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Jammu: संत कबीर ने कुरीतियों और अंधविश्वास का डटकर किया था विरोध

मधु परमहंस ने बताया कि कबीर साहिब को संत सम्राट की उपाधि से नवाजा गया है क्योंकि संतमत का प्रारंभ ही सतगुरु कबीर साहिब ने किया। अन्य सभी संतों ने आगे चलकर उसी संतत्व की धारा को आगे बढ़ाया। कबीर साहिब को आदि कवि भी कहा जाता है।

By Edited By: Published: Fri, 25 Jun 2021 06:03 AM (IST)Updated: Fri, 25 Jun 2021 06:08 AM (IST)
Jammu: संत कबीर ने कुरीतियों और अंधविश्वास का डटकर किया था विरोध
कबीर साहिब न केवल पूर्ण संत, बल्कि एक अच्छे समाज सुधारक भी थे।

जागरण संवाददाता, जम्मू : संत शिरोमणि सद्गुरु कबीर साहिब जी के 624वें अवतरण दिवस पर सद्गुरु मधु परमहंस साहिब जी ने कोरोना प्रोटोकोल के चलते देश-विदेश की संगत को आनलाइन संबोधित करते हुए सभी को शुभकामनाएं देते हुए संत कबीर के बताए रास्ते पर चलने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि कबीर ने समाज में फैली कुरीतियों और अंधविश्वास का डट कर विरोध किया था।

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मधु परमहंस ने कहा कि आज से ठीक 624 वर्ष पूर्व सन् 1398 में सद्गुरु कबीर साहिब ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन काशी में प्रकट हुए। कबीर साहिब के जन्म के बारे में कई भ्रांतियां और गलत धारणाएं हैं। कई कहानियां हैं। कुछ का कहना है कि उनका जन्म धर्मनिष्ठ अविवाहित ब्राह्मण महिला से हुआ था। अन्य कहते हैं कि उनका जन्म एक मुस्लिम जोड़े से हुआ था। वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग है। साहिब जी ने कहा कि कबीर साहिब कभी भी मात गर्भ में नहीं आए। इसका हवाला उन्होंने स्वयं अपनी वाणी में दिया है।

सत्संग के दौरान मधु परमहंस ने बताया कि कबीर साहिब को संत सम्राट की उपाधि से नवाजा गया है, क्योंकि संतमत का प्रारंभ ही सतगुरु कबीर साहिब ने किया। अन्य सभी संतों ने आगे चलकर उसी संतत्व की धारा को आगे बढ़ाया। कबीर साहिब को आदि कवि भी कहा जाता है। कबीर साहिब ने दोहा, रमैनी, शबद और साखियों के माध्यम से ¨हदुओं और मुसलमानों को समान रूप से धार्मिक शिक्षा प्रदान की। धार्मिक क्षेत्र में फैले हुए अंधविश्वास का उन्होंने डटकर विरोध किया। सत्संग करते हुए कहा कि कबीर साहिब न केवल पूर्ण संत, बल्कि एक अच्छे समाज सुधारक भी थे।

उन्होंने समाज के लोगों को धर्म, जाति, बिरादरी के भेदभाव से ऊपर उठकर आपसी प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों और आडंबरों पर तीखा प्रहार किया। कबीर साहिब की शिक्षाएं वर्तमान समय में भी पूर्ण रूप से प्रासंगिक है।


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