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नए कश्मीर में धर्म के नाम पर राजनीति 'बंद', विकास कार्यो के लिए धार्मिक स्थलों को शिफ्ट करने को राजी लोग

नए कश्मीर में हालात अब पहले से बिलकुल अलग हैं। लोग अमन चैन की जिंदगी जीने लगे हैं। धर्म के नाम पर भड़काने वालों की दुकानदारी पूरी तरह से बंद है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 23 Dec 2019 10:31 AM (IST)Updated: Mon, 23 Dec 2019 01:17 PM (IST)
नए कश्मीर में धर्म के नाम पर राजनीति 'बंद', विकास कार्यो के लिए धार्मिक स्थलों को शिफ्ट करने को राजी लोग
नए कश्मीर में धर्म के नाम पर राजनीति 'बंद', विकास कार्यो के लिए धार्मिक स्थलों को शिफ्ट करने को राजी लोग

जम्मू, राज्य ब्यूरो।  नए कश्मीर में हालात अब पहले से बिलकुल अलग हैं। लोग अमन चैन की जिंदगी जीने लगे हैं। धर्म के नाम पर भड़काने वालों की दुकानदारी पूरी तरह से बंद है। लोग अब प्रशासन के साथ विकास कार्यो को तरजीह देने लगे हैं। यही कारण है कि एक पुल के निर्माण के लिए कश्मीर के लोग 40 साल पुरानी मस्जिद की जगह देने के लिए राजी हो गए।

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ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के कमरवारी को नूरबाग से जोड़ने के लिए पुल का निर्माण होना है। कुछ सप्ताह में कश्मीर में इस तरह की यह दूसरी मिसाल है जब किसी विकास कार्य के लिए धार्मिक स्थल को तोड़ने के लिए लोग राजी हुए हैं। इससे पहले श्रीनगर-बारामुला मार्ग पर जैनकूट के निकट सिख समुदाय ने 72 साल पुराने दमदमा साहिब गुरुद्वारे की जमीन सड़क निर्माण के लिए प्रशासन को दी थी। प्रशासन ने सिख समुदाय को नया गुरुद्वारा बनाने के लिए वहीं पास में वैकल्पिक स्थान दिया है।

श्रीनगर के कमरवारी इलाके को नूरबाग से जोड़ने के लिए झेलम दरिया पर 166 मीटर लंबा डबल लेन पुल बनाने की 10 करोड़ की परियोजना की राह में एक फायर स्टेशन, 16 मकानों व दुकानों के अधिग्रहण व मस्जिद अबु तुराब की जमीन का मुद्दा रुकावट बना हुआ था। इस मामले को हल करने के लिए प्रशासन ने कई बार संबंधित लोगों के साथ बैठक की। बात नहीं बनी। साल 2018 में प्रशासन ने लंबित परियोजनाओं को पूरा करने की योजना के तहत जम्मू कश्मीर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनांस कॉरपोरेशन के जरिए इसके लिए 2.5 करोड़ की निधि जारी की। परियोजना की राह में 18 रुकावटें थी।

जिला उपायुक्त श्रीनगर डॉ. शाहिद इकबाल ने बीते शनिवार को कमरवारी, नूरबाग और रामपोरा इलाके का दौरा कर प्रस्तावित पुल के निर्माण को पूरा करने के संदर्भ में स्थानीय लोगों के साथ विचार विमर्श किया। उन्होंने मस्जिद अबु तराब की प्रबंधन समिति के सदस्यों से पूरे मामले पर चर्चा की।

उन्होंने बताया कि इस्लाम में आम लोगों की सहूलियत और उनकी तरक्की को सबसे अधिक अहमियत दी जाती है। पुल का निर्माण न होने से लोगों को कई दिक्कतें हो रही थी। विचार विमर्श के बाद मस्जिद कमेटी ने पुल निर्माण की योजना को जल्द पूरा करने के लिए मस्जिद की जमीन देने पर सहमति प्रकट कर दी। डॉ. शाहिद ने बताया कि पुल निर्माण के साथ झेलम दरिया के दोनों किनारों पर बाढ़ संरक्षण और सौंदर्यीकरण के काम पूरे किए जाएंगे। साथ सटे बाजारों की सड़कों की मरम्मत की जाएगी और पूरे इलाके में स्मार्ट स्ट्रीट लाइटें स्थापित की जाएंगी।

दमदमा साहिब गुरुद्वारे को भी अन्य जगह बनाने पर सहमति

श्रीनगर-बारामुला राष्ट्रीय राजमार्ग के विस्तार में एक गुरुद्वारा बीच में आ रहा था। प्रशासन ने गुरुद्वारा प्रबंधन के साथ बात कर उसे अन्य जगह शिफ्ट करने के लिए मना लिया। पारमीपोरा-नारबल हिस्से पर विस्तार का काम अटका था। गतिरोध उस समय दूर हुआ जब श्रीनगर के जिला उपायुक्त डॉ. शाहिद इकबाल चौधरी मौके पर पहुंचे और संबंधित लोगों से बातचीत करके मामले का समाधान निकाला। जैनकोट में गुरुद्वारा दमदमा साहिब शिफ्ट करने का मुद्दे साल 2015 से मामला न्यायालय में था। प्रशासन ने गुरुद्वारे के लिए अन्य जगह गुरुद्वारा का निर्माण करवा दिया जाएगा। इसके बाद गुरुद्वारा प्रबंधन भी मान गया। 


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