जम्मू-कश्मीर में गौ हत्या पर रोक लगाने वाली याचिका खारिज, मुख्य सचिव के समक्ष अपनी मांग रखने को कहा
जम्मू-कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट-2019 प्रदेश में लागू होने के बाद अब यह जम्मू कश्मीर में अपराध की श्रेणी में नहीं आता। वकीलों ने यह भी कहा कि इंडियन पीनल कोड आईपीसी में गौ हत्या अपराध की श्रेणी में नहीं है।
जम्मू, जेएनएफ: गौ हत्या पर रोक लगाने और उस पर सख्त कानून बनाने की मांग करने वाली जनहित याचिका को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस रजनीश ओसवाल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को प्रदेश के मुख्य सचिव के समक्ष अपनी मांग रखने को कहा।
उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका में गैर सरकारी संगठन ने जम्मू कश्मीर में गौ हत्या करने वालों के विरुद्ध कठोर कानून बनाने की मांग की थी ताकि प्रदेश में गौ हत्या पर रोक लग पाए। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकीलों ने उच्च न्यायालय में तर्क दिया कि रणबीर पीनल कोड आरपीसी के तहत गौ हत्या एक दंडनीय अपराध था।
जम्मू-कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट-2019 प्रदेश में लागू होने के बाद अब यह जम्मू कश्मीर में अपराध की श्रेणी में नहीं आता। वकीलों ने यह भी कहा कि इंडियन पीनल कोड आईपीसी में गौ हत्या अपराध की श्रेणी में नहीं है। यदि कारण है कि देश के कई ऐसे राज्य हैं जिनमें हरियाणा, उत्तराखंड, झारखंड ने अपने गौ हत्या के विरुद्ध कानून बनाया हुआ हैं।
वकीलों की इस दलील को सुनने के बाद खंडपीठ ने गौ हत्या पर रोक लगाने वाली देश की विभिन्न उच्च न्यायालयों के फैसलों पर भी रोशनी डाली। इसके बाद खंडपीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाली गैर सरकारी संस्था को प्रदेश के मुख्य सचिव से इस बाबत अपनी शिकायत दर्ज करवाने को कहा। इसके साथ ही याचिका को खारिज कर दिया।