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Pulwama Attack: नौ साल पहले मर चुकी जमीला के सिम ने खोले पुलवामा के राज, शव के पास से बरामद हुआ था मोबाइल

खुले दफन राज मुठभेड़ में मारे गए मुख्य आरोपी उमर फारूक के शव के पास से बरामद हुआ था यह क्षतिग्रस्त मोबाइल एनआइए ने अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआइ की भी ली मदद

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2020 09:35 AM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2020 09:46 AM (IST)
Pulwama Attack: नौ साल पहले मर चुकी जमीला के सिम ने खोले पुलवामा के राज, शव के पास से बरामद हुआ था मोबाइल
Pulwama Attack: नौ साल पहले मर चुकी जमीला के सिम ने खोले पुलवामा के राज, शव के पास से बरामद हुआ था मोबाइल

श्रीनगर, नवीन नवाज। पुलवामा हमले की साजिश और साजिशकर्ताओं का काला चिट्ठा सामने आने लगा है। हमले के राज दफन ही रहते, अगर नौ वर्ष पूर्व मर चुकी बडग़ाम की एक महिला जमीला के नाम पर लिया गया मोबाइल सिम हाथ न लगता। इसी सिम में साजिश और इसके साजिशकर्ताओं की पूरी कुंडली कैद थी। हालांकि इस सिम से डाटा निकालना इतना आसान नहीं था। इसके लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने अमेरिका की खुफिया एजेंसी एफबीआइ (फेडरल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन) की मदद ली। एफबीआइ ने सिम पर हुई बातचीत और वाट्सएप और अन्य एप पर की गई बातचीत का पूरा ब्योरा उपलब्ध कराया है। इसके अलावा एफबीआइ ने ही हमले में अमोनियम नाइट्रेट, नाइट्रोग्लीसरीन और जिलेटिन के इस्तेमाल की पुष्टि करते हुए आवश्यक साक्ष्य जुटाने में मदद की है।

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एक अधिकारी ने बताया, एनआइए को पता चला कि हमले के मुख्य आरोपित मोहम्मद उमर फारूक के शव के पास से पुलिस ने एक क्षतिग्रस्त मोबाइल बरामद किया है। मगर पुलिस मोबाइल से डाटा प्राप्त करने में विफल रही। एनआइए ने मोबाइल प्राप्त कर डाटा प्राप्त करने की कवायद शुरू की। इसमें अमेरिका की खुफिया एजेंसी एफबीआइ की मदद भी ली गई। सैमसंग कंपनी के इस मोबाइल के सिक्योरिटी लॉक को तोडऩा आसान नहीं था। एनआइए ने इसमें इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीइआरटी-आइएन) की भी मदद ली।

डिलीट डाटा और तस्वीरें मिलने से आसान हुआ काम :

एफबीआइ ने बताया कि वाट्एसएप चैट में एक अकाउंट जैश कमांडर मोहम्मद हसन का है, जो गुलाम कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद से संचालित होता है। उन्होंने बताया कि आतंकियों द्वारा जो सिम इस्तेमाल किए जा रहे थे, वह कश्मीर में ही खरीदे गए थे। इनमें एक सिम बडग़ाम की रहने वाली जमीला नामक एक महिला के नाम पर जारी किया गया था। जबकि जमीला की मौत वर्ष 2011 में हो चुकी थी। ऐसे में इस सिम पर जिन लोगों से बातचीत हुई थी, उनकी निशानदेही करते हुए गतिविधियों की निगरानी की गई। इस बीच, फोन में आतंकी कमांडरों द्वारा डिलीट किए गए डाटा और तस्वीरों को भी प्राप्त कर लिया गया। इन तस्वीरों ने एनआइए का काम और आसान कर दिया। एनआइए ने एक के बाद एक कर सभी ओवरग्राउंड वर्करों को दबोचना शुरू कर दिया। इससे हमले की साजिश और इसमें लिप्त सभी तत्व सामने आते गए।

हमले से पहले वीडियो बनाकर पाकिस्तान भेजा गया था :

अधिकारी ने बताया कि आदिल डार का वीडियो इंशा जान के घर में तैयार किया था। इस वीडियो को तैयार कर पहले पाकिस्तान में जैश कमांडर को वाट्सएप के जरिए भेजा गया था, उसके बाद उसने वीडियो को वापस भेजा। इसके अलावा आतंकी के फोन पर हमले के एक अन्य आरोपित रउफ असगर की हमले से चंद दिन पूर्व पाकिस्तान में हुई एक रैली का वीडियो भी मिला। इस वीडियो में रउफ असगर कह रहा है कि जल्द ही कश्मीर में एक बड़ा धमाका होगा और भारतीय फौज की धज्जियां उड़ जाएंगी।

मुंबई और पठानकोट हमलों में भी मदद कर चुकी है एफबीआइ :

इससे पहले मुंबई हमले और पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले में भी भारत सरकार ने जांच में एफबीआइ की मदद ली थी। एफबीआइ ने इन दोनों हमलों में लिप्त आतंकियों के मोबाइल फोन का डाटा उपलब्ध कराने व उनके कमांडरों के साथ हुई बातचीत का ब्योरा जुटाने में मदद की थी।

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