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Jammu: गांव-गांव जाकर शिक्षा की लो जगा रही रश्मि, शहर में टटोरियल बंद कर गांव में ले रहीं क्लास

रश्मि कहती है कि आज सरकार की ओर से महिलाओं के लिए कई योजनाएं हैं लेकिन उनके गांव की अधिकतर महिलाएं अशिक्षित हैं। जिस कारण अधिकतर योजनाओं का उन्हें पता ही नहीं चलता। उन्होंने गांव की सभी औरतों को भी पढ़ने का खुला निमंत्रण दिया हुआ है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 01:42 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 01:42 PM (IST)
Jammu: गांव-गांव जाकर शिक्षा की लो जगा रही रश्मि, शहर में टटोरियल बंद कर गांव में ले रहीं क्लास
रश्मि का कहना है कि कोरोना ने उन्हें एक ऐसी जिम्मेवारी दे दी है। जिसे वह जीवन भर निभाना चाहेंगी।

जम्मू, जागरण संवाददाता। कोरोना के इस दौर में जब जीवन थम सा गया है। किसी को समझ नहीं आ रहा कि आखिर आगे होगा क्या, खासकर बच्चों की शिक्षा को लेकर हर कोई चिंतित है। शहरों में तो ऑनलाइन पढ़ाई और दूसरे कई साधन हैं लेकिन गांव के वे बच्चे जिनके पास तो दूर, उनके परिवार के भी मुश्किल से किसी एक ही सदस्य के पास मोबाइल फोन की सुविधा है। उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गांव के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसका बीड़ा उठाया तहसील रियासी के पिछडे़ हुए गांव फडे की नवविवाहिता रश्मि शर्मा ने।

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रश्मि स्वयं जम्मू यूनिवर्सिटी से मॉस्टर्स डिग्री किए हुए हैं। उनकी शादी हुए अभी कुछ दिन ही हुए थे कि कोरोना संक्रमण के चलते उन्हें अपना टटोरियल बंद कर अपने पति के साथ गांव जाना पड़ा। गांव में कुछ समय बिताते हुए उसे अहसास हुआ कि जिस तरह का माहौल चल रहा है। उसके चलते तो गांव में रह रहे बच्चों की शिक्षा बड़ी बुरी तरह से प्रभावित होगी।गांव वालों को भी पड़ी लिखी बहु से उम्मीद थी कि अगर वहीं उनके बच्चों को थोड़ा बहुत पढ़ाती रहे तो उनके बच्चों का बेहतर मार्गदर्शन होगा। पढ़ाई भी चलती रहेगी। लेकिन कोरोना के चलते कोई हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था कि कैसे बहु को कहा जाए।

इससे पहले कि कोई रश्मि को बच्चों की परेशानी बताता। रश्मि ने खुद ही सास, ससुर और पति से अनुमति लेकर घर में ही बच्चों को पढ़ाने का निर्णय लिया। देखते ही देखते आसपास के सभी बच्चे उनसे पढ़ने के लिए पहुंचने लगे।आज रश्मि अपने गांव छमानु फडे में तो शिक्षा की लो जगा ही रही है। आसपास के गांव के बच्चों को भी अगर पढ़ाई को लेकर किसी प्रकार की परेशानी होती है तो उसका समाधान भी उसके पास है। इतना ही नहीं बच्चों की पढ़ाई के साथ वह आसपास की महिलाओं को भी जागरूक करने में जुटी हुई है।

रश्मि कहती है कि आज सरकार की ओर से महिलाओं के लिए कई योजनाएं हैं लेकिन उनके गांव की अधिकतर महिलाएं अशिक्षित हैं। जिस कारण अधिकतर योजनाओं का उन्हें पता ही नहीं चलता। उन्होंने गांव की सभी औरतों को भी पढ़ने का खुला निमंत्रण दिया हुआ है। वह मानती हैं कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती। इसके अलावा सभी महिलाओं को कहा हुआ है कि उन्हें कोई भी फार्म भरवाना हो या दूसरी किसी मदद की जररूत हो तो वह उनका पूरा सहयोग करेंगी।रश्मि ने कोराेना के इस काल में इस संक्रमण की गंभीरता को समझते हुए दूसरों को भी शारीरिक दूरी बनाए रखने, साफ सफाई का विशेष ध्यान रखने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

रश्मि का कहना है कि उनका गांव काफी पिछड़ा हुआ है।कोरोना ने उन्हें एक ऐसी जिम्मेवारी दे दी है। जिसे वह जीवन भर निभाना चाहेंगी।आगे भी बच्चों को इसी तरह निशुल्क पढ़ाती रहेंगी।महिलाओं को जागरूक करती रहेंगी।बच्चों का पढ़ाई कि जो सुविधा शहरों में है, गांव में नहीं है। बच्चे प्रतिभाशाली हैं। वह चाहती हैं कि उन्हें सही तरीके से शिक्षित करती रहें।


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