परीक्षा पे चर्चा: PM मोदी की अभिभावकों को नसीहत; बच्चों की क्षमता पहचानें-अंकों का दबाव न डालें
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर स्टील के स्प्रिंग को ज्यादा खींचोगे तो क्या होगा? स्प्रिंग ज्यादा स्ट्रेस सहन नहीं कर पाएगा और वह तार बन जाएगा।
जम्मू, सुरेंद्र सिंह। परीक्षा पे चर्चा में जम्मू की बेटी के सवाल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इतने सहज तरीके से समझाया कि सारे बच्चों का तनाव दूर हो गया। उनकी नसीहत बच्चों के अभिभावकों को भी दिल से छू गई। उन्होंने समझाया कि अभिभावक बच्चों की क्षमता पहचाने, उन पर अंकों का दबाव न डालें। वह तनाव को सहन नहीं कर पाएंगे।
दरअसल, दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचीं गवर्नमेंट गल्र्स हायर सेकेंडरी स्कूल नवाबाद की छात्रा करिश्मा रैना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया था कि उसके माता-पिता चाहते हैं कि वह बहुत अच्छे अंक लाए। माता-पिता की इस अपेक्षा के चलते वह तनाव में आ जाती है। मेरा मार्गदर्शन करें कि मैं इस तनाव से कैसे लड़ूं?
करिश्मा के इस सवाल के जवाब में मोदी ने पहले चुटकी ली और फिर बच्चों की इस परेशानी को दूर करने का सुझाव उनके अभिभावकों को दिया। प्रधानमंत्री ने करिश्मा से पूछा कि यह सवाल आपके लिए है या आपके माता-पिता के लिए? आप चाहती हैं कि जो बात आप अपने माता-पिता से नहीं कर सकती, वह मोदीजी बता दें। उन्होंने चुटकी ली कि मैं बच्चों को बिगाड़ नहीं रहा हूं और न ही चाहता हूं कि बच्चे बगावत कर दें। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर स्टील के स्प्रिंग को ज्यादा खींचोगे तो क्या होगा? स्प्रिंग ज्यादा स्ट्रेस सहन नहीं कर पाएगा और वह तार बन जाएगा। ठीक इसी तरह अभिभावक भी समझें कि बच्चे ज्यादा तनाव नहीं सह पाएंगे। माता-पिता अपने बच्चों की क्षमता को पहचानें।
बचपन का उदाहरण, बड़ों तक को सीख
प्रधानमंत्री मोदी ने उदाहरण देते हुए समझाया कि जब बच्चा छोटा होता है तो माता-पिता उसे चलना सिखाते हैं। वे थोड़ी दूर खड़े होकर बच्चे को चलने के लिए प्रेरित करते हैं। बच्चा चलते हुए अगर गिर जाता है, तो माता-पिता उस पर गुस्सा नहीं करते, बल्कि उसे दोबारा खड़े होने के लिए प्रेरित करते हैं। बच्चे को चांटा नहीं मारते। ठीक इसी तरह बच्चा अगर बड़ा भी हो जाए, तो उसको प्रेरित करें न कि उस पर दबाव बनाएं। बच्चे की क्षमता को समझें। अगर हो सके तो बच्चे को उस शख्स से बात करने का मौका दें, जिससे वह अपने मन की बात खुलकर करता हो। बच्चे को जितना अधिक प्रेरित करोगे, उसे उतना ही बल मिलेगा।
सुबह या रात, जब अच्छा लगे तक पढ़ो
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लेह के छात्र स्टेनजिन ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा कि हमें कब पढऩा चाहिए, रात को या सुबह? इस पर मोदी ने कहा कि जब आपको अच्छा लगे तब पढ़ो। अपनी दिनचर्या का हवाला देते हुए मोदी ने बताया कि मैं सुबह जल्दी उठता हूं और रात को देर से सोता हूं। दिनभर की थकान व घटनाओं के चलते रात को आपका मन खाली नहीं होता। इसलिए अगर हो सके तो रात को गहरी नींद लें। सूर्योदय से पहले उठें और पढ़ें तो ज्यादा बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया भी मानती है कि सुबह मन उत्तम रहता है, लेकिन फिर भी यह आपकी सहूलियत पर निर्भर करता है कि आप कब पढ़ें। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे यही चाहते हैं कि बच्चों का अपने अभिभावकों और शिक्षकों के साथ ऐसा संबंध होना चाहिए कि वे छोटे से छोटा सवाल भी उनसे पूछ सकें।
कठुआ की सुनंदनी ने बताए पेंटिंग और पोस्टर के मकसद
कठुआ की सुनंदनी शर्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तीन मिनट बात कर खुश है। वह केंद्रीय विद्यालय लखनपुर की 12वीं कक्षा की छात्रा है। कार्यक्रम में पहुंचते ही प्रधानमंत्री ने वहां लगी पेंटिंग एवं पोस्टर को देखने के बाद सुनंदनी से ही पेंङ्क्षटग के मकसद, उदेदश्य एवं संदेश के बारे में पूछा। पेंङ्क्षटग में जल सरंक्षण एवं प्लास्टिक निस्तारण को दर्शाया गया था। सुनंदनी ने प्रधानमंत्री को बताया कि पेंटिंग के माध्यम ये जल सरंक्षण के प्रति हमें जागरूकता मिलती है। आने वाले समय पानी की कमी भारत में होगी। इसे सहेज कर रखना होगा। सुनंदनी के इस जवाब पर प्रधानमंत्री ने उनसे खुद भी इस पर क्या अमल करने की बात पूछी और पूछा कि क्या इसे अपने स्तर पर भी करती हो। जवाब में सुनंदनी ने बताया कि वह स्कूल में पीने के लिए बोतल ले जाती है, अगर उसमें जो पानी बच जाए तो वापस भी ले आती हैं। इसके अलावा घर में हर साल एक पौधा लगाती हैं। इसे पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने में मदद मिलती है। प्रधानमंत्री ने उन्हें पोस्टर में उनकी तस्वीर को एक स्थान पर खुद झाड़ू लगाते हुए कचरा उठाने की फोटो कहां की होने की बात पूछी और पूछा इससे क्या संदेश मिला है। सुनंदनी ने उन्हें तस्वीर चेन्नई की होने की बात बताई। उन्होंने पीएम को अब प्लास्टिक प्रयोग पर प्रतिबंध होने की बात भी बताई। उन्होंने प्रधानमंत्री को अपना परिचय डोगरी भाषा में कराया।