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Awantipora Encounter: शहीद शाहबाज के भाई बहन बोले-हाथों में दे दो हथियार, हम करेंगे आतंक पर प्रहार

कारगिल की लड़ाई में हिस्सा ले चुके शहीद शाहबाज के पिता एवं पूर्व सैन्य सिपाही अजीज अहमद कहते हैं कि मेरा बेटा दिलेर था... सेना में भर्ती होने को बेताब था लेकिन नहीं हो सका।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 10:57 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 10:57 AM (IST)
Awantipora Encounter: शहीद शाहबाज के भाई बहन बोले-हाथों में दे दो हथियार, हम करेंगे आतंक पर प्रहार
Awantipora Encounter: शहीद शाहबाज के भाई बहन बोले-हाथों में दे दो हथियार, हम करेंगे आतंक पर प्रहार

राजौरी (हैयातपुरा), गगन कोहली। अब तो बहुत हो गया... आतंक ने कई परिवारों के सपने चूर-चूर कर दिए। कई माताओं की कोख सूनी कर दी... कई बहनों से भाई छीन लिए... कई दुल्हनों के माथे का सिंदूर मिटा दिया... पर यह आतंकवाद खत्म नहीं हो पाया... मगर अब बस। हमें भी सेना में भर्ती कर लो। हाथों में हथियार थमा दो। बाकी हम खुद देख लेंगे। हम कश्मीर से आतंकवाद का सफाया करने और आतंकियों से लोहा लेने के लिए तैयार हैं। यह दर्द और जोश भरे शब्द किसी और के नहीं बल्कि मंगलवार को कश्मीर के अवंतीपोरा में आतंकियों व सुरक्षाबलों के बीच हुई मुठभेड़ में शहीद हुए एसपीओ शाहबाज अहमद के एक भाई और बहन के हैं। राजौरी के मंजाकोट के हैयातपुरा गांव के शहीद शाहबाज के पिता अजीज अहमद सेना के पूर्व सिपाही हैं, जबकि एक छोटा भाई एजाज अहमद व बड़ा भाई शाहनवाज हैं, जबकि बहन असीया कौसर अभी 9वीं कक्षा में पढ़ाई कर रही हैं। बेटे और भाई के ताबूत में बंद पार्थिव देह को देखने के बाद आंखों से बहती अश्रुधारा के साथ मन में बदला लेने के उठते भाव साफ झलक रहे थे। शहीद के भाई कहते हैं कि आज ही मौका मिले तो इस शहादत का लेकर आज ही लौट आएं।

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कारगिल योद्धा पिता बोले-दिलेर था मेरा बेटा

कारगिल की लड़ाई में हिस्सा ले चुके शहीद शाहबाज के पिता एवं पूर्व सैन्य सिपाही अजीज अहमद कहते हैं कि मेरा बेटा दिलेर था... सेना में भर्ती होने को बेताब था, लेकिन नहीं हो सका। दो वर्ष पूर्व पुलिस में बतौर एसपीओ (स्पेशल पुलिस ऑफिसर) भर्ती हुआ। दो वर्ष तक राजौरी में ही रहा। छह माह पूर्व ही शाहबाज ने अधिकारियों से कश्मीर जाकर घाटी में आतंकवादियों से मुकाबला करने के बात कही थी। इसके बाद कश्मीर चला गया। कहते हैं कि मेरे बेटा पीठ दिखाने वालों में नहीं था, कश्मीर में उसने कई ऑपरेशनों में हिस्सा लिया। मुझे गर्व है कि मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ है, मगर मलाल भी है कि अभी तक आतंकवाद का सफाया नहीं हो सका। कुछ देर रुक कर दिल थाम कर कहते हैं मेरा पूरा परिवार आतंकवाद से लडऩे के लिए तैयार है। हमारे हाथों में हथियार थमा दो, हम कश्मीर जाकर आतंकवाद से लड़ेंगे।

बेसुध होती मां बोली-मुझे मेरे 'शाह'का चेहरा देखने दो...

शहीद शाहबाज का तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर जैसे ही घर पहुंचा तो मां सीवा बेगम जोर-जोर से रोते बोलीं... लोगों पीछे हट जाओ मेरा शेर शाहबाज आया है... इतना कहते ही वह बेसुध हो गईं। वहां मौजूद दूसरी महिलाओं ने पानी की कुछ बूंदे चेहरे पर छिड़का तो कुछ होश में आईं तो कहने लगी मेरे शाह को बॉक्स से निकालो मुझे उसका चेहरा देखना है... आज के बाद यह कहां दिखेगा? घर की छत पर तबूत को खोल कर जैसे ही मां सीवा को बेटे का चेहरा देखा तो बेहोश हो गईं। इस दौरान हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ वहां पहुंची थी। सभी ने नम आंखों से शहीद शाहबाज को अंतिम विदाई दी।

शहीद शाहबाज सुपुर्द-ए-खाक

कश्मीर के अवंतीपोरा क्षेत्र में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए एसपीओ शाहबाज अहमद बुधवार को सैन्य सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इस दौरान प्रशासन अधिकारियों के साथ पुलिस अधिकारी भी मौजूद रहे। एसपीओ शाहबाज अहमद अवंतीपोरा में मंगलवार को एक काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशन में भाग ले रहे पुलिस दल का हिस्सा थे, जो आतंकियों की गोली लगने से शहीद हो गए। बुधवार सुबह शहीद का पार्थिव शरीर श्रीनगर से जम्मू और फिर मंजाकोट की ओर ले जाया गया, जहां वरिष्ठ अधिकारियों ने शव को मंजाकोट में हेलीपैड पर प्राप्त किया, जहां से शहीद के पैतृक गांव हयातपुरा ले जाया गया। हैयातपुरा गांव में एक पुष्पांजलि समारोह में जम्मू और कश्मीर पुलिस, नागरिक प्रशासन और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लेकर श्रंद्धाजलि दी, जिसके बाद पैतृक कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इस मौके पर मौजूद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने शहीद के परिवारजनों को आश्वासन दिया कि पुलिस व प्रशासन परिवार की हरसंभव सहायता करेगा। 


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