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Roshni Land Scam: वन भूमि हड़पने वाले रसूखदारों की गर्दन तक जल्द पहुंचेंगे सरकार के हाथ

जम्‍मू कश्‍मीर में कब्जे की वन भूमि को वापस लेने के लिए मुख्य सचिव के नेतृत्व में कमेटियां बना भी दी गई हैं बस आदेश पत्र जारी होने की देरी है। ये कमेटियां वन अधिकार कानून 2006 के तहत कब्जे की जमीन को वापस लेने में सक्रिय भूमिका निभाएंगी।

By lokesh.mishraEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 06:30 AM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 07:09 AM (IST)
Roshni Land Scam: वन भूमि हड़पने वाले रसूखदारों की गर्दन तक जल्द पहुंचेंगे सरकार के हाथ
कब्जे की भूमि को वापस लेने के लिए सरकार ने मुख्य सचिव के नेतृत्व में कमेटियां बना भी दी हैं।

जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू कश्मीर में रोशनी एक्ट के तहत 25 हजार करोड़ रुपये की भूमि हड़पने वाले सियासतदानों और नौकरशाहों के गले तक प्रदेश सरकार के हाथ जल्द पहुंचे वाले हैं। जंगलों की जमीन पर अवैध कब्जों को देखते हुए उप राज्यपाल प्रशासन वन अधिकार को प्रभावी बनाने के तैयारी में हैं।

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कब्जे की भूमि को वापस लेने के लिए सरकार ने मुख्य सचिव के नेतृत्व में कमेटियां बना भी दी हैं, बस आदेश पत्र जारी होने की देरी है। ये कमेटियां वन अधिकार कानून 2006 के तहत कब्जे की जमीन को वापस लेने में सक्रिय भूमिका निभाएंगी। बड़ी बात यह है कि कमेटी इस कानून को प्रभावी तौर पर लागू कराने के लिए संभागीय और फिर जिला स्तर पर भी कमेटियां बनाई जाएंगी। इन कमेटियों की निगरानी मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी।

प्रदेश स्तर की मॉनिटरिंग कमेटी के मुखिया मुख्य सचिव होंगे। इसमें वरिष्ठ नौकरशाह, वन, राजस्व और जनजाति मामले से संबंधित विभागों के अधिकारी शामिल हैं। जिला स्तर की कमेटियों की अगुवाई जिला उपायुक्त करेंगे। इन अधिकारियों को कार्रवाई करने के भी अधिकार होंगे।

कमेटियां पता करेंगी कि क्या वनों के संरक्षण के लिए बनाए गए कानून का पालन हो रहा है या नहीं। वनों की निगरानी के लिए कोई तरीकाकार अपनाया जाएगा। कमेटी के सदस्यों को वन कानून के तहत प्रावधानों का पालन कराने का अधिकार होगा। कमेटी के सदस्य तीन माह में बैठक करेंगे। इसमें बुनियादी समस्याओं का आकलन किया जाएगा।

केंद्र को भी भेजी जाएगी रिपोर्ट: कमेटियों की जांच और बुनियादी समस्याओं पर आधारित रिपोर्ट केंद्र सरकार को भी सौंपी जाएगी। इसमें बताया जाएगा कि जम्मू कश्मीर में वनों की क्या स्थिति है। कमेटी के सदस्य गुज्जर-बक्करवालों के वन भूमि पर उनके दावों की समीक्षा करेंगे। कमेटियों के पास जमीन पर गुज्जर-बक्करवालों के दावों को स्वीकृत करने के भी अधिकार होंगे।


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