Jammu Kashmir: संजीवनी शारदा केंद्र बना कोविड मरीजों के लिए ‘संजीवनी’, आइसोलेशन केंद्र में बदल दिया
आइसोलेशन वार्ड के प्रभारी डा. एमटी कृष्णन ने कहा कि कई मरीज ऐसे हैं जिनके पास घर में रहने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे मरीजों के लिए ही आइसोलेशन वार्ड बनाने का फैसला किया गया था। यहां आक्सीजन तक का इंतजाम है। सभी सुविधाएं निशुल्क हैं।
जम्मू, रोहित जंडियाल: महामारी से उपजे हालात में मरीजों के दर्द को कम करने के लिए कश्मीरी पंडित समुदाय के संजीवनी शारदा केंद्र ने हाथ बढ़ाए हैं। इस संगठन ने जम्मू स्थित अपनी इमारत को कोविड आइसोलेशन केंद्र में तब्दील कर दिया है।
यहां कोरोना संक्रमितों के लिए आक्सीजन की सुविधा है। खाना भी दिया जाता है। अगर किसी को एंबुलेंस की जरूरत है तो वह भी मुहैया करवाई जा रही है। सभी सुविधाएं निशुल्क हैं। डाक्टर वीडियो कांफ्रेंस के जरिए अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
दरअसल, कुछ दिन पहले तक जम्मू के अस्पतालों में कोरोना के मरीजों के लिए बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में एक बिस्तर के लिए मरीजों को दरबदर होना पड़ रहा था। कई लोग ऐसे थे, जिन्होंने मरीजों का दर्द समझा और सहायता के लिए आगे आए। इन्हीं में एक आनंद नगर बोहड़ी स्थित संजीवनी शारदा केंद्र भी है। यह केंद्र भी मरीजों की मदद के लिए आगे आया है। इस केंद्र के भीतर ही हॉल और दो कमरों को आइसोलेशन वार्ड में परिवर्तित कर दिया गया है। इसमें दवाइयों से लेकर आक्सीजन तक की व्यवस्था है।
संजीवनी शारदा केंद्र में पहले से ही इमारत थी। इसमें अभी दस बिस्तर लगाए गए हैं। इसका विस्तार कर 20 बिस्तरों तक किया जा रहा है। यहां आक्सीजन सिलिंडर के अलावा आक्सीजन कन्संट्रेटर भी रखे हैं। मरीज की हालात गंभीर होने पर अस्पताल ले जाने का भी प्रबंध है।
आइसोलेशन वार्ड के प्रभारी डा. एमटी कृष्णन ने कहा कि कई मरीज ऐसे हैं जिनके पास घर में रहने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे मरीजों के लिए ही आइसोलेशन वार्ड बनाने का फैसला किया गया था। यहां आक्सीजन तक का इंतजाम है। सभी सुविधाएं निशुल्क हैं। उन्हें दवाइयां तक दी जाती है। कई मरीजों के लिए कोविड किट तैयार की गई हैं। डाक्टरों के एक समूह इस केंद्र में मरीजों को टेलीफोन पर परामर्श दे रहे हैं।
कई स्वयंसेवक भी जुड़े: संजीवनी शारदा केंद्र के उपप्रधान अवतार कृष्ण का कहना है कि वह महामारी के इस दौर में लोगों की समस्याओं को समझते हैं। कई मरीजों को सरकारी और निजी अस्पतालों में बिस्तर नहीं मिल पाते हैं। उनका मकसद ऐसे मरीजों की मदद करना है। उनकी पहल में संजीवनी शारदा केंद्र के साथ कई स्वयंसेवक भी जुड़े हैं। राधेश्याम, चांद जी पंडिता, संजय बाली, हृदयनाथ, राम जी धर जैसे कई स्वयंसेवक आइसोलेशन केंद्र में सेवाएं दे रहे हैं।
आक्सीजन की नहीं होगी किल्लत: संजीवनी शारदा केंद्र में आक्सीजन की समस्या न हो, इसके लिए सरकार द्वारा बनाए गए वॉर रूम में तैनात डाक्टर राजेंद्र थापा भी सक्रिय रहते हैं। थापा के मुताबिक केंद्र के प्रभारी आए तो उन्होंने आइसोलेशन केंद्र के बारे में हमें जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आक्सीजन की व्यवस्था भी की है। जब भी आक्सीजन सिलिंडर भरना होता है तो उनका प्रयास रहता है कि प्राथमिकता दी जाए। डा. थापा ने कहा कि अगर सभी संगठन इस तरह से प्रयास करें तो किसी को समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
क्या है संजीवनी शारदा केंद्र: संजीवनी शारदा केंद्र एक सामाजिक संगठन है। कश्मीर से पंडितों के पलायन के बाद वर्ष 1996 में इसका गठन हुआ था। इसका मकसद किसी भी आपदा के समय में लोगों की मदद करना है। इस समय दस संगठन के साथ चार सौ से अधिक स्वयंसेवक इसके साथ काम कर रहे हैं। पिछले 25 वर्ष से काम कर रहे संगठन ने जम्मू में आई हर आपदा के समय लोगों की मदद की। इसके स्वयंसेवक आगे आकर लोगों की मदद करते हैं। कोरोना के समय में भी पहले यह लोगों को दवाइयां दे रहे थे। अब इन्होंने आइसोलेशन केंद्र स्थापित किया है।