सास पुराण ने दूर की सास-बहू के रिश्तों की गलतफहमियां
नाटक एक एकल परिवार से शुरू होता है जिसमें एक दंपति शहर में अकेला रहता है। नाटक में उस समय मोड़ आता है जब पता चलता है कि इस घर में महिला की सास आने वाली है।
जम्मू, जागरण संवाददाता। सास बहू के रिश्तों में मां-बेटी के प्यार को नाटक सास पुराण के मंचन से दर्शाया गया। अभिनव थियेटर में चल रहे नाट्य उत्सव के दूसरे दिन सास पुराण नाटक का मंचन किया गया। इसका निर्देशन शशि भूषण ने किया था। दुर्गा कला मंच की इस प्रस्तुति में नाटक ने संदेश दिया कि किसी भी व्यक्ति विशेष या रिश्ते को लेकर पहले से किसी प्रकार की धारणा बना लेना उचित नहीं है।
पहले से बनाई धारणा का दूसरे लोग लाभ उठाकर आपका रिश्ता खराब कर सकते हैं। नाटक एक एकल परिवार से शुरू होता है जिसमें एक दंपति शहर में अकेला रहता है। नाटक में उस समय मोड़ आता है जब पता चलता है कि इस घर में महिला की सास आने वाली है। ऐसे में नौकर बहू के सामने सास के कई किस्से पेश करता है। ऐसे ही कई किस्से जुड़ते जाते हैं, जिससे बहू के सामने सास की एक खतरनाक तस्वीर बन जाती है। नाटक में दर्शाये सास बहू के झगड़े दर्शकों को गुदगुदाने वाले रहे।
वहीं, जब सास घर पहुंचती है तो बहू को अहसास होता है कि जो वह सोचती रही वैसा कुछ नहीं है। उसे अहसास होता है कि सास भी मां की तरह ही है और सास बहु का रिश्ता मां-बेटी की तरह ही है। नाटक एक बेहतर संदेश देकर संपन्न हुआ। नाटक में कलाकारों का अभिनय भी सराहनीय रहा। इस मौके पर नाटक देखने के लिए काफी संख्या में दर्शक भी मौजूद रहे।