सास पुराण के मंचन ने दर्शकों को गुदगुदाया
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जागरण संवाददाता, जम्मू : बेशक आज भी बहुत से लोगों के दिमाग में सास की छवि ठीक न हो लेकिन सभ्य समाज में भारी बदलाव के चलते आज सास भी बेटी और बहू में कोई अंतर नहीं करती। डोगरी नाटक सास पुराण के माध्यम से निर्देशक शशि भूषण यह दर्शाने में सफल रहे कि किसी भी व्यक्ति विशेष या रिश्ते को लेकर पहले से किसी प्रकार की धारणा बना लेना उचित नहीं है। पहले से बनाई धारणा का दूसरे लोग लाभ उठाकर आपका रिश्ता खराब कर सकते हैं।
नार्थ जोन कल्चरल सेंटर पटियाला और जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी के सहयोग से जारी डोगरी नाट्योत्सव में रविवार को शशि भूषण के लिखे एवं निर्देशित नाटक सास पुराण का मंचन किया गया। नाटक शुरू तो बडे़ साधारण तरीके से शुरू होता है लेकिन धीरे रफ्तार पकड़ता है। नाटक में दर्शाया गया कि एक बहू व बेटा शहर में अकेले रहते हैं। उनके घर उनकी मां आने वाली है। ऐसे में नौकर बहू के सामने सास के कई किस्से पेश करता है। ऐसे ही कई किस्से जुड़ते जाते हैं, जिससे बहू के सामने सास की एक खतरनाक तस्वीर बन जाती है। नाटक में दर्शाये सास बहू के झगडे़ दर्शकों को गुदगुदाने वाले रहे। वहीं, जब सास घर पहुंचती है तो बहू को अहसास होता है कि जो वह सोचती रही वैसा कुछ नहीं है। इस सुखद अंत के साथ नाटक संपन्न होता है।
नाटक में भाग लेने वाले कलाकारों में उषा सलाथिया, दीपक सिंह, सीमा देवी, टी भार्गव, अनुज खजूरिया, दक्ष सगोच, अजय बाबा, इशिका बाली, हर्षवर्धन, रजत डोगरा, राकेश डोगरा, शिशुपाल खजूरिया, सतवीर कौर शशि भूषण शामिल थे। बैक स्टेज कलाकारों में अजय बाबा, उषा सलाथिया, दीपक जम्वाल, मोहन कुमार, रजत डोगरा शामिल थे। संगीत नियंत्रण दिलशाद ने किया। ध्वनि नियंत्रण लोकेश ने की। प्रकाश व्यवस्था पंकज शर्मा ने की। मंच प्रबंधन अजय शर्मा ने किया।