधिमंडल को यकीन दिलाया कि परिसीमन की प्रक्रिया को निर्धारित नियमों के आधार पर पूरी तरह निष्पक्ष स्वतंत्र और पारदर्शी तरीके से आगे बढ़ाया जा रहा है। इसमें सभी वर्गों को ध्यान में रखा जा रहा है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 25 Aug 2021 08:29 AM (IST)Updated: Wed, 25 Aug 2021 08:29 AM (IST)
इन क्षेत्रों की आबादी और भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इनकी सीमा दोबारा तय की जाए।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया के दौरान अपने राजनीतिक हितों के संरक्षण के लिए शिया समुदाय भी सक्रिय हो गया है। शिया समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश चुनाव आयुक्त केके शर्मा से मुलाकात कर कश्मीर में छह विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन की मांग की है। इनमें से दो श्रीनगर शहर के भीतर ही हैं, जबकि तीन बड़गाम और एक उत्तरी कश्मीर के बारामुला जिले में है।

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कश्मीर में शिया समुदाय की अच्छी खासी आबादी है। यह करीब 17 लाख है। बडग़ाम जिले को शिया बहुल माना जाता है। पांच अगस्त, 2019 से पहले के जम्मू कश्मीर राज्य में मुश्किल से दो से तीन ही शिया उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंच पाते थे। फिलहाल, परिसीमन की प्रक्रिया जारी है।

यह इसी साल दिसंबर के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है। परिसीमन प्रक्रिया के पूरा होते ही विधानसभा के गठन के लिए चुनाव कराए जाएंगे। सभी राजनीतिक दल, सभी सामाजिक संगठन और वर्ग अपने अपने राजनीतिकि हितों के संरक्षण के लिए परिसीमन आयोग और प्रदेश चुनाव आयुक्त से लगातार संपर्क कर उन्हेंं अपने अपने मुद्दों से अवगत करा रहे हैं।

शिया पोलिटिकल कांफ्रेंस के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश चुनाव आयुक्त केके शर्मा से मुलाकात कर शियाओं के राजनीतिक हितों पर बात की है। उन्होंने श्रीनगर के जडीबल व नगीन, बड़गाम जिले के बड़गाम, मागाम व बीरवाह और बारामुला के पट्टन विधानसभा क्षेत्र के परिसीमन पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों की आबादी और भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इनकी सीमा दोबारा तय की जाए।

अगर नियमों को पूरी तरह से ध्यान में रखा जाता है तो शिया समुदाय के साथ बीते 74 साल से जारी राजनीतिक पक्षपात दूर हो जाएगा। इस पर केके शर्मा ने प्रतिनिधिमंडल को यकीन दिलाया कि परिसीमन की प्रक्रिया को निर्धारित नियमों के आधार पर पूरी तरह निष्पक्ष, स्वतंत्र और पारदर्शी तरीके से आगे बढ़ाया जा रहा है। इसमें सभी वर्गों को ध्यान में रखा जा रहा है। 


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