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तीन माह से वेतन नहीं मिलने से ठंडे पड़ने लगे करोना योद्धाओं के घरों में चूल्हे

तीन महीने से वेतन नहीं मिलने से नाराज सफाई कर्मचारियों ने नगरपालिका कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का नेतृत्व अखिल भारतीय मजदूर संघ के तहसील प्रधान विकास मट्टू ने किया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 06 Jun 2021 07:00 AM (IST)
तीन माह से वेतन नहीं मिलने से ठंडे पड़ने लगे करोना योद्धाओं के घरों में चूल्हे
तीन माह से वेतन नहीं मिलने से ठंडे पड़ने लगे करोना योद्धाओं के घरों में चूल्हे

संवाद सहयोगी, बिश्नाह : तीन महीने से वेतन नहीं मिलने से नाराज सफाई कर्मचारियों ने नगरपालिका कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का नेतृत्व अखिल भारतीय मजदूर संघ के तहसील प्रधान विकास मट्टू ने किया। उन्होंने कहा कि सफाई कर्मियों को एक तो वेतन कम मिलता है। ऊपर से इसे भी तीन माह से नहीं जारी किया। ऐसे में उनके लिए परिवार का भरण-पोषण करना बहुत मुश्किल हो गया है।

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मट्टू ने कहा कि सफाई कर्मियों ने कोरोना महामारी के पहली और दूसरी लहर में भी बिना अपनी जान की परवाह किए पूरी इमानदारी से काम किया। सरकार ने भी हम लोगों को कोरोना योद्धा कहा, लेकिन अब उनको वेतन ही नहीं दिया जा रहा है। सफाई कर्मचारियों को सिर्फ कोरोना योद्धा बुलाने भर से उनके घर का चूल्हा नहीं जलता है। इसके बजाय यदि सरकार हमें हमारी मेहनत का पैसा दे, तो ज्यादा बेहतर होगा। मट्टू ने कहा कि तीन महीने से सफाई कर्मचारी उधार लेकर राशन ले रहे हैं। अब दुकानदार भी उधार देने से मना करने लगे हैं। उन्होंने उपराज्यपाल से मांग की कि वे उनका वेतन दिलवाएं, ताकि वे अपने बच्चों को दो जून की रोटी खिला सकें। हम सरकार से आर्थिक मदद नहीं, सिर्फ अपना वेतन मांग रहे हैं। यह हमारा हक है।

6,500 रुपये में नहीं होता गुजारा, दोगुना हो वेतन

अखिल भारतीय मजदूर संघ के तहसील प्रधान विकास मट्टू ने कहा कि अस्थायी कर्मियों को अभी तक 6,500 रुपये तनख्वाह दी जाती है। इस समय महंगाई जितनी बढ़ गई है, उसमें इतने कम पैसे से परिवार का भरण-पोषण नहीं हो पाता है। इसलिए सरकार से मांग है कि उनका वेतन न्यूनतम 13 हजार रुपये किया जाए। इस समय दाल, चावल, तेल हर चीज के दाम बढ़ गए हैं। सब्जियां भी बहुत महंगी हैं। इसलिए उनकी मांग है कि जल्द से जल्द पुराना बकाया जारी किया जाए और उनका वेतन दोगुना किया जाए। ऐसा नहीं होने पर वे मजबूरन हड़ताल का रास्ता अख्तियार करेंगे।


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