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Jammu Kashmir: डेढ़ साल से अधिक समय से बंद है स्कूल, पढ़ाई हो रही प्रभावित, कोरोना की भेंट चढ़े दो सत्र

प्राइवेट स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या विशेषकर नौंवी से बारहवीं कक्षा तक में 20 फीसद की आई है कमी। पिछले दो महीनों से जम्मू कश्मीर में दसवीं व बारहवीं कक्षा को लगाने की अनुमति दी गई है। इसमें बारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए वैक्सीनेशन जरूरी है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Mon, 22 Nov 2021 07:34 PM (IST)Updated: Mon, 22 Nov 2021 07:34 PM (IST)
आगामी दो तीन महीनों में स्कूलों के खुलने की संभावना नहीं है

जम्मू, राज्य ब्यूरो। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में डेढ़ साल से अधिक समय से स्कूल नहीं खुलने के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। देश के अधिकतर राज्यों में स्कूल खुल चुके हैं मगर जम्मू कश्मीर में स्कूल नहीं खुले हैं। हालांकि कोरोना के मामलों में कमी आ रही है लेकिन सरकार कोई जोखिम उठाने को तैयार नहीं। बच्चे व उनके अधिकतर अभिभावक, प्राइवेट स्कूल चाहते हैं कि स्कूल खुल जाएं। अब दिसंबर माह आने वाला है। आगामी दो तीन महीनों में स्कूलों के खुलने की संभावना नहीं है इसलिए दो अकादमिक सत्र तो कोरोना की भेंट चढ़ गए हैं।

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प्राइवेट स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या विशेषकर नौंवी से बारहवीं कक्षा तक में 20 फीसद की आई है कमी। पिछले दो महीनों से जम्मू कश्मीर में दसवीं व बारहवीं कक्षा को लगाने की अनुमति दी गई है। इसमें बारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए वैक्सीनेशन जरूरी है तो दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों को कोरोना टेस्ट करवाकर आना होगा। पचास फीसद क्षमता के साथ रोटेशन पर दसवीं व बारहवीं की कक्षाएं लगाई जा रही है।

मुख्य सचिव अरुण कुमार मेहता की अध्यक्षता वाली राज्य कार्यकारी समिति हर सप्ताह कोरोना की स्थिति की समीक्षा करके हर रविवार को आदेश जारी करती है। इसमें कोरोना की रोकथाम के लिए दिशा निर्देश होते है। पहली कक्षा से लेकर नौवीं और ग्यारहवीं कक्षा की कक्षाएं नहीं लग रही है। साल 2020 को मार्च महीने में कोरोना के कारण शिक्षण संस्थानों को बंद किया गया था। जम्मू कश्मीर में सरकार जोखिम न उठाते स्कूल नहीं खोल रही है। हालांकि उच्च शिक्षण संस्थानों को खोला जा चुका है। इतने लम्बे समय तक स्कूलों के बंद रहने के कारण बढ़ी संख्या में अभिभावकों ने अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से निकाल कर सरकारी स्कूलों में दाखिल करवाया है क्योंकि पढ़ाई तो आनलाइन ही हो रही है।

आंकड़ों के अनुसार, प्राइवेट स्कूलों में औसतन बीस फीसद से अधिक अभिभावकों ने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से निकाल कर सरकारी स्कूलों में डाल दिया है विशेषकर नौंवी कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक बच्चों की संख्या प्राइवेट स्कूलों में कम हुई है। आनलाइन शिक्षा का मुकाबला किसी भी हाल में क्लासरूम पढ़ाई से नहीं किया जा सकता है लेकिन कोरोना के कारण सरकार एहतियात बरत रही है तो अभिभावक व बच्चे बेबस हैं। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन जम्मू के प्रधान कमल गुप्ता का कहना है कि कई राज्यों में स्कूल खुल चुके है। काफी समय तक स्कूलों के बंद रहने से प्राइवेट स्कूलों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। विद्यार्थियों की संख्या कम हो गई है। हम कोरोना की रोकथाम के लिए जारी दिशा निर्देशों का पालन कर रहे है इसलिए स्कूलों को अब खोला जाना चाहिए।  


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