बरसते रहे गोले, उड़ गया पांव पर इमरान ने नहीं हारी हिम्मत
करीब 330 बजे पाक सेना ने अचानक गोलाबारी शुरू कर दी। दोनों तरफ से गोलाबारी तेज होने लगी। बचने की कोई उम्मीद नहीं थी।
गगन कोहली, राजौरी। 16 साल का किशोर मुहम्मद इमरान खान करीब आठ घंटे तक गोलियों व गोलों के बीच फंसकर जिंदगी-मौत से लड़ता रहा। दरअसल मेंढर में नियंत्रण रेखा पर सीमा पार पाकिस्तान रिहायशी क्षेत्र में भारी गोलाबारी कर रहा था। गोलियां सिर के ऊपर से निकल रही थी। यहां से भी जवाबी कार्रवाई हो रही थी। इसी दौरान एक मोर्टार शेल इमरान से कुछ दूरी पर आकर फटा जिसमें वह और सात अन्य लोग घायल हो गया। मेडिकल कॉलेज राजौरी में डॉक्टरों को जान बचाने के लिए इमरान के एक पांव को काटना पड़ा।
वह उप जिला मेंढर के बालाकोट के धराटी सरकारी हाई स्कूल में दसवीं कक्षा का छात्र है। वार्ड नंबर दो आर्थो सर्जिकल वार्ड में भर्ती इमरान ने कहा कि गत रविवार को मुझे पता चला कि चाचा की जेसीबी मशीन गांव बरोटी में सड़क निर्माण कार्य के लिए लगी हुई है। मैं देखने पहुंच गया। करीब 3:30 बजे पाक सेना ने अचानक गोलाबारी शुरू कर दी। दोनों तरफ से गोलाबारी तेज होने लगी। बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। मैं घर की तरफ भागने लगा। इसी दौरान पाक सेना की ओर से दागा मोर्टार शेल मेरे करीब आकर फटा। मैं दूर जाकर गिरा। बायां पांव लहूलुहान था। जिस जगह मैं फंसा था वह तंग थी। सभी लोग मुझे छोड़ कर सुरक्षित स्थानों की तरफ भाग चुके थे। किसी को पता नहीं था कि मैं घायल हूं और गोलाबारी प्रभावित क्षेत्र में फंसा हूं। मैं आठ घंटे तक उस जगह अटका रहा यहां से सैकड़ों मोर्टार के गोले और हजारों गोलियां सिर के ऊपर से गुजर रही थी।
उम्मीद खो दी थी कि ङ्क्षजदा बच पाऊंगा। मां के प्यार व दुआ से मैं ङ्क्षजदा बचा हूं। बाद में पता चलने पर मुझे घायल हालत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धारगलून में लाया। मेडिकल कॉलेज राजौरी रेफर कर दिया। जब होश आया तो देखा कि मेरा एक पांव कट चुका है। बेटे की हालत देख पिता अफजल की आंखें भर आईं। हर रोज भारी गोलाबारी हो रही है, हम लोग हर रोज मर रहे हैैं। बेहतर है कि एक ही बार आरपार हो जाए। मेरा बेटा दिव्यांग हो गया है।
जब जम्मू भेजने का निर्णय लिया वापस : जीएमसी राजौरी के ऑर्थो सर्जन, डॉ. शाङ्क्षलदर शर्मा ने कहा कि जब मैं अस्पताल पहुंचा तो इमरान बेहोशी की अवस्था में था। उसका रक्तचाप बहुत कम हो गया था। हमें यह पता चला कि वह घंटों तक गोलाबारी में फंसा रहा। हमने कुछ जीवन रक्षक दवाओं और अस्पताल से दो खून की यूनिट का प्रबंधन किया। शुरू में उन्होंने और उनकी टीम ने जम्मू रेफर करने का फैसला किया, लेकिन किसी ने सुझाव दिया कि यह गलत विकल्प हो सकता है क्योंकि उसकी हालत बिगड़ रही थी। चार घंटे के सफर में कुछ भी हो सकता है। हमने ऑपरेशन शुरू किया, जिसमें यह पाया गया कि उसका बायां पैर पूरी तरह से लहूलुहान हो गया था। पैर बचाना हमारे हाथ से बाहर था। उन्होंने कहा कि इमरान को जल्द ठीक होने के लिए सर्वोत्तम संभव चिकित्सा प्रदान की जा रही है।