Jammu Kashmir: पढ़ें कब-कब महबूबा मुफ्ती के बिगड़े बोल, क्या-क्या अब तक बोलीं
महबूबा मुफ्ती ने अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के शव को पाकिस्तानी झंडे में लपेटने और वहां देश विरोधी नारेबाजी करने वालों का समर्थन किया था।इस कार्रवाई के उपरांत महबूबा मुफ्ती ने स्वयं को नजरबंद किए जाने का दावा किया।
जम्मू, जेएनएन। पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती हमेशा से ही अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रही है। हालांकि महबूबा का पाकिस्तान के प्रति प्रेम जग जाहिर है लेकिन महबूबा मुफ्ती की दिशाहीन नीतियों के वजह से पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से कई दिग्गज नेता अपना दामन छोड़ चुके हैं। बावजूद इसके महबूबा विचलित नहीं हुई और अभी भी जम्मू-कश्मीर को पुन: राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग पर अड़ी हैं।
हाल ही में महबूबा मुफ्ती ने अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के शव को पाकिस्तानी झंडे में लपेटने और वहां देश विरोधी नारेबाजी करने वालों का समर्थन किया था।इस कार्रवाई के उपरांत महबूबा मुफ्ती महबूबा ने ट्वीट किया कि भारत सरकार अफगानिस्तान के अधिकारों की तो चिंता करती हैने स्वयं को नजरबंद किए जाने का दावा किया। महबूबा ने ट्वीट किया कि भारत सरकार अफगानिस्तान के अधिकारों की तो चिंता करती है लेकिन दूसरी ओर कश्मीरियों के अधिकारों का हनन कर रही है। उन्हें नजरबंद करना इस बात का संकेत है कि कश्मीर में स्थिति सामान्य से बहुत दूर है। भले ही स्थानीय प्रशासन कश्मीर में सब कुछ सामान्य होने की बात कर रहा है।
महबूबा मुफ्ती ने गत 21 अगस्त को तालिबान की आड़ में केंद्र पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि केंद्र हमारे सब्र का इम्तिहान न ले, हमारे पास अफगानिस्तान की मिसाल है। फौज काम नहीं आती है। जब तक आप लोगों के दिलो-दिमाग को नहीं जीतोगे।इतना नहीं नहीं, महबूबा की यही तक बस नहीं हुई। उन्होंने कश्मीर और अफगानिस्तान के हालात की तुलना करते हुए बिना किसी का नाम लिए कहा था कि जिस वक्त यह बर्दाश्त का बांध टूट जाएगा, तब आप नहीं रहोगे, मिट जाओगे। अफगानिस्तान में देखो क्या हो रहा है। अमेरिका का नाम लिए बिना कहा कि उनको भी वहां से बोरिया-बिस्तर लेकर वापस जाना पड़ा।अभी भी मौका है। जिस तरह से वाजपेयी जी ने बातचीत शुरू की थी, बाहर और यहां भी, उसकी तरह आप भी बातचीत का सिलसिला शुरू कीजिए।