Tribute: लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह ने लद्दाख में रोके थे चीन के बढ़ते कदम, शहीदी दिवस पर किया याद
Lieutenant General Bikram Singh. लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह के 56वें शहीदी दिवस पर कृतज्ञ जम्मू-कश्मीर वासियों ने उन्हें याद किया।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। Lieutenant General Bikram Singh. लद्दाख पर कब्जा करने के लिए वर्ष 1962 में चीन के बढ़ते कदम को रोकने के लिए लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह की कमान में सेना की 15 कोर के जवानों ने जान हथेली पर रखकर लड़ाई लड़ी थी।
दुश्मन ने बहुत अधिक संख्या में अचानक हमला कर दिया था, लेकिन भारतीय सैनिकों ने बहादुरी से लड़ते हुए मिसाल कायम की थी। ऐसे हालात में लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह ने मैदान में जवानों का हौसला बढ़ाकर दुश्मन के मंसूबों पर पानी फेर दिया था। असाधारण बहादुरी के लिए उन्हें ड्रेगन किलर के नाम से भी जाना जाता है।
शुक्रवार को लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह के 56वें शहीदी दिवस पर कृतज्ञ जम्मू-कश्मीर वासियों ने उन्हें याद किया। 22 नवंबर, 1962 में जम्मू संभाग के पुंछ में सेना के हेलीकॉप्टर क्रैश में बिक्रम सिंह शहीद हुए थे। उनके साथ सेना व वायुसेना के कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी शहीद हुए थे। पुंछ के साथ जम्मू शहर के व्यस्ततम बिक्रम चौक में बहादुर बिक्रम सिंह की प्रतिमा देश पर मर मिटने का जज्बा रखने वाले युवाओं में सेना में भर्ती होने की अलख जगाती है।
वीरों ने चीन के 1300 सैनिकों को मार गिराया था
लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह पंजाब के होशियारपुर जिले के बलाचौर के निवासी थे। चीन ने जब लद्दाख में हमला किया तो उस समय वह क्षेत्र की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली सेना की 15 कोर के कोर कमांडर थे। उन्होंने युद्ध में कुशल नेतृत्व करते हुए अपने सैनिकों में इतनी आग भर दी कि वे अंतिम गोली, अंतिम व्यक्ति के नारे के साथ अपने से कई गुणा अधिक दुश्मन से भिड़ गए। परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में सेना की 13 कुमाऊं रेजीमेंट की चार्ली कंपनी के 114 सैनिकों ने 18 नवंबर, 1962 को अपने से कई गुणा अधिक चीनी सैनिकों से लोहा लेते हुए वीरगति पाई थी। इन वीरों ने चीन के 1300 सैनिकों को मार गिराया था। यह ऐतिहासिक लड़ाई भारतीय सेना के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।
पुंछ का हवाई सर्वे करते हुए थे शहीद
जम्मू-कश्मीर से भारतीय सेना में मेजर जनरल बनने वाले पहले अधिकारी गोवर्धन सिंह जम्वाल ने बताया कि लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह सीमावर्ती पुंछ का हवाई सर्वे करते हुए शहीद हुए थे। उस समय उनके साथ आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल दौलत सिंह ने भी शहादत पाई थी। वह बहुत बहादुर अधिकारी थे। आर्मी कमांडर तब दिल्ली में बैठते थे। हेलीकॉप्टर क्रैश में एयर वाइस मार्शल पिंटो, मेजर जनरल नानावटी, ब्रिगेडियर एसआर ओबराय व फ्लाइट लेफ्टिनेंट सोढ़ी भी शहीद हुए थे।