Jammu Kashmir : पेट की आग बुझा रही राबिनहुड आर्मी, जागरण टीम भी करती है सहयोग
राबिनहुड आर्मी ज्यों तो बहुत पुरानी है। यह जम्मू में भी काम कर रही है लेकिन यहां इस आर्मी का गठन गांधीनगर में रहने वाले वीनस सेठी ने किया।
जम्मू, रोहित जंडियाल । रात को जब अधिकांश लोग खाना खाकर सोने की तैयारी कर रहे होते हैं तो कई लोग भूखे पेट इस उम्मीद में रहते हैं कि कोई उन्हें कुछ खाने के लिए दे दे। जम्मू शहर में ऐसे लोगों की संख्या हजारों में हैं। इसी दौरान मसीहा बनकर राबिनहुड आर्मी इनका पेट भरने पहुंच जाती है। वे कड़ाके की ठंड की परवाह किए बगैर घरों से बाहर निकल कर झुग्गी-झोंपडिय़ों, रेलवे स्टेशन और फ्लाईओवर के नीचे जहां पर भूखे पेट लोग सो रहे होते हैं, वहां खाना बांटते हैं। राबिनहुड आर्मी ज्यों तो बहुत पुरानी है। यह जम्मू में भी काम कर रही है, लेकिन यहां इस आर्मी का गठन गांधीनगर में रहने वाले वीनस सेठी ने किया। उनका मकसद था कि अगर कहीं भी सरप्लस खाना है तो वे डस्टबिन में नहीं बल्कि भूखे लोगों के पेट में जाए। उनकी मुहिम में उनके साथ जम्मू के कई शिक्षित युवाओं ने जुडना शुरू कर दिया।
झुग्गी-झोंपड़ियों, रेलवे स्टेशन और फ्लाईओवर के नीचे गरीब लोगों का भरा जाता पेट
उन्होंने होटलों, रेस्टारेंट, बेंक्वेट हॉल, बेकरी की दुकानों में राबिनहुड आर्मी के स्टिकर लगाकर सरप्लस खाना देने के लिए कहा। हालांकि, उनकी मुहिम के सफल होने में देरी भी लगी। पहले तो यहां के होटलवालों ने उन पर विश्वास नहीं किया लेकिन धीरे-धीरे जब एक बेकरी वाले ने अपनी सरप्लस बेकरी उन्हें दी और उसने पाया कि यह युवा रात को गर्मी हो या सर्दी की परवाह किए बगैर गरीब लोगों के बीच खाना बांट रहे हैं तो उनका विश्वास बढ़ता गया। उन्होंने धीरे-धीरे हर दिन उन्हें सरप्लस खाना, बेकरी देना शुरू कर दी। राबिनहुड आर्मी के सदस्यों को यह सरप्लस खाना रात को दस बजे के बाद मिलता है। उस समय यह खाना बांटना आसान नहीं होता। वे चुनौती को सफलतापूर्वक निभाते हैं।
हर हाल ही में खाना पहुंचाया जाता
वीनस सेठी ने बताया कि सब कुछ आसान नहीं होता है। रात को 11 बजे के आसपास ही खाना बांटने के लिए जाते हैं। कई बार रात को बारिश होती है। कई बार तापमान दो से तीन डिग्री सेल्सियस के बीच ही होता है। वे उस समय रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म में भूखे बेठे लोगों के अलावा झुग्गियों, फ्लाईओवर के नीचे रहने वालों को खाना बांटते हैं। जब किसी भूखे पेट बच्चे को खाने के लिए कुछ मिलता है तो उसके चेहरे पर खुशी देखने वाली होती है। बस यही देख कर ठंड काफूर हो जाती है। दिल को सुकून मिलता है। कई बार शादियों में जो भोजन बचता है, वह भी राबिनहुड आर्मी के सदस्य उनसे लेकर गरीबों में बांट देते हैं। यह प्रयास करते हैं कि कहीं पर भी जम्मू में एक भी दाना डस्टवीन में न पड़े।
जागरण टीम भी करती है सहयोग
राबिनहुड आर्मी के काम में दैनिक जागरण जम्मू टीम भी उनका पूरा सहयोग करती है। अक्सर टीम के सदस्य राबिनहुड आर्मी के सदस्यों के साथ रात को अपना काम खत्म करने के बाद उनके साथ रेलवे स्टेशन, झुग्गियों व अन्य जगहों पर खाना बांटने के लिए जाते हैं। वीनस सेठी का कहना है कि उनके साथ अब हर वर्ग के लोग जुड़ रहे हैं। सभी का मकसद एक ही है कि खाना व्यर्थ न जाए। जो भी रात को भूखा सो रहा है, उसके पेट में अन्न का दाना जाए।