Rohingyas in Jammu Kashmir: मंदिरों के शहर जम्मू में अपराध का चेहरा बने रोहिंग्या, नशे व मानव तस्करी में आए नाम
वर्ष 2007 में जम्मू में बसाए एक हजार रोहिंग्याओं की आबादी चंद सालों में भी बढ़ती चली गई। कई रोहिंग्या मानव तस्करी में संलिप्त रहे हैं। यह नाबालिग लड़कियों को म्यांमार से लाकर कश्मीर के अलावा जम्मू के कई क्षेत्रों में बेचने के मामले सामने आ चुके हैं।
अवधेश चौहान, जम्मू : रोहिंग्या अब जम्मू में अपराध का चेहरा बन चुके हैं। मानव तस्करी का मामला हो या हवाला राशि इधर से ऊधर करने में भी रोहिंग्याओं की संलिप्तता उजागर हुई है। जम्मू में युवाओं को नशे के गर्त में धकेलने में भी रोहिंग्याओं का हाथ है। कश्मीर केंद्रित सरकारों के दबाव के कारण जांच का दायरा आगे नहीं बढऩे दिया जिससे रोहिंग्या मनमानी करने लगे।
वर्ष 2007 में जम्मू में बसाए एक हजार रोहिंग्याओं की आबादी चंद सालों में भी बढ़ती चली गई। एक अनुमान के अनुसार जम्मू संभाग में जगह-जगह करीब 10 हजार से अधिक रोहिंग्या बसे हैं। इनमें कई पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। कई रोहिंग्या मानव तस्करी में संलिप्त रहे हैं और कई नाबालिग लड़कियों को म्यांमार से लाकर कश्मीर के अलावा जम्मू के कई क्षेत्रों में बेचने के मामले सामने आ चुके हैं।
सेवानिवृत्त डीएसपी कमल शर्मा कहते हैं कि यह गोरखधंधा अभी भी चल रहा है। देशभर में फैले रोहिंग्याओं को जम्मू लाने वाले एजेंट बच्चियों की सौदेबाजी करते हैं। कई लड़कियां पुलिस रेलवे स्टेशन से पकड़ी जा चुकी हैं। लड़कियों को एजेंट आगे दूसरे के हवाले कर गायब हो जाते हैं। नरवाल पुलिस ने नौ फरवरी 2018 को रोहिंग्या नूर गुल अमीन निवासी म्यांमार और एक कश्मीरी महिला को दबोचा था। नूर ने पूछताछ में बताया था कि वह कई नाबालिग लड़कियों का सौदा कर चुका है। अधिकतर सौदे कश्मीर और जम्मू संभाग के रामबन व किश्तवाड़ में किए गए थे। नूर से पूछताछ के आधार पर पकड़ी कश्मीरी महिला का मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है।
अपराध का कारण : रोहिंग्या बस्तियों और झुग्गियों में अधिकांश युवाओं के पास रोजगार नहीं होता है जिस कारण वे अपराध की तरफ कदम बढ़ा लेते हैं। पुलिस अधिकारियों के अनुसार रोहिंग्या बच्चों को पढ़ाई नहीं करवाते उन्हें जल्दी काम पर लगवा देते हैं। कुछ को छोटा-मोटा काम मिल जाता है, लेकिन कुछ चोरी, नशा बेचने के काम में संलिप्त हो जाते हैं।
इन अपराधों में रहा हाथ : मादक पदार्थों की तस्करी में रोहिंग्या संलिप्त रहे हैं। जम्मू के विभिन्न थानों में 40 से अधिक रोहिंग्याओं पर मामले दर्ज हुए हैं। हेरोइन से लेकर चरस और गांजा बेचने के आरोप में रोहिंग्या पकड़े जा चुके हैं। सूत्रों के अनुसार रोहिंग्या बस्तियों के पास शाम ढलते ही कारों और बाइक से आए युवाओं की टोलियां घूमती पाई जाती हैं। दरअसल, इन बस्तियों और झुग्गियों में कुछ तत्व मादक पदार्थों के तस्कर होते हैं। हालांकि कई बार पुलिस दबिश भी दे चुकी है।
इसके अलावा धोखे से सरकारी पहचान पत्र बना कर संपत्ति खरीदने के मामले में एक रोहिंग्या हत्थे चढ़ चुका है। दो साल पहले सईद हुसैन निवासी म्यांमार ने सतवारी के बेलीचराना में भूमि खरीद ली थी। बकायदा राशन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर कार्ड और स्टेट सब्जेक्ट बनाया था। छन्नी हिम्मत पुलिस ने दो वर्ष पहले दो रोहिंग्याओं को 29 लाख की नकदी के साथ पकड़ा था। यह राशि हवाला के जरिए आतंकियों तक पहुंचाई जानी थी।
किसने क्या कहा
कई रोहिंग्याओं पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। मानव तस्करी मामले में पुलिस इनकी बस्तियों पर नजर रखती है। - मुकेश सिन्हा, पुलिस महानिरीक्षक, जम्मू
रोहिंग्याओं की मानव तस्करी में संलिप्तता चिंता की बात है। कश्मीरी हुक्मरानों ने अपराध का चेहरा बन रहे रोहिंग्याओं पर कभी हाथ नहीं डाला। अब नया जम्मू कश्मीर बन चुका है। इन्हें अब यहां से बाहर करना जरूरी है। - प्रो. हरिओम, वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक