जिस दिन मुझे रिजवान की जेल में मौत का पता चला, उसी दिन मैने आतंकी बनने का फैसला किया...
रिजवान का दोस्त भी बना आतंकी
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। अवंतीपोर के रहने वाले एक रिजवान असद पंडित की पुलिस हिरासत में कथित मौत के दो दिन बाद उसका एक दोस्त शाहिद मंजूर आतंकी बन गया है। शाहिद ने सोशल मीडिया पर हथियारों संग अपना एक वीडियो भी वायरल किया है। इसमें वह बंदूक और आतंकवाद को सही ठहरा रहा है।
गौरतलब कि गत सोमवार-मंगलवार की मध्यरात्रि को अवंतीपोर के रहने वाले 29 वर्षीय रिजवान की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। पुलिस ने उसके खिलाफ हिरासत से भागने का भी मामला दर्ज किया है। इसके अलावा इस पूरे मामले की भी राज्य प्रशासन ने मैजिस्ट्रेट जांच भी शुुरु कर रखी है।
बताया जाता है कि रिजवान कथित तौर पर जैश ए मोहम्मद के आतंकियों के साथ जुड़ा हुआ था और उसे लिथापोरा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आत्मघाति हमले के सिलसिले में पूछताछ के लिए तलब किया गया था। वह पीएसए के तहत भी बंद रह चुका है और गत दिंसबर में ही छूटा था। रिजवान जमात ए इस्लामी का भी सक्रिय कार्यकर्त्ता रहा है।
शाहिद मंजूर का वीडियो गत वीरवार की देर शाम से सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहा है। इसमें वह अपने आतंकी बनने का खुलासा करते हुए कह रहा है कि गुलामी की लंबी जिंदगी से बेहतर चार दिन की सम्मानजनक जिंदगी ही बेहतर है। मैं जानता हूं कि बंदूक उठाने के बाद मेरी जिंदगी चंद दिन की होगी। अगर आप चाहते को आपकी आने वाली पीढ़ियां भारत के जुल्म और गुलामी से आजाद हों तो जिहाद ही एकमात्र और अंतिम विकल्प है।
कालेज छात्र शाहिद मंजूर अपने इस वीडियो में खुद को रिजवान को दोस्त बताता है। वह कह रहा है कि मैं भी एक जीना चाहता हूं,पढ़ना चाहता हूंं,अपने मां-बाप के साथ शांति के साथ रहना चाहता हें। लेकिन मेरे पास बंदूक उठाने के सिवाय को दूसरा चारा नहीं है। मैं भी पहले यही मानता था कि जो लड़के बंदूक उठा रहे हैं, वह सिर्फ अपनी जिंदगी गंवा रहे हैं। लेकिन मेरी यह सोच गलत थी। यहां बंदूक उठाने और जिहाद के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
वीडियो में उसने अपने मां-बाप को संबोधित करते हुए कहा कि मैं माफी चाहता हूं कि मुझे आप लोगों से, बिना आपकी इजाजत अलग होना पड़ा है। अगर मैं ऐसा न करता तो क्यामत के रोज मैं जब रिजवान से मिलता तो मेरा सिर उसके आगे शर्म से झ़का होता। उसने वीडियो में पुलिस की कथित ज्यादतियों को आरोप लगाते हुए दावा किया है कि उसे और रिजवान को पुलिस द्वारा अकसर तंग किया जाता था।
कुछ समय पहले जब हम दोनों पुलिस ने हिरासत में लिया था तो हम दोनों पर मुखबिर बनने का दबाव बनाया गया,हमें कहा गया कि अगर हम सुरक्षाबलों के लिए काम नहीं करेंगे तो हमें जन सुरक्षा अधिनियम के तहत जेल में बंद कर दिया जाएगा। मंजूर ने कहा कि जिस दिन मुझे रिजवान की मौत का पता चला,उसी दिन मैने आतंकी बनने का फसैला किया। मैं जानता हूं कि सरकार ने जो जांच का आदेश दिया है,वह सिर्फ एक छलावा है।