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बच्चों की मौत के मामले में केंद्रीय टीम की रिपोर्ट पर टिकी निगाहें

ऊधमपुर के रामनगर में 10 बच्चों की मौत और सात बच्चों के बीमार होने के कारणों की अभी तक जानकारी नहीं मिल पाई है। वहीं जांच करने आई टीमें ब्लड सैंपल लेकर लौट गई हैं। अब सभी की निगाहें केंद्रीय टीम की रिपोर्ट पर टिकी हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 08:43 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 08:43 AM (IST)
बच्चों की मौत के मामले में केंद्रीय टीम की रिपोर्ट पर टिकी निगाहें
बच्चों की मौत के मामले में केंद्रीय टीम की रिपोर्ट पर टिकी निगाहें

राज्य ब्यूरो, जम्मू : ऊधमपुर के रामनगर में 10 बच्चों की मौत और सात बच्चों के बीमार होने के कारणों की अभी तक जानकारी नहीं मिल पाई है। वहीं, जांच करने आई टीमें ब्लड सैंपल लेकर लौट गई हैं। अब सभी की निगाहें केंद्रीय टीम की रिपोर्ट पर टिकी हैं।

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इस मामले में स्वास्थ्य विभाग जम्मू, ऊधमपुर व रामनगर की टीमों ने अलग से जांच की है, लेकिन अभी तक उनकी किसी भी रिपोर्ट में बीमारी के कारणों का पता नहीं चल पाया है। यह टीमें अपने स्तर पर ही जांच कर रही हैं। वहीं, केंद्रीय टीम अपनी रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग को सौंपेगी। इसके बाद यह रिपोर्ट स्वास्थ्य निदेशक जम्मू के पास आएगी। स्वास्थ्य निदेशक जम्मू डॉ. रेनू शर्मा का कहना है कि टीम की रिपोर्ट आने के बाद ही इस मुद्दे पर कुछ कहा जा सकता है। दवाइयों की दुकान सील करने गई टीम वापस लौटी

बच्चों की मौत के मामले में वीरवार को रामनगर में दवाइयों की दुकान सील करने गई ड्रग कंट्रोल विभाग की टीम को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा, जिसके बाद टीम वापस रवाना हो गई। जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें से कई बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने दवा रामनगर मुख्य बाजार में स्थित एक दुकान से खरीदी हैं।

हालांकि अभी यह साबित नहीं हो पाया है कि बच्चों की मौत का कारण क्या है। इसके बावजूद ड्रग कंट्रोल विभाग की टीम जब रामनगर पहुंची तो स्थानीय लोग व आसपास के दुकानदार वहां एकत्रित हो गए। उन्होंने ड्रग कंट्रोल विभाग की टीम का कड़ा विरोध किया। लोगों का कहना था कि अगर दवाई खराब है तो उस कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाए, जिसने यह दवाई बनाई है। इसमें दुकानदार का क्या कसूर है। उसने दवाई बाजार से ही लाई है। लोगों ने टीम को चेतावनी दी कि वह किसी भी कीमत पर दुकान को सील नहीं करने देंगे। टीम में शामिल कर्मचारियों ने हालांकि दुकान को सील करने का प्रयास किया, लेकिन लोगों के विरोध को देखते हुए वह वापस चले गए। कई कर्मचारी देर तक उप जिला अस्पताल रामनगर में ही बैठे रहे। रामनगर में सुविधाएं न होने का मलाल, दुआओं का सहारा

ऊधमपुर जिला के रामनगर में अज्ञात बीमारी से पीड़ित बच्चों के परिजनों को अब डॉक्टरों से अधिक दुआओं का सहारा है। कई दिनों से अस्पताल में भर्ती बच्चों की खामोशी ने उन्हें तोड़ कर रख दिया है। प्रशासन की ओर से कोई सहायता न मिलने और नेताओं की बेरुखी ने उन्हें और आहत किया है।

पीजीआइ चंडीगढ़ के इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) में भर्ती कटवालत गांव के पांच वर्षीय आशीष के पिता सुभाष का कहना है कि वह कई दिनों से बच्चे को लेकर अस्पताल में आए हुए हैं। मगर प्रशासन ने उनकी सुध तक नहीं ली। किसी ने कोई सहायता नहीं की। कोई भी नेता उनसे मिलने के लिए नहीं आया। अगर रामनगर के अस्पताल में सुविधाएं होती तो उसी समय बीमारी का पता चल जाता। उन्हें तीन दिन तक रामनगर और ऊधमपुर में दरबदर नहीं होना पड़ता।

पीजीआइ चंडीगढ़ में ही भर्ती गांव सला के तीन साल के प्रणब की दादी का कहना है कि अभी भी उनका बच्चा होश में नहीं है। पहले वह डीएमसी लुधियाना में भर्ती था, लेकिन अब उसे पीजीआइ में भेज दिया गया है। कोई भी उनकी सुध लेने के लिए नहीं आया है।

पीजीआइ में ही भर्ती तीन वर्षीय तनवीर सिंह की हालत भी गंभीर बनी हुई है। परिजनों का कहना है कि कोई उन्हें आश्वासन देने तक नहीं आया। हालांकि लुधियाना के डीएमसी में भर्ती सवा साल के आधव शर्मा के परिजनों का कहना है कि एक दिन पहले उनसे कुछ अधिकारियों ने यह जरूर कहा कि उन्हें बिल में कुछ छूट दिलाई जाएगी। वहीं, रामनगर में लोगों को यह मलाल है कि इन बच्चों की मौत के बाद भी कोई मंत्री अस्पताल में नहीं आया। एक दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री भी रामनगर गए थे, लेकिन वह भी अस्पताल में नहीं गए।


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