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Jammu Kashmir: रहबर-ए-खेल योजना में नियुक्त फिजिकल टीचर्स ने नीलाम किए अपने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पदक

इन फिजिकल टीचर्स का कहना था कि उनके माता-पिता ने पैसे खर्च कर उन्हें पढ़ाया लिखाया। कई वर्ष उनके पदक हासिल करने में लग गए लेकिन बदले में उन्हें सरकार की उदासीनता ही मिली।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 25 Jun 2020 02:47 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 02:47 PM (IST)
Jammu Kashmir: रहबर-ए-खेल योजना में नियुक्त फिजिकल टीचर्स ने नीलाम किए अपने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पदक
Jammu Kashmir: रहबर-ए-खेल योजना में नियुक्त फिजिकल टीचर्स ने नीलाम किए अपने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पदक

जम्मू, जागरण संवाददाता। रहबर-ए-खेल के तहत अपनी सेवाएं दे रहे फिजिकल टीचर्स ने वीरवार को प्रदर्शनी मैदान में अपने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पदकों की नीलामी कर सरकार के उदासीन रवैये के खिलाफ अपना रोष जताया। दो रुपये में राष्ट्रीय व तीन रुपये में अंतरराष्ट्रीय पदक नीलाम करने पहुंचे इन टीचर्स का कहना था कि नीलामी के बाद जो पदक बच जाएंगे वे उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराज्यपाल जीसी मुर्मू को भेंट कर देंगे। सरकार की नीतियों पर भड़के इन प्रदर्शनकारियों का कहना था कि जो पदक उनको व उनके परिजनों को दो वक्त की रोटी दे पा रहे, उनका क्या फायदा।

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जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के बैनर तले लगाई गई इस नीलामी में बैठे फिजिकल टीचर्स का कहना था कि उन्होंने कड़ी मेहनत कर फिजिकल एजूकेशन की ट्रेनिंग की। कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पदक भी हासिल किए। इसके बदले में उन्हें रहबर-ए-खेल के तहत नियुक्त किया गया लेकिन उन्हें मात्र तीन हजार रुपये महीना वेतन मिल रहा है। उनका कहना है कि इस तीन महीने में दो से ढाई हजार रुपये उनके आने जाने में किराया लग जाता है जबकि पांच सौ रुपये उनके पास बचते हैं। इसमें वे अपने घर-परिवार का खर्चा भी नहीं चला सकते।

इन फिजिकल टीचर्स का कहना था कि उनके माता-पिता ने पैसे खर्च कर उन्हें पढ़ाया, लिखाया। कई वर्ष उनके पदक हासिल करने में लग गए लेकिन बदले में उन्हें सरकार की उदासीनता ही मिली। उन्हें सात सात वर्ष तक स्थायी नहीं किया जाता। ऐसे में उनके सामने अंंधकारमय भविष्य आन खड़ा हुआ है। उनका कहना था कि सरकार समान काम, समान वेतन की बात भी करती है लेकिन उनको उनके काम का दस प्रतिशत भी नहीं मिल रहा है जो उनके साथ भेदभाव है।

इन टीचर्स का कहना था कि उन्हें सरकार स्थायी नियुक्ति दे और उनकाे सम्मानजनक वेतन भी मिले ताकि वे अपने घर-परिवार की जिम्मेदारियों को अच्छे से निभा सकें। वहीं इन शिक्षकों का कहना था कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं की गई तो वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।


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