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कश्मीर घाटी में तीन महीने बाद बजी स्कूलों की घंटी, बच्चे भी उत्साहित होकर स्कूल पहुंचे

वहीं स्कूल शिक्षा बोर्ड के निदेशक मोहम्मद युनूस मलिक ने कहा कि पिछले साल छात्रों ने अपनी योग्यता साबित की। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके लिए अपने समर्थन को बढ़ाएं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 12:42 PM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 02:20 PM (IST)
कश्मीर घाटी में तीन महीने बाद बजी स्कूलों की घंटी, बच्चे भी उत्साहित होकर स्कूल पहुंचे
कश्मीर घाटी में तीन महीने बाद बजी स्कूलों की घंटी, बच्चे भी उत्साहित होकर स्कूल पहुंचे

श्रीनगर, जेएनएन। सर्दियों की छुट्टियों के बाद कश्मीर में सभी स्कूल आज खोल दिए गए। श्रीनगर म्यूनिसिपल कारपोरेशन के अधीन आने वाले स्कूल सुबह 10:00 बजे से खुले जबकि कश्मीर डिवीजन के अधीन आने वाले स्कूल 10.30 बजे खुले। स्कूल पहुंचने वाले बच्चों के चेहरों पर काफी उत्साह था।

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कश्मीर घाटी के सभी स्कूलों में 10 दिसंबर 2019 को शरदकालीन अवकाश घोषित किया गया था। हालांकि वादी में पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को लागू किए जाने के बाद से ही सामान्य अकादमिक गतिविधियां प्रभावित रही है। प्रशासन ने पांच अगस्त 2019 को सभी शिक्षण संस्थानों को एहतियात के तौर पर बंद किया था,जिन्हें अगस्त माह के अंतिम सप्ताह के दौरान चरणबद्ध तरीके से खोलने की प्रक्रिया आरंभ की गई थी। अक्तूबर 2019 के दौरान ही वादी में सभी शिक्षण संस्थान खुल गए थे, लेकिन इनमें छात्रों की आमद नाममात्र ही रही। अगर छात्र आते थे तो बिना वर्दी, क्योंकि अलगाववादियों और आतंकियों ने जबरन बंद लागू करा रखा था। बंद समथ्रकों ने कई जगह स्कूल बसों और स्कूलों को भी निशाना बनाया। इनसे बचने के लिए न सुबह स्कूल खुलने की घंटी बजती थी और न छुट्टी का घड़ियाल सुनाई देता था। वादी में वार्षिक परीक्षाएं भी अलगाववादियों और आतंकियों द्वारा सुनाए गए परीक्षा बहिष्कार के फरमान के बीच हुई हैं।शीतलहर का प्रकोप बढ़ जाने की वजह से स्कूल निदेशक के आदेश पर बाद में घाटी के सभी स्कूलों में अवकाश डाल दिए गए।

आज सुबह ही श्रीनगर समेत वादी के विभिन्न हिस्सों में स्कूली छात्र-छात्राएं कहीं स्कूल बसों मे तो कहीं पैदल ही अपने अपने स्कूल के लिए जाते दिखायी दिए। बड़ी संख्या में अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल तक छोड़ने भी आए थे। छात्रों के चेहरों पर स्कूल खुलने की खुशी और रोमांच को साफ देखा जा सकता था। किसी के चेहरे पर किसी तरह के भय का भाव नहीं था। कश्मीर में छात्र-छात्राएं वर्दी पहने नजर आए। सभी स्कूलों में अकादमिक गतिविधिंया दिनभर सामान्य रुप से बहाल रही। अलबता, इस दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से निपटने के लिए प्रशासन ने सभी सरकारी व गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों के आसपास सुरक्षा का कड़ा बंदोबस्त रखा। पहले दिन वादी के स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति 95वें प्रतिशत से ज्यादा रही। जो अभिभावक घाटी अलगाववादियों की चेतावनी के डर से अपने बच्चों को स्कूलों में नहीं भेज रहे थे, अाज वे भी बिना किसी चिंता बच्चों को स्कूल छोड़ने पहुंचे थे। अभिभावकों को उम्मीद है कि अब कश्मीर में शिक्षा प्रणाली सुचारू रूप से जारी रहेगी और उनके बच्चे नियिमत तौर पर स्कूलों में आ सकेंगे। बटमालू के रहने वाले अब्दुल रहीम ने कहा कि हम आशा करते हैं कि अब बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी।

लाल चौक में स्थित मिशनरी स्कूल में सातवीं कक्षा की छात्रा सबा ने कहा कि मैं बहुत खुश हूं। बड़े दिनों बाद मैं अपनी सहेलियों से मिलूंगी, अपने टीचर से बात करूंगी। घर बैठकर मैं पूरी तरह बोर हो गई थी। उसके पिता साजिद ने कहा सबा बीते एक सप्ताह से ही स्कूल खुलने का इंतजार कर रही थी। उसने नया स्कूल बैग, नयी यूनीफार्म, नया स्कार्फ लिया है। वह स्कूल आने के रोमांच को लेकर ही बीती रात देर गए तक जागती रही। सुबह भी वह हम सबसे पहले उठ गई थी।

हिना नामक एक अध्यापिका ने कहा कि हमें उम्मीद करनी चाहिए कि इस साल स्थिति पूरी तरह सामान्य रहे ताकि हमारे बच्चे बिना किसी रुकावट अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें। हमारा पूरा प्रयास है कि बच्चों ने जिन विषयों को पिछली कक्षा में सही तरीके से नहीं पढ़ा है, उन्हें इस साल उनके बारे में भी ठीक से समझाया जा सके ताकि आगे जाकर उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत न हो।

वहीं स्कूल शिक्षा बोर्ड के निदेशक मोहम्मद युनूस मलिक ने कहा कि पिछले साल छात्रों ने अपनी योग्यता साबित की। सर्दियों के दौरान हमने शीतकालीन कोचिंग शिविरों लगाए थे जिसमें 2 लाख से अधिक छात्रों ने भाग लिया। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके लिए अपने समर्थन को आैर बढ़ाएं। पाठ्यक्रम को समय पर पूरा करने के लिए हमारा दुगुना प्रयास रहेगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए फील्ड अधिकारियों की तैनाती की गई है जो समय-समय पर स्कूलों का दौरा करेंगे और इस बात का ध्यान रखेंगे कि बच्चों को पाठ्यक्रम समयानुसार हो रहा है या नहीं। 


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