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यूरोपीय यूनियन के सांसदों के कश्मीर दौरे पर सियासत

राज्य ब्यूरो जम्मू विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया कहा- स्थानीय नेताओं और लोगों से भी मिलने दिया जाए जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल का कश्मीर में पहला दौरा है यह

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Oct 2019 08:22 AM (IST)Updated: Tue, 29 Oct 2019 08:22 AM (IST)
यूरोपीय यूनियन के सांसदों के कश्मीर दौरे पर सियासत
यूरोपीय यूनियन के सांसदों के कश्मीर दौरे पर सियासत

राज्य ब्यूरो, जम्मू: कश्मीर के हालात का जायजा लेने मंगलवार को श्रीनगर पहुंच रहे यूरोपीय यूनियन के 28 सदस्यीय प्रतिनिधिमंल के दौरे को लेकर सियासत शुरू हो गई है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उम्मीद करनी चाहिए कि यूरोपीय सांसदों को स्थानीय लोगों, स्थानीय मीडिया, राजनीतिकों और सिविल सोसाइटी के लोगों से मिलने दिया जाएगा। साथ ही इन लोगों को कश्मीर की सच्चाई देखने और उसे दुनिया तक पहुंचाने का मौका दिया जाएगा।

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केंद्र सरकार ने यूरोपीय यूनियन के 28 सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को कश्मीर का दौरा करने और वहां के हालात का जायजा लेने की अनुमति दी है। इस प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की है। पांच अगस्त को केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को पारित किए जाने के बाद किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल का कश्मीर का यह पहला दौरा होगा।

प्रतिनिधिमंडल का यह दौरा कश्मीर के हालात को लेकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा कम्यूनिकेशन ब्लैक आउट, मानवाधिकार हनन व हजारों लोगों की गिरफ्तारी के संदर्भ में प्रकाशित खबरों व अमेरिका और ब्रिटेन के सांसदों द्वारा कश्मीर में संचार सेवाओं को पूरी तरह बहाल करने के आग्रह से पैदा हालात के बीच बहुत अहम माना जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, यह प्रतिनिधिमंडल श्रीनगर में राज्य प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों, राज्यपाल के सलाहकारों के अलावा सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों से मिलेगा। राज्यपाल सत्यपाल मलिक से भी यह दल मिल सकता है। पीएसए के तहत बंद नेकां अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला और एहतियातन हिरासत में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती से यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात की संभावना पर अधिकारियों ने किसी भी तरह की जानकारी से इन्कार किया है। महबूबा ने उठाया सवाल, कश्मीर और दुनिया के बीच का पर्दा हटना चाहिए

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती ने यूरोपीय यूनियन के प्रतिनिधिमंडल के कश्मीर दौर को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने अपने ट्वीटर हैंडल पर केंद्र सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाया है। महबूबा का ट्वीटर हैंडल उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती संचालित करती हैं। इल्तिजा ने लिखा, इस दल को फासीवादी सोच के चलते ही कश्मीर दौरे की अनुमति दी है। मुझे उम्मीद है कि इन सांसदों को स्थानीय लोगों, लोकल मीडिया, डॉक्टरों और अन्य सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों से मिलने दिया जाएगा। कश्मीर और दुनिया के बीच जो पर्दा है, उसे हटना चाहिए। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि हैरानी की बात है कि यूरोपीय संसद के 28 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को कश्मीर के जमीनी हालात का जायजा लेने की अनुमति दी जा रही है, लेकिन यही उदारता अमेरिकी सीनेटर के लिए नहीं बरती गई जो कश्मीर आकर हालात देखना चाहते थे। यूरोपीय संसद के प्रतिनिधिमंडल के दौरे के बाद भारत भरकार अगर एक बार फिर कश्मीर में सब कुछ सामान्य होने का ढोल पीटने लगे, हालात के ठीक होने का प्रमाणपत्र दिखाने लगे तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। इसके आगे उन्होंने लिखा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर में हालात को पूरी तरह सामान्य साबित करने को हताश भारत सरकार विदेश नीति में लगातार बदलाव कर रही है। एक रिपब्लिकन को अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में मान्यता देने से लेकर फासीवाद समर्थक दक्षिणपंथी शरणार्थी विरोधी यूरोपीय संसद के सदस्यों के साथ तालमेल यही दिखा रहा है। एक अन्य ट्वीट पर सवाल किया है कि अगर भारत में जम्मू कश्मीर के पूर्ण विलय को यकीनी बनाने के लिए अनुच्छेद 370 को हटाया गया है तो फिर राहुल गांधी को कश्मीर आने से क्यों रोका गया? यूरोपीय संसद के फासीवाद सोच के समर्थक सांसदों के एक दल को कश्मीर में भेजा जा रहा है। मतलब यही कि आपको कश्मीर में दाखिल होने की अनुमति तभी मिलेगी जब आप मुस्लिमों के प्रति नफरत का भाव रखते हुए फासीवादी सोच के हों।

अपनी मर्जी से लोगों से मिलने दिया जाए : नेकां

नेशनल कांफ्रेंस के प्रांतीय प्रधान देवेंद्र सिंह राणा ने कहा कि विपक्षी नेताओं को मिलने नहीं दिया जा रहा था। अब यूरोपियन यूनियन स्थिति का जायजा लेना आ रहा है। हम चाहते हैं कि प्रतिनिधिमंडल को अपनी मर्जी से लोगों से मिलने और हालात का जायजा लेने दिया जाए। हम चाहते हैं कि कश्मीर के जमीनी हालात की सही जानकारी दुनिया तक पहुंचे। अगर केंद्र सरकार इस दल को निष्पक्षता से काम करने का मौका देती है तो हम इसका स्वागत और समर्थन करते हैं। केंद्र खुद कर रहा कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण: कांग्रेस

कांग्रेस के प्रवक्ता रविद्र शर्मा ने कहा कि यूरोपीय यूनियन के प्रतिनिधिमंडल को कश्मीर में हालात का जायजा लेने के लिए भेजकर केंद्र सरकार कश्मीर मुद्दे का खुद अंतरराष्ट्रीयकरण और इसमें किसी तीसरे पक्ष को शामिल करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। यह दौरा भारत की कश्मीर मुद्दे पर पंरपरागत राष्ट्रीय और विदेश नीति के खिलाफ है। केंद्र सरकार यहां जम्मू कश्मीर में विपक्ष के नेताओं को दाखिल नहीं होने देती। राज्यसभा में विपक्ष के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री को अदालत के हस्ताक्षेप के बाद अपने गृह प्रदेश जम्मू कश्मीर में दाखिल होने की इजाजत मिली। यूरोपीय यूनियन के प्रतिनिधिमंडल से प्रमाणपत्र लेने के बजाय कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस, माकपा, पीडीपी के नेताओं को कश्मीर में घूमने देना चाहिए, उन्हें लोगों से मिलने की इजाजत होनी चाहिए।


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