Jammu Kashmir: वरिष्ठ गुज्जर और मजहबी नेता मियां बशीर का निधन
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा उपराज्यपाल के सलाहकार फारुक अहमद खान पूर्व मुख्यमंत्री डा फारुक अब्दुल्ला व उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मियां बशीर के निधन पर गहरा शोक जताया है। वह इस्लाम की सूफी विचारधारा के एक वर्ग विशेष के धर्मगुरु भी थे
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : वरिष्ठ गुज्जर और मजहबी नेता मियां बशीर अहमद लारवी का शनिवार देर रात गए वांगत, गांदरबल में अपने निवास पर देहांत हो गया। वह ९८वे वर्ष के थे और बीते कुछ वर्ष से बीमार थे।उनका नमाज ए जनाजा रविवार शाम को चार बजे मजार ए शरीपु बाबा जी साहिब लारवी,बाबा नगरी कंगन में होगा।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, उपराज्यपाल के सलाहकार फारुक अहमद खान, पूर्व मुख्यमंत्री डा फारुक अब्दुल्ला व उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मियां बशीर के निधन पर गहरा शोक जताया है। पदम भूषण से सम्मानित मियां बशीर अहमद जम्मू कश्मीर विधानसभा के चार बार सदस्य भी रह चुक हैं। वह नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वनमंत्री मियां अल्ताफ के पिता थे। मियां बशीर अहमद लारवी पूर्व मुख्यमंत्री स्व शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के शासनकाल में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। वह इस्लाम की सूफी विचारधारा के एक वर्ग विशेष के धर्मगुरु भी थे और उनके अनुयायियों की एक बड़ी संख्या पाकिस्तान, अफगानीस्तान में भी है। उनके पिता संत मियां निजाम दीन लारवी भी एक माने हुए इस्लामिक विद्वान और सूफी संत थे।
मियां बशीर ने अपनी जिंदगी में कभी चुनाव नहीं हारा। वह मीर कासिम, बख्शी गुलाम मोहम्मद,शेख अब्दुल्ला, पूर्व प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी,पूर्व प्रधानमंत्री स्व राजीव गांधी के भी करीबी थे । वह काफी समय तक कांग्रेस में ही रहे और उनके पुत्र मियां अल्ताफ ने १९८७ में कंगन से विधानसभा का चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लड़ा था। बाद में मियां अल्ताफ नेशनल कांफ्रेंस में चले गए थे।
मियां बशीर अपने एक बुजुर्ग के हजारा, पाकिस्तान स्थित मजार पर हाजिरी देने के लिए पाकिस्तान गए थे। उस समय वहां जनरल जिया उल हक की हुकुमत थी। मियां बशीर को देखने और उनका आशिवार्द प्राप्त करने के लिए वहां भी हजारों की तादाद में उनकेे मुरीद जमा हो गए थे। जनरल जिया उल हक ने उन्हें हाई सिक्योरिटी प्रोटोकाल प्रदान किया था। इस दौरान पाकिस्तानी खुफिय एजेंसियों के कुछ अधिकारियों ने उनका व उनके साथ कश्मीर से पाकिस्तान पहुंचे उनके मुरीदों का पीछा भी किया। इससे मियां बशीर बहुत नाराज हुए।