Move to Jagran APP

षट्तिला एकादशी व्रत 28 जनवरी को, इन छह तरीकों से करें तिल का प्रयोग, खुल जाएगी किस्मत

भगवान विष्णु ने नारद जी को एक सत्य घटना से अवगत कराया और नारदजी को एक षट्तिला एकादशी के व्रत का महत्व बताया। इस प्रकार सभी मनुष्यों को लालच का त्याग करना चाहिए। किसी प्रकार का लोभ नहीं करना चाहिए।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 02:40 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 02:40 PM (IST)
षट्तिला एकादशी व्रत 28 जनवरी को, इन छह तरीकों से करें तिल का प्रयोग, खुल जाएगी किस्मत
इस व्रत को निराहार या फलाहार दोनों ही तरीकों से रखा जा सकता है।

जम्मू, जेएनएन : माघ महीना बहुत पवित्र माना जाता है। माघ मास लगते ही मनुष्य को स्नान आदि करके शुद्ध रहना चाहिए। इंद्रियों को वश में कर काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या तथा द्वेष आदि का त्याग कर भगवान का स्मरण करना चाहिए। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियां होती हैं, परंतु जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है।

loksabha election banner

माघ माह में कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को षट्तिला एकादशी कहा जाता है। षट्तिला एकादशी तिथि का आरंभ 27 जनवरी, गुरुवार रात 02 बजकर 17 मिनट पर होगा और षट्तिला एकादशी तिथि 28 जनवरी, शुक्रवार रात 11 बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगी। सूर्योदय व्यापिनी एकादशी तिथि 28 जनवरी शुक्रवार को है ऐसे में षट्तिला एकादशी का व्रत 28 जनवरी शुक्रवार को रखा जाएगा। षट्तिला एकादशी व्रत का पारण 29 जनवरी, शनिवार, द्वादशी तिथि को प्रातः 07.11 बजे से 09.20 बजे तक कर सकते है।

इन छह तरीकों से करें तिल का प्रयोग, खुल जाएगी किस्मत : श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष के महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया पद्म पुराण में षट्तिला एकादशी का बहुत महात्मय बताया गया है। षट्तिला एकादशी के दिन तिलों का छह प्रकार से उपयोग करने से किस्मत खुल जाती है और दुर्भाग्य मिट जाता है। जिसमें जल में तिल डालकर स्नान करना, तिल का उबटन लगाना, तिल से हवन करना, तिल से तर्पण करना, तिल का भोजन करना और तिलों का दान करना आदि इसी कारण यह षट्तिला एकादशी कही जाती है।

सबसे पहले नारद जी ने रखा था षट्तिला एकादशी व्रत : भगवान विष्णु ने नारद जी को एक सत्य घटना से अवगत कराया और नारदजी को एक षट्तिला एकादशी के व्रत का महत्व बताया। इस प्रकार सभी मनुष्यों को लालच का त्याग करना चाहिए। किसी प्रकार का लोभ नहीं करना चाहिए। षट्तिला एकादशी के दिन तिल के साथ अन्य अन्नादि का भी दान करना चाहिए। इससे मनुष्य का सौभाग्य बली होगा, कष्ट तथा दरिद्रता दूर होगी, विधिवत तरीके से व्रत रखने से स्वर्गलोक की प्राप्ति होगी। अगर कोई इस एकादशी का व्रत नहीं रखता है और मात्र कथा सुनता है तो भी उसे वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

इस प्रकार पूजन करें : इस व्रत के पूजन के विषय में महंत रोहित शास्त्री ने बताया शारीरिक शुद्धता के साथ ही मन की पवित्रता का भी ध्यान रखना चाहिए। प्रातः काल पति पत्नी संयुक्त रूप से लक्ष्मीनारायण की उपासना करें। इस दिन सुबह स्नान कर पूजा के कमरे या घर में किसी शुद्ध स्थान पर एक साफ चौकी पर भगवान लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद पूरे कमरे में एवं चौकी पर गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के कलश (घड़े) में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें, उसमें उपस्तिथ देवी-देवता, नवग्रहों, तीर्थों, योगिनियों और नगर देवता की पूजा आराधना करनी चाहिए। इसके बाद पूजन का संकल्प लें और वैदिक मंत्रो एवं विष्णुसहस्रनाम के मंत्रों द्वारा भगवान लक्ष्मीनारायण सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसमें आवाह्न, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान,तिल,दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्रपुष्पांजलि आदि करें। व्रत की कथा करें अथवा सुने तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें। *ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें।

व्रत रखने की विधि : इस व्रत को निराहार या फलाहार दोनों ही तरीकों से रखा जा सकता है। व्रत रखने वाले शाम के समय भगवान विष्णु का पूजन करने के बाद फल ग्रहण कर सकते हैं। लेकिन इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है। व्रत के अगले दिन द्वादशी पर किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर कुछ दान-दक्षिणा जरूर दें।

एकादशी के दिनों में इन बातों का रखें खास ख्याल : एकादशी के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए,ब्रहम्चार्य का पालन करना चाहिए। इन दिनों में शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। व्रत रखने वालों को इस व्रत के दौरान दाढ़ी-मूंछ और बाल नाखून नहीं काटने चाहिए। व्रत करने वालों को पूजा के दौरान बेल्ट, चप्पल-जूते या फिर चमड़े की बनी चीजें नहीं पहननी चाहिए। काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए। किसी का दिल दुखाना सबसे बड़ी हिंसा मानी जाती है। गलत काम करने से आपके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.