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विद्यार्थियों को निशुल्क शिक्षा के लिए पंद्रह दिनों में बनेंगे नियम

जम्मू कश्मीर में विद्यार्थियों को निशुल्क व आवश्यक शिक्षा अधिकार नियम 2020 को लागू करने के लिए पंद्रह दिन में नियम बन जाएंगे। इसके लिए राज्य प्रशासन ने चार सदस्यी कमेटी का गठन कर दिया है। यह जानकारी स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव असगर सेमून ने दी है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 06:43 AM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 06:43 AM (IST)
विद्यार्थियों को निशुल्क शिक्षा के लिए पंद्रह दिनों में बनेंगे नियम
विद्यार्थियों को निशुल्क शिक्षा के लिए पंद्रह दिनों में बनेंगे नियम

राज्य ब्यूरो, जम्मू : जम्मू कश्मीर में विद्यार्थियों को नि:शुल्क व आवश्यक शिक्षा अधिकार नियम 2020 को लागू करने के लिए पंद्रह दिन में नियम बन जाएंगे। इसके लिए राज्य प्रशासन ने चार सदस्यी कमेटी का गठन कर दिया है। यह जानकारी स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव असगर सेमून ने दी है।

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महा प्रशासनिक विभाग के आयुक्त सचिव कमेटी के चेयरमैन बनाए गए हैं। आपदा प्रबंधन, राहत और पुनर्वास विभाग के सचिव, पर्यटन विभाग के आयुक्त सचिव और वित्त विभाग के प्रतिनिधि को कमेटी में बतौर सदस्य शामिल किया गया है। वित्त विभाग के प्रतिनिधि का पद अतिरिक्त सचिव के बराबर होगा। यह कमेटी पंद्रह दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। कमेटी जम्मू कश्मीर में विद्यार्थियों को आवश्यक व नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार नियम 2020 के सारे पहलुओं पर विचार करने के साथ इसके लिए संबंधित वित्तीय मुद्दों पर भी चर्चा करेगी।

बताते चले कि जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद केंद्र का शिक्षा अधिकार कानून लागू हो चुका है। इस कानून के तहत बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा का पूरा अधिकार मिलेगा। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव काफी समय से कह रहे थे कि इसके लिए नियम तैयार किए जाएंगे। अब उच्च स्तरीय कमेटी पंद्रह दिनों के भीतर नियम तैयार करके सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। बाद में इन का प्रस्ताव मंजूरी के लिए प्रशासनिक काउंसिल को भेजा जाएगा। नियम जम्मू कश्मीर में शिक्षा के ढांचे को मद्देनजर रखकर ही बनाएं जाएंगे। हालांकि, प्रदेश के स्कूलों में पहले से नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध करवाई जाती है। वर्दियां और पुस्तकें भी आठवीं कक्षा तक वितरित की जाती हैं। केंद्र की मिड डे मील योजना भी लागू है जो प्रभावी तरीके से चल रही है। सूत्र बताते है कि नए नियमों में निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए कोटा निर्धारित किया जा सकता है। सरकार की कोशिश है कि हर बच्चे को गुणवत्ता वाली शिक्षा हासिल हो और कोई भी शिक्षा से वंचित न रहे।


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