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Kashmir Shab-e-Barat: शब-ए-बारात पर कश्मीर घाटी में कड़े प्रबंध, कहीं नहीं हुई सामूहिक नमाज

इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक यह रात साल में एक बार शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होती है। मुसलमानों के लिए यह रात बेहद फज़ीलत (महिमा) की रात मानी जाती है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 05:44 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 05:44 PM (IST)
Kashmir Shab-e-Barat: शब-ए-बारात पर कश्मीर घाटी में कड़े प्रबंध, कहीं नहीं हुई सामूहिक नमाज

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कोरोना वायरस के संक्रमण के बढ़ते मामलों से त्रस्त कश्मीर घाटी में पहली बार शब-ए-बारात के मौके पर कहीं भी सामूहिक नमाज और दुआ नहीं हुई। प्रशासन ने लाेगों को कोविड-19 महामारी से बचाने के लिए सभी धार्मिक समागमों और लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी थी। सबसे बड़ी बात है कि लोगों भी इस खतरे को समझते हुए घरों में ही पर्व की खुशियां मना रहे हैं। हालांकि प्रशासन ने आज घाटी में सुरक्षा प्रबंधों को और कड़ा कर दिया है। घाटी में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने घरों में ही शब-ए-बारात के मौके पर खुदा की इबादत कर पूरी दुनिया को इस महामारी से निजात दिलाने की दुआ की।

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शब-ए-बारात मुस्लिम समुदाय के लिए बहुत अहम है। शब का मतलब रात और बारात का मतलब बरी होना होता है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक यह रात साल में एक बार शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होती है। मुसलमानों के लिए यह रात बेहद फज़ीलत (महिमा) की रात मानी जाती है। इस दिन विश्व के सारे मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं। वे दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों की तौबा करते हैं। इस बार शब-ए-बारात बुधवार आठ अप्रैल की रात को है।

केंद्र प्रशासित जम्मू कश्मीर में अब तक 139 लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हो चुकी है। इनमें तीन लोगों की मौत भी हो चुकी है। आज भी कोरोना वायरस से संक्रमित 14 लोगों की पुष्टि हुई है। पूरे प्रदेश में लगभग 59 गांवों व कालोनियों को रेड जोन अधिसूचित किया गया है। कोरोना वायरस का संक्रमन भीड़ भरे इलाकों में एक संक्रमित से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है।

जम्मू कश्मीर में पहले ही सभी इस्लामिक संगठनों ने मस्जिदों, खानकाहों, जियारतगाहों और ईदगाहों मे सामूहिक नमाज, मजहबी समागमों पर रोक लगाते हुए लोगों से आग्रह किया है कि वे अपने घरों में ही नमाज अदा करें। मस्जिदों में सिर्फ मुअज्जिन ही अजान के लिए आए। बीते दिनों जम्मू-कश्मीर में कहीं भी शब-ए-मेराज के मौके पर कोई सामूहिक नमाज या दुआ नहींं हुई। सभी श्रद्धालुओं ने अपने घरों में रहकर ही इबादत की थी।

कश्मीर में शब-ए-बारात के मौके पर श्रीनगर के डाउन-टाउन में स्थित एेतिहासिक जामिया मस्जिद में ही प्रमुख नमाज होती है। जामिया में शब-ए-बारात के मौके पर 40 हजार के करीब नमाजी जमा होते हैं। इसके हजरतबल में करीब 35-40 हजार श्रद्धालु पूरी रात मौजूद रहते हैं। अन्य दरगाहों, खानकाहों और मस्जिदों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है।

अलबता, इस बार हालात को देखते हुए प्रशासन ने सभी जिला उपायुक्तों को अपने अपने कार्याधिकार क्षेत्र में शब-ए-बारात के मौके पर किसी को भी मस्जिदों में जमा न होने की पहले से ही हिदायत दे रखी थी। यही वजह थी कि आज सुबह से ही अधिकतर इलाकों में सुरक्षा के कड़े प्रबंध थे। लोगों को न तो सड़कों पर उतरने की इजाजत दी गई और न ही एक जगह इकट्ठे होने की। यह सब इसी लिए था ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण को और आगे बढ़ने से रोका जा सके।

जिला उपायुक्त श्रीनगर डाॅ. शाहिद इकबाल ने इस संदर्भ में धारा 144 के तहत एक आदेश जारी करते हुए सभी धार्मिक स्थलों को आज और कल यानी नौ अप्रैल की मध्यरात्रि तक पूरी तरह बंद रखने के लिए कहा है। 


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