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Kashmir Situation: कश्मीर घाटी में लहराते तिरंगों ने दिया बदलते कश्मीर का संदेश

लोगों के जोश को देख जगह-जगह तैनात सुरक्षाबलों के जवान भी उनका साथ दे रहे थे। कश्मीर में यह नजारा देखने वाला था।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 27 Jan 2020 02:51 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jan 2020 04:47 PM (IST)
Kashmir Situation: कश्मीर घाटी में लहराते तिरंगों ने दिया बदलते कश्मीर का संदेश
Kashmir Situation: कश्मीर घाटी में लहराते तिरंगों ने दिया बदलते कश्मीर का संदेश

जम्मू, राज्य ब्यूरो। नए कश्मीर में बदलाव दिखने लगा है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने पर जो राजनीतिक दल यह धमकी दिया करते थे कि कश्मीर में तिरंगा उठाने के लिए कोई हाथ नजर नहीं आएगा आज हालात विपरीत हैं। इन राजनीतिक दलों के नेता तो नजरबंद हैं। वहीं कश्मीर में हर जगह तिरंगा उठाए हुए लोग नजर आ रहे हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक ने गणतंत्र दिवस पर तिरंगा उठाकर रैली निकाली और भारत माता की जय के नारे भी बुलंद किए।

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केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहला गणतंत्र दिवस था और इसे यादगार बनाने के लिए प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय लोगों ने जो प्रयास किए थे, वे भी सफल दिखे। जम्मू से लेकर आतंकवाद ग्रस्त उत्तरी कश्मीर तक लोग हाथों में तिरंगे लिए नजर आए। उत्तरी कश्मीर के जिला कुपवाड़ा के हंदवाड़ा में तो लोगों ने पाकिस्तान प्रायोजित अलगाववादियों और आतंकियों की धमकियों को पूरी तरह से नजरंदाज कर बकायदा तौर पर तिरंगा रैली निकाली। इस रैली में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हुए। पहले उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और इसके बाद हाथों में तिरंगे लेकर पूरे कस्बे में रैली निकाली। इस दौरान वे लगातार भारत माता के नारे भी बुलंद कर रहे थे। लोगों के जोश को देख जगह-जगह तैनात सुरक्षाबलों के जवान भी उनका साथ दे रहे थे। कश्मीर में यह नजारा देखने वाला था।

कुपवाड़ा में ही जमी हुई बर्फ के बीच लोगों ने तिरंगा फहराया और राष्ट्रीय गान गाकर ये संदेश दिया कि जम्मू-कश्मीर भी देश के अन्य भागों की तरह ही है। यहां के लोग पूरी तरह से भारतीय हैं और भारत सरकार के कदमों के साथ कदम चलाकर चल रहे हैं। कुपवाड़ा के अलावा श्रीनगर में भी लोगों में भारी उत्साह था। शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम लोगों से खचाखच भरा हुआ था। स्टेडियम में जाने वाले लोगों के हाथों में भी तिरंगे थे और यहां पर भी कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय गान गाया गया। कश्मीर में यह नजारा आतंकवादग्रस्त पुलवामा से लेकर शोपियां और बड़गाम तक देखने को मिला। इस बार ये इसीलिए भी अहम था क्योंकि पिछले पांच महीनों से कश्मीर में कई राजनीतिक दलों के नेता हिरासत में हैं। लोगों ने बावजूद इसके बढ़-चढ़कर गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेकर देश के प्रति अपने जज्बे को दर्शाया।

अब राजनीतिक दलों के बहकावे में नहीं आएंगे कश्मीरी

पीडीपी अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अकसर यह धमकी देती थी कि अगर अनुच्छेद 370 हटाया गया तो देश का झंडा उठाने वाला कश्मीर में कोई नजर नहीं आएगा। लेकिन अब हालात यह हैं कि पीडीपी को घाटी में अपना झंडा उठाने वाले कार्यकर्ता कम नजर आ रहे हैं और इसके विपरीत तिरंगा उठाने के लिए बड़ी संख्या में लोग बाहर आ रहे हैं। गणतंत्र दिवस पर कश्मीर में कई जगहों पर तिरंगा रैली और आयोजित अन्य कार्यक्रमों में लोगों की भागीदारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब वे राजनीतिक दलों की बहकावे में आने वाले नहीं। यही नहीं इससे पाकिस्तान और अलगाववादी नेताओं को भी करारा झटका लगा है। उन्होंने भी पूरा प्रयास किया था कि पिछले सालों की तरह इस बार भी घाटी में लोग गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल न हों।  


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