Jammu Kashmir: आतंकियों व अलगाववादियों के मददगार ठेकेदारों के ठेके रद करने की तैयारी, यह है इसकी वजह
आतंकवाद के प्रति जीरो टालरेंस की नीति को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश सरकार आतंकियों अलगाववादियों और राष्ट्रविरोधी तत्वों के साथ प्रत्यक्ष-परोक्ष संबंध रखने वाले ठेकेदारों पर नकेल कसने जा रही है।इनका पूरा ब्योरा तैयार किया जाएगा और उसके साथ ही उनके ठेके रद करने की प्रक्रिया भी शुरू होगी।
श्रीनगर, नवीन नवाज : आतंकवाद के प्रति जीरो टालरेंस की नीति को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश सरकार आतंकियों, अलगाववादियों और राष्ट्रविरोधी तत्वों के साथ प्रत्यक्ष-परोक्ष संबंध रखने वाले ठेकेदारों पर नकेल कसने जा रही है। ऐसे सभी ठेकेदारों, सप्लायर व कंपनियों को सरकारी कार्यों के ठेके व आपूर्ति आदेेश इत्यादि के आबंटन पर रोक लगाने का फैसला किया गया है। प्रदेश सरकार ने यह कदम आतंकियों व अलगाववादियों के वित्तीय नेटवर्क को पूरी तरह तबाह करने के लिए उठाया है। प्रदेश सरकार ने पहले ही सरकारी विभागो में बैठे राष्ट्रविरोधी तत्वों की सेवाएं समाप्त कर उन्हेंं घर भेजने का एक अभियान शुरू कर रखा है।
संबंधित सूत्रों ने बताया कि पुलिस व खुफिया एजेंसियों को निर्देश दिया गया है कि वह उन सभी लोगों व कंपनियों का पता लगाएं, जो प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से राष्ट्रविरोधी गतिविधियों व तत्वों के साथ लिप्त होने के बाद सरकारी योजनाओं के ठेके प्राप्त कर रहे हैं। इन सभी का पूरा ब्योरा तैयार किया जाएगा और उसके साथ ही उनके ठेके रद करने की प्रक्रिया भी शुरू होगी।
उन्होंने बताया कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में बीते मई में हुई एक बैठक में इस विषय पर गहन विचार-विमर्श हुआ है। उन्होंने तत्कालिक मुख्य सचिव और प्रशासनिक सचिवों को ऐसा कोई मार्ग तैयार करने को कहा था, जिससे संदिग्ध चरित्र वाले तत्व किसी भी तरह से सरकारी कार्यों को पूरा करने के ठेके प्राप्त न कर सकें।
महा प्रशासनिक विभाग ने 10 मई को सभी विभागों के प्रशासनिक सचिवों को एक नोटिस जारी कर कहा था कि वह मई में उपराज्यपाल की अध्यक्षता में हुई बैठक का संज्ञान लें और उसमें लिए गए फैसले पर कार्रवाई कर अपनी रिपोर्ट भी दें।
कई पूर्व आतंकी भी कर रहे हैं ठेकेदारी :
सूत्रों के अनुसार, प्रदेश सरकार ने यह कदम उन रिपोर्टों का संज्ञान लेते हुए उठाया है जिनमें कहा गया है कि कई पूर्व आतंकी जो बंदूक छोडऩे के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ जुड़ गए हैं, ठेकेदारी कर रहे हैं। इन्हेंं आराम से कई संवेदनशील कार्याें को पूरा करने का भी ठेका मिला है। यह ठेकों के जरिए होने वाली कमाई का एक हिस्सा तथाकथित तौर पर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए भी उपलब्ध कराते हैं। कई मामलों में देखा गया है कि ठेका किसी कंपनी या किसी अन्य व्यक्ति ने प्राप्त किया होता है और काम यह लोग कर रहे होते हैं। इसके अलावा सरकारी विभागों से जुड़े कामकाज के ठेकों को प्राप्त करने की आड़ में यह तत्व सरकारी तंत्र में अपनी पैठ बढ़ाकर उसका इस्तेमाल राष्ट्रविरोधी और आतंकी गतिविधियों के लिए भी करते हैं।
फैसले के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्ष :
कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ और पत्रकार बिलाल रशीद ने कहा कि सरकार के इस फैसले के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही पक्ष हैं। उन्होंने कहा कि हमने कई बार देखा है कि कुछ पुराने आतंकी हैं जो बंदूक छोड़ने के बाद रातों रात बड़े व्यापारी और ठेकेदार बन गए हैं। इन्हीं लोगों को विभिन्न सरकारी निर्माण योजनाओं और विभिन्न सरकारी विभागों में तरह तरह के सामान की आपूर्ति के आदेश भी मिलते हैं। सरकार को यह भी ध्यान जरूर रखना होगा कि अगर कोई पूर्व आतंकी जिसने बंदूक को पूरी तरह छोड़ दिया है और एक सामान्य जिंदगी जी रहा है, उसका रोजगार इस नए आदेश के तहत प्रभावित न हो।
1956 के कानून के तहत होता पंजीकरण :
जम्मू-कश्मीर में ठेकेदारों का पंजीकरण 1956 में जम्मू कश्मीर विधानसभा द्वारा पारित कानून के तहत होता है। इस कानून में कहीं भी नहीं लिखा गया है कि सरकार विरोधी और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त किसी भी ठेकेदार को टेंडर जमा करने या टेंडर प्राप्त करने से वंचित किया जाए। जम्मू कश्मीर में ठेकेदार को अपना पंजीकरण कराने के लिए पुलिस से अपने बारे में जांच करानी होती है। पुलिस की इस जांच को कैरेक्टर वेरिफिकेशन भी कहते हैं।