Best Teacher Jammu : अगर मेरे कदम रुकते, तो बच्चों की पढ़ाई छूट जाती : संजीव शर्मा
जब वह पहले दिन उस स्कूल में गए थे तो बस स्टॉप से उतरने के बाद वहां पहुंचने में उन्हें पैदल पांच घंटे का समय लगा था। जब उन्होंने स्कूल की कमान संभाली उस समय वहां पर सात बच्चे थे जबकि आज वहां सत्तर बच्चे पढ़ रहे हैं।
सुरेंद्र सिंह, जम्मू : शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति से सम्मानित होने वाले जम्मू संभाग के एकमात्र शिक्षक संजीव शर्मा रियासी जिले के जिस दूरदराज स्कूल में पढ़ा रहे हैं, उस स्कूल तक पहुंचने के लिए तीन किलोमीटर की पहाड़ी पर पैदल चढ़कर जाना पड़ता है। संजीव शर्मा जम्मू के दुर्गानगर के रहने वाले हैं और उन्होंने इस स्कूल में खुद अपना तबादला करवाया था ताकि वहां रह रहे बच्चों की शिक्षा न रुके।
संजीव शर्मा ने बताया कि जब वह पहले दिन उस स्कूल में गए थे तो बस स्टॉप से उतरने के बाद वहां पहुंचने में उन्हें पैदल पांच घंटे का समय लगा था। जब उन्होंने स्कूल की कमान संभाली, उस समय वहां पर सात बच्चे थे जबकि आज वहां सत्तर बच्चे पढ़ रहे हैं। संजीव गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल स्कूल, इरखी, रियासी में पढ़ा रहे हैं और इससे पहले वह हायर सेकेंडरी स्कूल पाैनी में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। संजीव शर्मा का कहना है कि पहले दिन वे जरूर बहुत थक गए थे लेकिन उन्हें महसूस हो रहा था कि अगर उनके कदम रुक गए तो कई बच्चों की पढ़ाई छूट जाएगी। पता नहीं कौन सी शक्ति उन्हें खींच रही थी और वह वहां पहुंच गए।
संजीव का कहना है कि उन्होंने उस स्कूल में जाने का फैसला कोई राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल करने के लिए नहीं किया था। वह सिर्फ अपना शिक्षक का धर्म निभाने उस स्कूल में गए थे। संजीव कुश्ती के भी एक बेहतरीन खिलाड़ी रह चुके हैं जो कई प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं। उन्होंने पौनी में रहते हुए लड़कियों को भी कुश्ती के लिए तैयार किया था और उनकी कई शिष्याएं अब राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं व दंगल में भाग ले रही हैं।
अपने बच्चों को भी सरकारी स्कूल में पढ़ा रहे हैं संजीव: संजीव शर्मा के दो बच्चे हैं जिनमें एक बेटी व एक बेटा है। बड़ी बात यह है कि संजीव अपने दोनों बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ा रहे हैं और ऐसा कर उन्होंने दूसरे शिक्षकों के लिए भी एक मिसाल पैदा की है।
संजीव की बेटी नीलाक्षी गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल मुट्ठी, जम्मू में आठवीं कक्षा में पढ़ रही है जबकि बेटा पांचवी कक्षा में उनके ही स्कूल गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल, इरखी रियासी में शिक्षा ग्रहण कर रहा है। संजीव शर्मा का कहना है कि सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने का उद्देश्य उन बच्चों में विश्वास पैदा करना है जो उनसे स्कूल में पढ़ रहे हैं। उन बच्चों व उनके अभिभावकों में विश्वास पैदा हुआ है कि सरकारी स्कूल बेहतर पढ़ाते हैं। वह जब नए बच्चों को स्कूल में दाखिल करने के लिए उनके माता-पिता के पास जाते हैं तो उनके पास बताने के लिए होता है कि मेरे बच्चे भी इसी स्कूल में पढ़ रहे हैं। आप विश्वास रखिए, आपका बच्चा पीछे नहीं रहेगा।
संजीव का कहना है कि वह अपने कर्तव्य को अगर बेहतर तरीके से निभा पा रहे हैं तो इसके पीछे उनका परिवार है जो उनका पूरा सहयोग देता है। उनके पिता भी सेना से सेवानिवृत हो चुके हैं और बड़ी बात यह है कि उनके पिता को भी राष्ट्रपति से पुरस्कार मिल चुका है। संजीव को शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति की ओर से आनलाइन ही प्रशस्ति पत्र व मेडल भेंट किया गया। यह सम्मान उन्होंने नागरिक सचिवालय जम्मू में आनलाइल हासिल किया।