Jammu: बिना पंजीकरण नशा छुड़ाने का धंधा बन गए निजी नशा मुक्ति केंद्र, मनारोग विशेषज्ञ-काउंसलर तक नहीं
Drug de-addicition Centers in Jammu Kashmir पिछले एक दशक में जम्मू संभाग में नशाखोरी की समस्या बढऩे लगी। लोगों को नशे से मुक्त कराने के काम को कुछ लोगों ने कमाई का जरिया बना लिया तो फिर यहां पर एक के बाद एक नशा मुक्ति केंद्र खुलने लगे।
जम्मू, राज्य ब्यूरो: जम्मू संभाग में युवाओं में नशाखोरी की लत बढ़ी तो कुछ लोगों ने इसे छुड़ाने को ही कमाई का कारोबार बना लिया। बिना पंजीकरण के चल रहे निजी नशा मुक्ति केंद्रों में सुविधाओं की घोर कमी है। मनारोग विशेषज्ञ तो दूर काउंसिलिंग देने के लिए भी कोई नहीं मिलता। आश्चर्य है कि इनमें सुविधाओं की जांच के लिए समिति भी बनी है, लेकिन यह अब तक इन केंद्रों की दहलीज पर नहीं पहुंची है।
जम्मू संभाग में पहला नशा मुक्ति केंद्र जम्मू जिले के पुरखु में वर्ष 1991 में खुला था। जेके सोसायटी फार प्रमोशन आफ यूथ एंड मासेस ने सामाजिक न्याय मंत्रालय के एक प्रोजेक्ट के तहत इसे स्थापित किया था। यह प्रोजेक्ट अभी भी चल रहा है। इसके कई साल बाद जम्मू के मनोरोग अस्पताल में नशा मुक्ति केंद्र खुला, लेकिन वह अधिक दिन नहीं चल पाया। इसके बाद मेडिकल कालेज में भी खुला, यह भी बंद हो गया। तब तक नशे की समस्या अधिक नहीं थी।
पिछले एक दशक में जम्मू संभाग में नशाखोरी की समस्या बढऩे लगी। लोगों को नशे से मुक्त कराने के काम को कुछ लोगों ने कमाई का जरिया बना लिया, तो फिर यहां पर एक के बाद एक नशा मुक्ति केंद्र खुलने लगे। पहले यहां कोई भी नशा मुक्ति केंद्र नहीं खोलता था, लेकिन वर्तमान में जम्मू संभाग में छह से सात निजी नशा मुक्ति केंद्र चल रहे हैं।
बिना पंजीकरण के नशा मुक्ति का कारोबार: सूत्रों का कहना है कि जम्मू संभाग में खुले नशा मुक्ति केंद्रों में से कोई भी स्वास्थ्य विभाग के साथ पंजीकृत नहीं है। कुछ ने पंजीकरण के लिए अपनी फाइल जरूर दी है। इनमें विजयपुर का यह न्यूलाइफ सेंटर भी शामिल है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पहले एक नशा मुक्ति केंद्र का पंजीकरण था, लेकिन अब नए नियमों के तहत उसका भी पुनर्पंजीकरण नहीं हो पाया है।
बिना डाक्टर, मनोरोग विशेषज्ञ के इलाज: हैरानगी की बात तो यह है कि जम्मू संभाग में खुले अधिकतर नशा मुक्ति केंद्रों में सुविधाएं तक नहीं हैं। नशा मुक्ति केंद्र खोलने के लिए नियमों के तहत एक एमबीबीएस डाक्टर या फिर मनोरोग विशेषज्ञ होना चाहिए। इसके अलावा दो काउंसलर, नर्सिंग स्टाफ व अन्य स्टाफ भी जरूरी है। कई में तो एक भी काउंसलर नहीं है। कोई तो मनोरोग विशेषज्ञ के बिना ही चल रहे हैं। इसके बावजूद यह निजी नशा मुक्ति केंद्र नशा छुड़ाने के लिए प्रति माह 20 से 40 हजार रुपये तक वसूलते हैं। इस पर कोई रोक नहीं है।
पंजाब का डाक्टर चला रहा नशा मुक्ति केंद्र: सांबा जिले के विजयपुर में जिस नशा मुक्ति केंद्र में एक युवक की मौत हुई है, वह पंजाब का एक डाक्टर चला रहा है। सूत्रों का कहना है कि यह डाक्टर पंजाब में अन्य किसी नाम से सेंटर चलाता है, लेकिन विजयपुर में यह न्यूलाइफ नाम से सेंटर चला रहा था। करीब डेढ़ वर्ष पहले उसने संबंधित विभाग के पास पंजीकरण के नाम पर एक आवेदन दिया है, पर इसकी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई है। सूत्रों का कहना है कि इस सेंटर के पास भी पर्याप्त सुविधाएं नहीं है।
नशा करने वाले पहले भी भागते रहे हैं: नशा मुक्ति केंद्रों से पहले भी युवक भागते रहे हैं, लेकिन उन मामलों में बाकायदा पुलिस की सहायता ली जाती रही है। इस बार विजयपुर मामले में ऐसा नहीं हुआ। नशा मुक्ति केंद्र चलाने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि नशा छुड़ाने वाले कई बार इस तरह की हरकतें करते हैं। इन पर नियंत्रण के लिए पूरा स्टाफ होता है। अगर आप वैध तरीके से सेंटर चला रहे हैं तो फिर इस तरह से भागने की कोई जरूरत नहीं होती।
सरकारी स्तर पर भी हैं केंद्र: जम्मू में सरकारी स्तर पर भी कुछ नशा मुक्ति केंद्र काम कर रहे हैं। इनमें मनोरोग अस्पताल में चल रहा नशा मुक्ति केंद्र, पुरखु में सामाजिक न्याय मंत्रालय के प्रोजेक्ट के तहत चल रहा मशविरा नशा मुक्ति केंद्र और पुलिस लाइन जम्मू में पुलिस विभाग द्वारा चलाया जा रहा नशा मुक्ति केंद्र प्रमुख हैं। इसके अलावा कठुआ में भी एक निजी संस्था नशा मुक्ति केंद्र चला रही है।