कोरोना के चलते रोशनी घोटाले की सुनवाई टली
रोशनी एक्ट की आड़ में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जों की सीबीआइ से जांच करवाने वाली जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई नहीं हो पाई।
जागरण संवाददाता, जम्मू : रोशनी एक्ट की आड़ में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जों की सीबीआइ से जांच करवाने वाली जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई नहीं हो पाई।
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने अब 27 मार्च को सुनवाई की तारीख निर्धारित की है। रोशनी घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंपने की मांग पर सरकार को अपना पक्ष रखना था, लेकिन सरकारी वकील ने कहा कि इस समय पूरा प्रशासन कोरोना वायरस से निपटने में जुटा है। इसलिए पक्ष नहीं रखा जा सकता। लिहाजा पक्ष रखने के लिए अतिरिक्त समय दिया जाए।
जनहित याचिका दायर करने वाले एडवोकेट अंकुर शर्मा ने अपनी शिकायत में कहा है कि वर्ष 2012-13 की कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (सीएजी) की रिपोर्ट में रोशनी एक्ट से जुड़ी योजना के बारे में कहा गया है कि इससे राज्य की 20,64,792 कनाल भूमि पर अवैध कब्जे हुए। इससे जम्मू कश्मीर सरकार को 25 हजार करोड़ रुपये का चूना लगा। इस पर बेंच ने पिछली सुनवाई के दौरान राजस्व विभाग के सचिव, सूचना विभाग के आयुक्त सचिव और जिला आयुक्त जम्मू से कहा था कि उन्हें जानकारी दी जाए कि कितनी सरकारी भूमि पर कब्जा हुआ है। सूची में यह भी बताया जाए कि शहरी, ग्रामीण और वन विभाग की कितनी भूमि है।
बेंच ने कहा था कि 16 फरवरी को एक राष्ट्रीय समाचार पत्र ने लिखा है कि जिला जम्मू में 657 एकड़ वन एवं सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे हुए हैं। यह समाचार जिला आयुक्त की रिपोर्ट पर आधारित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से राजस्व रिकार्ड से छेड़छाड़ कर लोगों को सरकारी भूमि का मालिक बना दिया गया। बेंच ने उन लोगों की सूची भी सौंपने का निर्देश दिया था, जिन्होंने राजस्व रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करवाई है।