Tribute to Martyr : 1965 के भारत-पाक युद्ध में शहीद जवान अमी चंद की शहादत को किया नमन
1965 भारत-पाक युद्ध के दौरान ऑपरेशन अबलेज कश्मीर बार्डर पर दुश्मनों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए शहीद जवान अमी चंद को उनके शहीदी दिवस पर श्रद्धांजलि दी गई। उनके स्मारक स्थल पर सोमवार को श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया।
रामगढ़, संवाद सहयोगी: सन 1965 भारत-पाक युद्ध के दौरान ऑपरेशन अबलेज कश्मीर बार्डर पर दुश्मनों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए शहीद जवान अमी चंद को उनके शहीदी दिवस पर श्रद्धांजलि दी गई। शहीद जवान अमी चंद के पैतृक गांव पखड़ी सब सेक्टर रामगढ़ स्थित उनके स्मारक स्थल पर सोमवार को श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया। इस मौके पर पंचायत प्रतिनिधियों के अलावा सेना की राजपूत रेजिमेंट अधिकारियों ने भी शरीक हुए।
श्रद्धांजलि समारोह की रस्मों को सेना की राजपूत रेजिमेंट द्वारा सलामी परेड व गॉड ऑफ आनर के साथ किया गया। मौके पर रेजिमेंट के नायब सूबेदार शेर सिंह, सरपंच कुलदीप वर्मा, पारिवारिक सदस्य पत्नी पूरो देवी, भतीजे बनारसी दास, गिरधारी लाल, जोगिंदर लाल, पंच गुरदीप सिंह, मीर चंद, पूर्व सरपंच चूड़मल, हंस राज, परमजीत सिंह, श्यामलाल बिट्टू, बिंदू सलारिया के अलावा अन्य सगे संबंधियों व रिश्तेदारों ने दिवंगत शहीद आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और उनकी शहादत को नमन करते हुए स्मारक स्थल पर पुष्प चढ़ाए।
वहीं शहीद के परिवार के सदस्यों ने शहीद जवान की आत्मा की शांति के लिए सत्संग का भी आयोजन किया, जिसमें स्वामी गुरदीप गिरि जी महाराज ने अमृतवचनों का प्रसार करते हुए शहीद आत्मा की शांति के लिए प्रवचन दिए। वहीं समारोह के मुख्य अतिथि व अतिथि विशिष्ट सरपंच कुलदीप वर्मा, राजपूत रेजिमेंट के नायब सूबेदार शेर सिंह ने शहीदों की शहादत के किस्से दोहराए।
सरपंच कुलदीप वर्मा ने कहा कि मातृभूमि की रक्षा करते हुए शहीद होने वाले सैनिक व पैरा मिलिट्री फोर्स जवान अमर कहलाते हैं। हमारे बार्डर क्षेत्र के दर्जनों वीर जवानों ने देश की आन के लिए बलिदान देकर क्षेत्र का गौरव बढ़ाया है। चाहे भारत-पाक युद्ध हो या फिर 1965, 1971 तथा 1999 का कारगिल युद्ध। हर कठिन परीक्षा व देश की आन के लिए हमारे जवानों ने अपनी वीरता का परिचय दिया है। उनके परिवार के सदस्य उनकी शहादत पर गर्व जताने के लिए हर साल इस तरह के श्रद्धांजलि समारोह आयोजित करते आ रहे हैं। वहीं इस मौके पर शहीद आत्मा की शांति के लिए मौन भी रखा गया। अंत में लंगर भी लगाया गया।